वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का आकस्मिक निधन, मीडिया जगत शोक में

Sudden demise of senior journalist Ved Pratap Vaidik, media world mourns

वरिष्ठ पत्रकार और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जाने माने विशेषज्ञ वेद प्रताप वैदिक का आज निधन हो गया। वे ७८ वर्ष के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह नहाते समय बाथरूम में गिर गए थे। इसके बाद उन्हें गुरुग्राम के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 

Sudden demise of senior journalist Ved Pratap Vaidik, media world mourns
नई दिल्ली, 15 मार्च। डॉ. वेदप्रताप वैदिक की गणना उन लेखकों और पत्रकारों में होती है, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया। डॉ.वैदिक का जन्म ३० दिसंबर १९४४ को इंदौर में हुआ था। वे रूसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा के भी जानकार थे। डॉ. वैदिक ने 1958 में अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की थी। उन्होंने अपनी पीएचडी के शोध कार्य के दौरान न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मॉस्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडी’ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया।
डॉ. वैदिक ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडी’ से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर रिसर्च पेपर हिंदी में लिखा । इसी कारण जेएनयू से उनका निष्कासन हुआ। 1965-66 में इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि संसद में इस पर चर्चा हुई। इसके अलावा वेद प्रताप वैदिक एक विवाद की वजह से खूब चर्चा में आए थे. दरअसल डॉ वैदिक ने साल २०१४ में खूंखार आतंकी हाफिज सईद से मुलाकात की थी। जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था।

यह पत्रकारिता के साथ सार्वजनिक जीवन के लिए बहुत बड़ी क्षति है। हमारे बीच से मातृभाषा हिन्दी के सशक्त पैरोकार और आजीवन इसके लिए काम करने वाला व्यक्तित्व चला गया। वैदिक जी की पकड़ हमारे जीवन से जुड़े हर विषय पर थी। उनकी भाषा और अभिव्यक्ति की शैली अनूठी थी। कम शब्दों में प्रभावी तरीके से बात करने की उनकी कला अलग ही थी। भौतिकता से परे संबंधों को निभाते रहे । लेखन और सादगी का एक और स्तम्भ, ईश्वर की परम आत्मा में लीन हो गई। अच्छे लेखन का अपना महत्व है, जन भावनाओ और देश को दिशा देने वाले मुर्धन्य पत्रकार थे वैदिक जी। भारतीय भाषाओं के प्रबल पैरोकार का गुजरना भारतीय भाषाओं और भारतीयता के लिए बड़ी क्षति है। उनके निधन पर विभिन्न गणमान्य लोगों ने शोक जताया है।

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