नेहा राठौर
नई दिल्ली। सोमवार शाम 22 फरवरी को दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी रमेश की कोरोना वेक्सीन लगने से मौत हो गई। यह घटना दीपचंद बंधू अस्पताल की है। घटना के बाद मृतक के परिजनों ने बड़े अधिकारियों पर जबरन टीका लगाने का आरोप लगते हुए, अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया, जिस कारण अस्पताल में भारी भीड़ जमा हो गई।
बता दें कि दिल्ली के केशव पुरम जोन में तैनात रमेश(55) सफाई कर्मचारी को 17 फरवरी को दीपचंद बंधू अस्पताल में कोरोना वैक्सीन लगाई गई थी, जिसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई और 22 फरवरी को उसकी मौत हो गई।
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बता दें कि मर्तक के परिजनों का आरोप है की रमेश दिल का मरीज था और वह टिका नहीं लगवाना चाहता था, लेकिन दिल्ली नगर निगम के बड़े अधिकारियों ने उस पर वैक्सीन लगवाने के लिए तरह-तरह से दबाव बनाए, जिस वजह से वह टीका लगवाने के लिए मजबूर हो गया।
इस घटना के बाद मृतक के परिजनों और उसके साथी सफाई कर्मचारियों की भीड़ हॉस्पिटल में जमा हो गयी, मौके और माहौल को देख आदम आदमी पार्टी और बीजेपी के नेता भी वहां पहुंच गए। किसी ने मुआवज़े की मांग की तो किसी ने दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की मांग की।
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इस पर आम आदमी पार्टी के विधायक राजेश गुप्ता ने सवाल किया कि ‘बड़े अधिकारी पहले वेक्सीन क्यों नहीं लगते? सफाई कर्मचारी क्या टेस्टिंग टूल है? अगर इनको वेक्सिनेशन करनी है तो बड़े अधिकारियों की करवाये, पहले नगर निगम में सफाई कर्मचारियों कोरोना काल में बहुत काम किया। उन्होंने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए उनपर अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व विधायक आये थे, वे भी भाग गए।’ हालांकि बीजेपी के पूर्व विधायक डॉ महेंद्र नागपाल ने इस मामले पर खेद जताया।
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मामला बिगड़ता देख एमसीडी के अधिकारी ने वहां पहुँचकर जबरन वेक्सीन लगाए जाने की बात से इंकार करते हुए, कहा कि वैक्सीन किसे लगाया जाना है, यह देखना डॉक्टरस का काम है। इस पर एमसीडी सैनिटेशन के सुप्रीटेंडेंट के सी शर्मा ने कहा कि हमने कोई जबरदस्ती नहीं की। कुल 4500 लोगों को वैक्सीन लगानी थी, लेकिन 700 लोगों को ही वेक्सीन लगा पाए हैं।
इस मौके पर दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग ने रमेश के परिवार के लिए एक करोड़ मुआवज़े और आश्रित को एमसीडी में नौकरी की मांग के साथ साथ वेक्सिनेशन कार्य को रोकने तक की मांग कर डाली।
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ग़ौरतलब है की वेक्सीन लगाने के अभियान में पहले चरण में प्रथम पंक्ति के यानी डॉक्टर्स, पुलिस और सफाई कर्मचारी कोरोना योद्धाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इसे लेकर लोगों में उत्साह कितना है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केशव पुरम जोन में 4500 सफाई कर्मचारियों को वेक्सीन लगानी है, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद यह आंकड़ा 15 दिन में केवल 700 तक ही पहुंचा पाया है। जाहिर है एक तरफ वेक्सिनेशन को लेकर उदासीनता है, तो दूसरी तरफ ज्यादा से ज्यादा वेक्सीन लगाने का दबाव भी बढ़ रहा है। शायद इसी दबाव को मृतक की मौत की वजह बताई जा रही है।
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