Friday, October 11, 2024
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Noida :15 हजार वेतन पाने वाले आपरेटर ने किया था 67 करोड़ लोगों का डाटा लीक, एक साल में 81 मामले आए सामने

 
ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स अमेजन प्राइम का आनलाइन सब्सक्रिप्शन लेकर फिल्म देखने वाले लोग भी ठगों के रडार पर। लीक डाटा की 135 अलग-अलग कैटेगिरी में बनाई गई सूची सेना के दो लाख 55 हजार लोगों का डाटा अब तक हो चुका है लीक

ग्रेटर नोएडा । देश के 67 करोड़ लोगों का डाटा लीक हो चुका है। यह डाटा साइबर ठगों के हाथ लग गया है। यदि आप आनलाइन बैंकिंग, कैब का प्रयोग, ओटीटी प्लेटफार्म पर फिल्म, आनलाइन बैंकिंग, पेटीएम, जोमेटो का प्रयोग करते है तो सावधान हो जाइए। हैरानी की बात यह है कि 67 करोड़ लोगों का डाटा 15 हजार का वेतन पाने वाले आपरेटर सोहेल व मदन ने लीक किया है।

इंस्पायरवेब्ज वेबसाइट पंजीकृत कराकर डाटा बेचने का किया काम

यह जानकारी तेलंगाना की साइबराबाद पुलिस को डाटा लीक करने के आरोप में पकड़े गए व्यक्ति विनय भारद्वाज से पता चली है। विनय को डाटा सोहेल व मदन ने उपलब्ध कराया था। सोहेल व मदन बैंक में क्रेडिट कार्ड बनवाने समेत कई अन्य कंपनियों में डाटा एंट्री आपरेटर का काम कर चुके है। सोहेल व मदन से डाटा लेकर विनय ने हरियाणा के फरीदाबाद के पते पर इंस्पायरवेब्ज वेबसाइट पंजीकृत कराकर डाटा बेचने का काम किया है। डाटा खरीदने के लिए पिछले 48 घंटे में हर 38 सेकेंड पर गूगल पर इंस्पायरवेब्ज वेबसाइट को सर्च किया गया है।

दरअसल, तेलंगाना की साइबराबाद पुलिस ने शनिवार को दिल्ली-एनसीआर समेत देश के 24 राज्यों के 67 करोड़ों लोगों का डाटा चुराने वाले आरोपित विनय भारद्वाज को गिरफ्तार किया। तेलंगाना पुलिस ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा की गुरुग्राम व फरीदाबाद पुलिस से संपर्क कर जानकारी दी है कि पकड़े गए आरोपित विनय भारद्वाज के पास निजी कंपनियों के अलावा भारतीय सेना, परिवहन, जीएसटी समेत कई अन्य सरकारी विभागों का डाटा मिला है। इसका सबसे बड़ा कारण अस्थाई कर्मचारियों द्वारा बैंक व सरकारी संस्थानों में बतौर आपरेटर के रूप में नौकरी करना है।

हर कंपनी व विभाग थर्ड वेंडर को डाटा सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी देता है। 15 हजार का वेतन पाने वाला आपरेटर ने करोड़ों का डाटा लीक कर दिया। चंद रुपयों के लालच में डाटा साइबर फ्राड करने वाले लोगों को बेचा जा रहा है। जांच में डाटा लीक की 135 कैटेगिरी में बनाई गई सूची मिली है। डाक्टर, इंजीनियर, रियल स्टेट, सेना सबको अलग-अलग कैटेगिरी में रखा गया है। एनआरआइ लोगों का डाटा भी आरोपित के पास मिला है।

एसटीएफ ने आरबीआइ को लिखा पत्र

ऐसा पहली बार नहीं है कि डाटा लीक के मामले में देश में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। पूर्व में भी कार्रवाई हुई है। नोएडा एसटीएफ डाटा लीक के मामले में आरबीआइ को पत्र लिख चुकी है। पत्र में नोएडा व फरीदाबाद को डाटा चोरी के मामले में बेस बताया गया है। दोनों जगह एक हजार से अधिक कंपनियों का डाटा अब तक चोरी हो चुका है। पिछले दिनों नोएडा में ही 16 करोड़ लोगों के डाटा चोरी का मामला प्रकाश में आया था। इस पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है। डाटा चोरी के मामले में महज 420 की धारा लगती है जिसमें आरोपित को जल्द जमानत मिल जाती है।

छात्र, इंजीनियर, प्रबंधक व सैलरी वाले कर्मचारी भी शामिल

जिन लोगों का डाटा लीक हुआ है उसमें दसवीं, 12वीं, बीटेक, नीट, कैट, एमटेक के छात्र व सैलरी वाले कर्मचारी जैसे इंजीनियर व प्रबंधक भी शामिल है। डाक्टरों का डाटा भी आरोपित के पास मिला है। इनकी कुल संख्या साढ़े चार लाख के करीब है।

 

फरीदाबाद से पहली बार हुई गिरफ्तारी

पुलिस की साइबर शाखा के नोडल अधिकारी नितिश अग्रवाल के अनुसार फरीदाबाद से डाटा चोरी के मामले में पिछले तीन सालों में पहली बार किसी की गिरफ्तारी हुई है। उन्होंने बताया कि डाटा चोरी रोकने के लिए हर मुकदमे में यह देखा जाता है कि डाटा कहां से लीक हुआ। जिस कंपनी का डाटा लीक हुआ होता है, उसके अधिकारियों को बुलाकर बताया जाता है कि आपके साफ्टवेयर या एप में कहां कमी है, जिसकी वजह से डाटा चोरी हो रहा है।

पिछले तीन सालों में इस तरह 100 से अधिक लोगों को डाटा लीक के विषय में बताकर उनकी कमी दूर कराई गई है। साइबर थाना पुलिस अपने स्तर पर जिले में फैक्ट्री, कंपनी मालिकों, सरकारी व निजी कार्यालयों को जागरूक करने के लिए शिविर आयोजित करती है। उन्हें डाटा सुरक्षित रखने के जरूरी उपाय बताए जाते हैं।

एक साल में 81 मामले आए सामने

उत्तर प्रदेश में अलग-अलग कोतवाली, साइबर थाना और साइबर सेल में बीते एक साल में डाटा चोरी के करीब 81 मामले सामने आए है। इसमें से महज दस से 15 फीसद मामले में ही आरोपितों की गिरफ्तारी हो सकी है। ठगी गिरोह संचालित करने वाले शातिर अलग-अलग वेबसाइट और एजेंट के माध्यम से लोगों का डाटा हासिल करते हैं और बाद में उन्हें फोन कर विविध प्रकार का प्रलोभन देकर ठगी का शिकार बनाते हैं।

डाटा लीक होने पर यह जानकारी साइबर ठग तक पहुंच जाती है
-पूरा नाम

– पैन कार्ड नंबर

– आधार कार्ड नंबर व पता फोटो के साथ

– ईमेल आइडी

– मोबाइल नंबर

– डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड नंबर

– इनकम टैक्स डिटेल

– जन्मतिथि

नोएडा में डाटा लीक के बड़े मामले सेक्टर 58 कोतवाली क्षेत्र में संचालित हार्ड शेल टेक्नोलाजीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक ने कंपनी के तीन पूर्व अधिकारियों पर कंपनी का डाटा और शेयर चोरी करने का आरोप लगाया था। धोखाधड़ी और आइटी एक्ट में केस दर्ज हुआ था। सेक्टर 39 कोतवाली क्षेत्र में संचालित स्माइल इंडिया ट्रस्ट नाम की संस्था का डाटा कृष्ण मोहन और उज्जवला बाजपेई ने चोरी कर लिया और उसे ठगों को बेच दिया। फेज दो कोतवाली क्षेत्र में संचालित मेसर्स यूनाइटेड कंपनी का डाटा मोहित कुमार और कुलदीप सिंह नाम के व्यक्ति ने चोरी कर लिया। इससे कंपनी को आर्थिक नुकसान हुआ।

प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह, एसपी साइबर क्राइम, उत्तर प्रदेश ने बताया कि डाटा लीक के संबंध में जानकारी मिली है। हर संस्थान चाहे वह सरकारी कालेज हो या फिर निजी कंपनी। हर जगह साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। किसी भी अंजान व्यक्ति का फोन आए तो उससे बात न करें। वह बातों में उलझा कर ठगी कर लेगा। साइबर फ्राड से बचने के लिए जागरूकता ही एकमात्र उपाय है।

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