Friday, May 3, 2024
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दिल्ली में जनरेटर बैन, भरना पड़ सकता है जुर्माना

दिल्ली में जनरेटर बैन कर दिया गया है और इसका इस्तेमाल करना सख्त नियमों के दायरे में आ गया है। यह नया नियम दिल्ली में 15 मई के बाद से लागू हो जाएगा। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक नया दिशा-निर्देश जारी किया है जिसके तहत 800 किलोवाट तक के जनरेटर को औद्योगिक व व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए तभी इजाजत दी जाएगी, जब दोहरे ईंधन यानी गैस और डीजल दोनों से चलते हों। नए नियम के तहत 800 किलो वाट तक के जनरेटर को औद्योगिक व व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए तभी इजाजत दी जाएगी, जब वह जनरेटर गैस और डीजल दोनों से चलते हो। विशेषज्ञों का कहना है कि डीजल जेनरेटर सेट से निकलने वाली नाइट्रोजन और कार्बन की ऑक्साइड गैसें पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होती हैं।

दिल्ली में अब गैस और डीजल दोनों से चलने वाले जनरेटर को ही इजाजत मिलेगी, जबकि ग्रेप लागू होने के समय इन पर पहले की तरह ही प्रतिबंध लागू रहेंगे। राजधानी दिल्ली में ठंड के समय जब ग्रेप लागू होता है, तब डीजल जनरेटर सेट के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी होती है, क्योंकि डीजल जनरेटर सेट बहुत बड़ी मात्रा में प्रदूषण करते हैं। दोहरे ईंधन से चलने वाले जनरेटर सेट को आयोग ने जो इजाजत दी है, उसमें दोहरे ईंधन से आशय 70 फीसदी गैस और 30 फीसदी डीजल से चलने वाले जनरेटर से है।

गौरतलब है कि डीजल जनरेटर सेट से बहुत बड़ी मात्रा में प्रदूषण होता है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारणों में एक बड़ा कारण डीजल जनरेटर सेट का बड़ी तादात में इस्तेमाल होना भी है। जेनरेटर सेटों से जहां वायु प्रदूषण होता है वहीं बड़ी मात्रा में ध्वनि प्रदूषण भी फैलता है। जनरेटर सेट से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल निकलता है। जिसके कारण सांस के रोग होत हैं। ध्वनि प्रदूषण के कारण बहरापन, चिड़चिड़ापन के अलावा लगातार ध्वनि के कारण उल्टी की समस्या होती है। इसके अलावा ज्यादा शोर के कारण होने वाली वाइब्रेशन से प्रेगेनेंसी के दौरान बच्चे को हानि होने का खतरा बना रहता है। बताया जाता है कि डीजल ईंजन या जेनरेटर से जो धुआं निकलता है उसमें बारीक से बारीक ऐसे ऐसे तत्व होते हैं जो आपकी सांस की नली से होते हुए फेफड़े को खराब कर देते हैं, दिल के आस पास दौड़ने वाली धमनियों को कमजोर कर देते हैं, दिमाग की कोशिकाओं को बेकार कर देते हैं, कुल मिलाकर आपको चंद खतरनाक बीमारियों से लैस कर देते हैं। अगर आप गांवों में रहते हैं तो आप भी डीजल के प्रभाव से मुक्त नहीं हैं। पटवन के लिए डीजल जेनरेटर का धुआं आपका भी नुकसान कर रहा है।

यही कारण है कि केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक नया दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि 15 मई के बाद 800 किलोवाट तक के जनरेटर को औद्योगिक व व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए तभी इजाजत दी जाएगी, जब दोहरे ईंधन यानी गैस और डीजल दोनों से चलते हों।

बता दें कि डीजल जेनरेटर क्षेत्र में वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। एनसीआर में इसका काफी इस्तेमाल होता है. एनसीआर के शहरों में उद्योगों में और आवासीय परिसरों में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. लगातार पावर सप्लाई बनाए रखने के लिए गुरुग्राम, फरीदाबाद और नोएडा (Noida) में इनका काफी इस्तेमाल होता है। वैसे तो सर्दियों के महीने में जब वायु प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है तब डीजल जेनरेटर सेट के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाती है। पर आयोग की ओर से जो नया दिशा-निर्देश जारी हुआ है उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि डीजी सेट का अनियंत्रित इस्तेमाल प्रदूषण के लिहाज से चिंता की वजह है। आयोग की ओर से यह भी कहा गया है कि ग्रेप के अलावा भी बड़ी संख्या में इस्तेमाल होने वाले डीजी सेट और इनसे निकलने वाले उत्सर्जन पर अगर नियंत्रण के उपाय नहीं किए जाते हैं, तो उनमें भारी प्रदूषण होता है।

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