नहीं होगा लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की य़ाचिका
There will be no registration of live in relationship, Supreme Court rejected the petition
नई दिल्ली, 21 मार्च। लिव इन रिलेशन के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था बनाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दी। कोर्ट ने इसे अव्यवहारिक बताया है। याचिका में श्रद्धा वालकर और निक्की यादव हत्याकांड का हवाला दिया गया था। इसमें कहा गया था कि गोपनीय तरीके से चल रहे ऐसे संबंध लगातार जघन्य अपराध की वजह बन रहे हैं। याचिका में कहा गया था कि गोपनीय तरीके से चल रहे ऐसे संबंध लगातार जघन्य अपराध की वजह बन रहे हैं।
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील से पूछा कि वह क्या चाहते हैं। लिव इन संबंधों का रजिस्ट्रेशन कहां होगा? वकील ने कहा कि केंद्र सरकार को इसके लिए व्यवस्था बनानी चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने याचिका को सुनने से मना करते हुए खारिज कर दिया।
हालंकि सुप्रीम कोर्ट की वकील ममता रानी की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि लिव इन पार्टनर्स की सुरक्षा के लिए उनके संबंध की जानकारी पुलिस के पास होना ज़रूरी है। लिव इन में रह रहे लोगों की संख्या की जानकारी जुटाई जानी चाहिए। यह जानकारी तभी मिल सकेगी, जब लिव इन रिलेशन का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा। याचिका में यह भी कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने कई आदेशों में खतरे का सामना कर रहे लिव इन रिलेशन में रह रहे लोगों को सुरक्षा दी है। इस तरह के संबंधों को मौलिक अधिकारों के दायरे में माना है। लेकिन अभी ऐसे संबंधों के रजिस्ट्रेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। लिव इन पार्टनर्स की सुरक्षा के लिए उनके संबंध की जानकारी पुलिस के पास होना ज़रूरी है। सुप्रीम कोर्ट की वकील ममता रानी की याचिका में लिव इन में रह रहे लोगों की संख्या की जानकारी जुटाने की भी मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की दलील थी लिव इन रिलेशंस की संख्या की जानकारी के बारे में दलील दी थी कि यह जानकारी तभी मिल सकेगी जब लिव इन रिलेशन का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा।
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