चेतन पाठक
देश और पूरी दुनिया में कोरोना के कहर को एक साल से ज्यादा हो गए है। चाइना से शुरू हुए इस वायरस ने अब तक ना जाने कितने लोगों को अपनी आगोश में ले लिया। एक साल पहले देश में कोरोना का जो भयावह मंजर देखा था। इस बार फिर मंजर 2021 में देखने को मिल रहा है। इस महामारी ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपना कोहराम मचा रखा है। इसके बावजूद लोगों में इस महामारी को लेकर कोई गंभीरता दिखाई नहीं दे रही है।
महामारी के दौरान रेलवे का हाल
पिछले साल महामारी के कारण बड़ी संख्या में मजदूरों व अन्य कामगारों ने रेल के जरिए पलायन किया था, जहां न तो मास्क का कोई ख्याल रखा गया और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का। तब भी इस मुद्दे को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे और आज फिर वही सवाल दोबारा सामने आकर खड़े हो गए है। इस साल फिर से कोरोना का ग्राफ लगातार तेजी पकड़ रहा है। केवल 24 घंटों में आने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या डेढ़ लाख तक पहुंच चुकी है। ऐसे में जहां एक तरफ देश में चुनावों के कारण नेताओं की रैली में भारी भीड़ जुट रही है, वहीं रेल से सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा की तरफ रेलवे ने ध्यान देना बंद कर दिया है।
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कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पोस्टर एडवर्टाइजमेंट एक आसान साधन होता है, जिसकी हालत यहां बत से बत्तर हो गई है। वहीं रेल के डिब्बों में और स्टेशनों पर भी साफ सफाई पर कोई खासा ध्यान नहीं रखा जा रहा है। आखिर क्या कारण है कि लगातार बढ़ती इस महामारी के बीच विश्व की सबसे बड़ी रेल व्यवस्था अपने यात्रियों के बचाव के लिए उन्हें जागरूक नहीं कर पा रही है। यात्रियों को जागरूक करना तो दूर खुद कोरोना के नियमों का पालन नहीं कर रही है।
बैंकों में बढ़ती लापरवाही
यह हाल सिर्फ रेलवे का नहीं है बल्कि बैंकों का भी यही हाल है जहां ना कोई साफ सफाई, न कोई रोक टोक, न कोई सोशल डिस्टेंसिग कुछ नहीं बस भीड़ जमा हो रही है। ऐसे में लापरवाही के चलते कोरोना से लड़ने की बजाय उसे भारत में और कोहराम मचाने के लिए न्योता दिया जा रहा है। न तो लोग इसकी गंभीरता को समझ रहे हैं और न ही नेता।
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