Saturday, May 11, 2024
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UP Crime : अतीक अहमद के आतंकी साम्राज्य के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा उमेश पाल हत्याकांड

CharanSingh

भले ही कुख्यात अतीक अहमद अपने बेटे असद के एनकाउंटर पर जेल से निकलकर किसी को न छोड़ने पर की बात कर रहा हो पर उमेश पाल हत्याकांड उसके आतंकी साम्राज्य के ताबूत में आखिरी कील साबित होने वाला है। इसकी बड़ी वजह यह है कि मामला विधानसभा में उठने के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अतीक अहमद के परिवार पर पूरी तरह से टेढ़ी निगाहें जो कर रखी हैं। जमीनी हकीकत यह है कि उमेश पाल हत्याकांड में फरार चल रहे कुख्यात अतीक अहमद के बेटे असद का एनकाउंटर को अधिकतर लोग अतीक अहमद के अपराध से जोड़ रहे हैं। दरअसल 13 अप्रैल को यूपी एसटीएफ ने राजू पाल हत्याकांड के आरोपी कुख्यात अतीक अहमद के बेटे असद और एक और अन्य आरोपी गुलाम मोहम्मद का झांसी में एनकाउंटर कर दिया। इन दोनों के सिर पर पांच-पांच लाख का इनाम था। इस एनकाउंटर के बाद राजनीतिक बयानबाजी के साथ ही क़ानूनी बहस भी छिड़ गई है। मामला अभी और जोर पकड़ेगा। इस  मामले में अभी मजिस्ट्रेट की जांच का इंतजार करना होगा। वैसे भी कांग्रेस, सपा के साथ ही असद्दुदीन ओवैसी एनकाउंटर को फर्जी बता कर योगी सरकार को घेर रहे हैं। देखने की बात यह है कि असद के एनकाउंटर पर जहां अतीक अहमद अपने बेटे की अर्थी को कंधा देने के लिए पुलिस के सामने गिड़गिड़ाता हुआ दिखाई दिया वहीं एक पुलिस अधिकारी से यह कहते हुए झगड़ता दिखा कि जिस दिन वह जेल से बाहर निकलेगा किसी को नहीं छोड़ेगा।


मतलब जैसे अतीक अहमद के आतंकियों के साथ ही आईएसआई के साथ संबंधों के अंदेशे को लेकर जांच की जा रही। ऐसे में उत्तर प्रदेश में कुछ उथल-पुथल भी हो सकता है। वैसे भी आतंकी अबू सलेम से बात कर असद को खाड़ी देशों में छिपाने की बात भी सामने आ रही है। हालांकि अतीक अहमद पर इतने मुकदमे दर्ज हैं कि अब उसका जेल से बाहर निकलना नामुमकिन है।
दरअसल प्रयागराज के धूमनगंज थाना क्षेत्र के सुलेमसराय में बसपा विधायक रहे राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या का मामला सपा मुखिया अखिलेश यादव ने विधानसभा में क्या उठाया कि जैसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गैरत को ललकार दिया हो । कानून व्यवस्था के मामले में देश में अग्रिम मुख्यमंत्री माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ ने भरी विधानसभा में अखिलेश यादव को खरी-खरी सुनाते हुए हत्याकांड के आरोपी अतीक के परिवार को मिट्टी में ही मिलाने की चेतावनी दे डाली। यह चेतावनी देते हुए योगी आत्यिनाथ ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस माफिया के लिए जहां समाजवादी पार्टी ने पोषक बनने का काम किया तो वहीं  भाजपा कमर तोड़ने का काम कर रही है।
राजनीति के जानकार तभी समझ गये थे कि अब योगी आदित्यनाथ के मुख्य निशाने पर अतीक  अहमद और उसका परिवार होगा। इसकी बड़ी वजह यह है कि जिस तरह से भरे बाजार में उमेश पाल की हत्या की गई  वह योगी आदित्यनाथ को अतीक अहमद की खुली चुनौती लगी।दरअसल उमेश पाल हत्याकांड में अतीक के दो बेटे उमर और अली, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, भाई अशरफ पर भी मामला दर्ज किया गया  था। इस हत्याकांड का मामला विधानसभा में उठने के  बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को अतीक अहमद और उसके ‘साम्राज्य’ के खिलाफ पूरी तरह से कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दे दिया था।
योगी आदित्यनाथ का  ”माफिया को मिट्टी में मिला देंगे।” वाला बयान अतीक अहमद के परिवार पर कहर बनकर टूट रहा है। यह माना जा रहा है कि उमेश पाल हत्याकांड अतीक अहमद के लिए ताबूत में आखिरी कील साबित होगा। दरअसल योगी आदित्यनाथ का गुस्से की बड़ी वजह यह है कि जहां पूरा देश उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का लोहा मान रहा है, वहीं अतीक परिवार पर अवैध कमाई और संपत्ति पर कार्रवाई होने के बावजूद खुलेआम उमेश पाल की हत्या करा दी गई।

दरअसल अपराध की दुनिया में अतीक अहमद ने अपना पहला कदम 1979 में रखा था। उस समय एक हत्या के आरोपी के तौर पर वह चर्चित हुआ था। इसके बाद 1989 में उसने अपनी इसी दुर्दांत छवि के साथ राजनीति की दुनिया में कदम रखा। उसी साल अतीक ने इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक के रूप में जीत हासिल की थी। इसके बाद 1991 और 1993 में इस सीट पर अपनी जीत बरकरार रखी। 1996 में अतीक ने सपा उम्मीदवार के रूप में उसी सीट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1998 में सपा ने बाहुबली को बाहर का रास्ता दिखा दिया लेकिन 1999 में वह अपना दल में शामिल हो गया और प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा लेकिन यहां हार का मुंह देखना पड़ा।

अतीक ने 2002 के विधानसभा चुनाव में अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2003 में अतीक फिर से सपा के पाले में लौट आया और 2004 के लोकसभा चुनावों में फूलपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की। जनवरी 2005 में अतीक उस समय सुर्खियों में आया, जब बसपा विधायक राजू पाल की प्रयागराज में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2005 में इस सीट पर उप चुनाव कराए गए, जहां अशरफ ने राजू पाल की पत्नी और बसपा उम्मीदवार पूजा पाल को हराकर चुनाव जीता था। अशरफ ने फिर से सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन इस बार बसपा की पूजा पाल ने उसे पटखनी दे दी।
अशरफ राजू पाल हत्याकांड में आरोपी भी था और मौजूदा समय में बरेली जेल में बंद है। पांच साल बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में अतीक ने फिर से उसी सीट से अपना दल से अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन बसपा की पूजा पाल से 8,885 मतों के अंतर से हार गया। अतीक ने 2014 में सपा के टिकट पर श्रावस्ती से चुनाव लड़ा लेकिन वहां भी उसे हार ही नसीब हुई, यहां से मन नहीं भरा तो अतीक अहमद ने 2019 के लोकसभा चुनावों में वाराणसी से नामांकन दाखिल कर दिया। यहां पर तो उसे मात्र  885 वोट ही मिले।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, अतीक के खिलाफ दर्ज 100 एफआईआर में से 54 मामले यूपी की अलग-अलग अदालतों में विचाराधीन हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार के तहत गैंगस्टरों के खिलाफ लगातार जारी अभियान में, अतीक और उसके परिवार के सदस्यों की 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति गैंगस्टर एक्ट के तहत कुर्की की जा चुकी है।

एक समय ऐसा भी था जब अतीक का दबदबा प्रयागराज के अलावा कौशांबी, लखनऊ और नोएडा के रियल स्टेट से जुड़े धंधों पर हुआ करता था। अब उसी अवैध संपत्तियों की परतें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उधेड़ रहा है। प्रयागराज जिला पुलिस और यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स भी राज्य भर में अतीक के परिवार के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों का विवरण संकलित करने के लिए ओवरटाइम काम कर रही है।

अतीक अहमद के परिवार का राजनीतिक वजूद भी खत्म होने की ओर है। दरअसल जनवरी माह में अतीक की पत्नी शाइस्ता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में बसपा में शामिल हुई थीं। अतीक की पत्नी ने शहरी निकाय चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी थी। वैसे प्रयागराज हत्याकांड के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत करने के बाद अब बसपा में भी उनका कोई भविष्य नहीं माना जा रहा है, जहां से भी शाइस्ता को टिकट नहीं मिल रहा है।  कहा जा रहा है कि अतीक अहमद का दुःसाहस उसी को महंगा पड़ रहा है। उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद, उसके परिवार और उसके गिरोह पर सीएम योगी आदित्यनाथ की निगाहें पूरी तरह से टेढ़ी हो गई हैं।

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