नेहा राठौर
इलाहाबाद: गंगा जल से कोरोना का इलाज करने वाला मामला अब इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और साथ ही केंद्र सरकार की एथिक्स कमेटी और ICMR को जवाब के लिए नोटिस भी भेज दिया है।
कोर्ट ने इस मामले में दोनों संस्थानो को जवाब देने के लिए छह हफ्तों का वक्त दिया है। कोर्ट में दायर इस याचिका में यह दावा किया गया है कि गंगा जल से कोरोना संक्रमित व्यक्ति को ठीक किया जा सकता है।
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इससे पहले 2020 में भी राष्ट्रपति को गंगाजल से कोरोना के इलाज को लेकर याची ने एक शोध पत्र भेजा था। इतना ही नहीं याची ने इसे गंगा मंत्रालय ने ICMR को भी भेजा था, लेकिन उसे वहां रिजेक्ट कर दिया गया था। उसके बाद याची ने इस पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के 5 डॉक्टरों की एक टीम से शोध करवाया था। जिसका शोध पत्र इंटरनेशनल जनरल में पिछले साल सितंबर में सामने आया था।
बता दें कि इस संबंध में 30 रुपए की एक नेजल स्प्रे भी बनाई गई थी, वहीं इसके वितरण के लिए 600 लोगों की एक टीम भी बनाई गई थी। गंगा मंत्रालय ने यह दावा किया है कि जिन 300 लोगों को यह नेजल स्प्रे दिया गया था, उन सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। वहीं उनका कहना है कि जिन लोगों ने ये स्प्रे नहीं लिया था उनमें से कई लोग पॉजिटिव आए थे।
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इस पर हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता ने याचिका दायर की है। इस याचिका में गंगाजल से कोरोना संक्रमितों का इलाज करने की मांग की गई है। इस PIL पर चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस राजेंद्र कुमार चतुर्थ की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई है।
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