Monday, April 29, 2024
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क्या आंदोलन को कमजोर करने का जरिया बना इंटरनेट ?

खुशबू काबरा


नई दिल्ली। भारत में इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसक घटनाओं से हमारी साख पर असर हुआ, हमारे उत्साह एवं उमंग भरे पर काफी शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ी। किसानों के आंदोलन के दौरान और कोई दूसरी अप्रिय घटना न हो जाए , इससे बचने के लिए न केवल दिल्ली में, बल्कि दूसरे इलाके में भी सबकी निगाह इंटरनेट के जरिए चल रहे सोशलमीडिया और दूसर दुष्प्रचार के साधनों पर भी गया। हरियाणा सरकार ने अपने श्रेत्र में इंटरनेट को बधित कर इसे रोकने की कोशिश की। हरियाणा के 17 जिलों में 31 जनवरी तक इंटरनेट पर सेवा बंद कर दी गई। लेकिन हरियाणा की खाप पंचायतों ने इसका तोड़ ढूंढ निकाला हैं।

उन्होंने लाउडस्पीकर इस्तेमाल कर विकल्प तलाश लिया। इसके जरिए किसान नेता जिले के 306 गांवों तक आसानी से अपनी बात पहुंचाने का काम किया। ये लाउडस्पीकर गांवों के मंदिरों पर लगाए गए, ताकि किसानों तक प्रधानों की बातें पहुंच पाए। बता दें कि जींद-पटियाला हाईवे पर खटकर टोल प्लाजा के पास हुई खाप पंचायत में हजारों की संख्या में किसान शामिल हुए , जिनमें महिलाओं की भी बड़ी तादाद देखी गई। जींद जिले के एक नागरिक ने कहा कि किसान आंदोलन पर पाबंदी लगाने के लिए ये सब जा रहा है।

ऐसे में किसान आंदोलन पर पूरी तरह से रोक लगाई जा रही हैं। दिल्ली से लेकर हरियाणा तक इंटरनेट सेवाओं को रोका गया है, किसानों ने इसके जवाब में ही लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने का फैसला किया है। ये इसलिए किया जा रहा है ताकि दूर-दूर के इलाकों तक में सरकार के किसी भी कदम की जानकारी गांवों में रहने वाले किसानों तक पहुंचा सके। आपको बता दें कि लगातार इंटरनेट की सेवा मंगने का प्रयास किया जा रहा हैं और अगर सरकार ने जल्द से जल्द सेवाएं शुरू नहीं कि तो किसान सड़क जाम कर धरना-प्रदर्शन करेंगे जिससे विद्यार्थियों की परीक्षाओं पर असर पड़ेगा।

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