Monday, April 29, 2024
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दिल्ली में एक और घोटाला, जल बोर्ड में 20 करोड़ डकार गए अधिकारी

अभी दिल्ली शराब घोटाले की कलई खुल ही रही है कि एक और घोटाले ने लोगों को चौंका दिया है। यह घोटाला है दिल्ली जल बोर्ड का जहां पानी के बिल के नाम पर 20 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आया है। इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने बिल वसूलने वाली दो कंपनियों फ्रेश पे आईटी साल्यूशंस और आरम ई-पेमेंट्स के मालिक और निदेशक राजेंद्रन नायर, गोपी कुमार केडिया और डॉ अभिलाष वासुकुट्टन पिल्लई को गिरफ्तार कर लिया है।

दिल्ली जल बोर्ड के पानी के बिल में 20 करोड़ से अधिक का घोटाला किए जाने का मामला सामने आया है। दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला किया गया है। एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) ऐसे अधिकारियों के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही है।

घोटाले में शामिल कंपनी फ्रेश पे का स्वामित्व राजेंद्रन नायर उर्फ राजू नायर, कोचीन, केरल का रहने वाला है लेकिन वह रूस के मास्को में रहता है। फर्जीवाड़ा करने के लिए आरोपित ने पेशे से चालक रतन सिंह को कंपनी में निदेशक बना दिया था। इसके जरिए ही वह फर्जीवाड़ा करता था। एसीबी को पता चला है कि रतन सिंह वर्तमान में मॉस्को, रूस में है। गिरफ्तार आरोपी राजेंद्रन नायर, आरम ई-पेमेंट का मालिक व निदेशक है। गोपी कुमार केडिया, नोएडा एक्सटेंशन का रहने वाला है। आरम ई-पेमेंट कंपनी में यह चीफ फाइनांस अधिकारी और अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता था। डॉ. अभिलाष वासुकुट्टन पिल्लई, पंडालम, केरल का रहने वाला है। फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशन कंपनी का निदेशक होने के साथ ही यह ऑरम ई-पेमेंट और फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशन का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता भी था।

इस मामले में फ्रेश-पे से जुड़ी तीन कंपनियां शामिल पाई गईं। बौस्ट्री लिमिटेड, लुकी अकृता, अक्रितास कोर्ट, लिमासोल, सायप्रस में स्थित है। यह यूरोप में है। अख्रोन फाइनेंस लिमिटेड नाम की कंपनी सायप्रस की राजधानी निकोसिया में है। गिसोरो ग्लोबल इंक, टोर्टोला ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में स्थित है।

एसीबी चीफ मधुर वर्मा के मुताबिक पानी के बिल का भुगतान करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के सभी कार्यालयों में कियोस्क स्थापित किया गया था। जल बोर्ड ने इन दोनों कंपनियों को पानी का बिल वसूलने का ठेका दिया था। दिल्ली जल बोर्ड ने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए कार्पोरेशन बैंक (अब यूनियन बैंक आफ इंडिया) को विभिन्न जल बोर्ड के कार्यालयों में आटोमेटिक बिल भुगतान संग्रह मशीनों की स्थापना का काम सौंपा था। जिसके जरिए उपभोक्ता नगद और चेक के जरिए बिल का भुगतान करते थे।

कार्पोरेशन बैंक ने यह ठेका फ्रेश-पे आईटी साल्यूशंस को दे दिया था, जिसने आगे उसे आरम ई-पेमेंट्स कंपनी को दे दिया था। नियम कानून को ताक पर रखकर हर साल बिल वसूलने का ठेका इन्हीं कंपनियों को दिया जाता रहा। इन कंपनियों का अनुबंध 10 अक्टूबर 2019 तक ही था लेकिन आरम ई-पेमेंट्स ने अवैध तरीके से मार्च 2020 तक बिल वसूलने का काम करती रही। जल बोर्ड द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में फंड में करोड़ों का गबन का पता चलने पर एसीबी में शिकायत दर्ज कराई गई थी। कार्पोरेशन बैंक (अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) और जल बोर्ड के अधिकारियों की मिलीभगत से 20 करोड़ से अधिक की हेराफेरी का पता चलने पर पिछले साल एफआइआर दर्ज की गई थी। जब जांच हुई तो पता चला कि आरम ई पेमेंट ने विभिन्न कियोस्क से राशि एकत्र कर अपने कनाट प्लेस स्थित कार्यालय ले आया था। उन्होंने एकत्र की गई नकदी में कुछ गबन कर गया तो कुछ फेडरल बैंक के खाते में जमा करा दिया था। उसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने उसे अपनी सुविधा अनुसार आरटीजीएस के माध्यम से कुछ पैसे जल बोर्ड के खातों में ट्रांसफर कर दिया था। कंपनी ने जल बोर्ड के खातों में पूरी रकम ट्रांसफर नहीं की थी। जांच के दौरान पता चला कि जल बोर्ड के कियोस्क से एकत्र की गई राशि को राजू नायर व उनके रिश्तेदारों और कई अन्य चार-पांच सेल फर्मों को फेडरल बैंक के खातों से आरम ई-पेमेंट को स्थानांतरित किया गया था। उन्होंने आरम ई-पेमेंट और फ्रेश पे आईटी साल्यूशन के कर्मचारियों का किराया, वेतन व अन्य खर्चों का भुगतान फेडरल बैंक के इसी खाते से जल बोर्ड के कियोस्क से एकत्रित नकदी से कर दिया।

कांट्रेक्ट के अनुसार इसपर निगरानी होनी चाहिए। जल बोर्ड के तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक, फ्रेशपे आईटी साल्यूशंस और आरम ई-पेमेंट ने जमा की गई राशि का मिलान नहीं किया। जल बोर्ड द्वारा यह देखे जाने के बाद भी कि विक्रेता की ओर से राशि बकाया थी जिसे जल बोर्ड के खाते में जमा किया जाना है।

अभी तो मात्र 20 करोड़ का पता चला है। मामले की जांच के बाद हो सकता है यह घोटाला और बड़ा निकले और इसमें संलिप्त लोगों के नाम भी चौंकाने वाले हों।

 

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