प्रियंका आनंद
आज पूरा विश्व कोरोना की महामारी से जूझ रहा है, जिस कारण मानव जीवन पूरी तरह से अस्त—व्यस्त हो गया है! हर क्षेत्र पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है, जिनमें एक है बच्चों की शिक्षा।
तख्ती—स्लेट पर पढ़ाई की बातें सदियों पुरानी हो गई। अब सूचना क्रांति के दौर में उनका स्वरूप अत्याधुनिक हो गया है। वे आज के जमाने की डिजिटल तख्तियां और स्लेट बन गए हैं। वे मोबाइल और टैबलेट के रूप में बच्चों के हाथों में है। ऑनलाइन पढ़ाई का चलन आ गया है, जिसे कोरोना काल में और मजबूती मिली है। ऑनलाइन सिस्टम का जबरदस्त प्रसार हुआ है।
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शिक्षा के क्षेत्र में ऑनलाइन के योगदान को काफी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है। इसके कई रूप हैं। घर बैठे स्कूल के टीचर से पढ़ाई करने से लेकर पाठ्य—पुस्तकों के चैप्टर के वीडियो, ग्राफिक्स और टेक्स्ट कंटेंट तक की सहुलियतें मिल गई हैं। ऑनलाइन का यह स्वरूप शिक्षा क्षेत्र में क्रन्तिकारी परिवर्तन लेकर आया है। ऑनलाइन एजुकेशन ने स्कूल जाने की बाध्यता ख़तम कर दी है। अब हम घर बैठ कर भी ऑनलाइन क्लासेज ले सकते हैं। जिससे न सिर्फ हमारा समय बचता है, बल्कि यातायात के खर्च की भी बचत होती है।
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यह परंपरागत शिक्षा से अलग होकर भी माता—पिता द्वारा मिलने वाली प्राथमिक शिक्षा को पूरा करने में सक्षम है। कहीं उससे चार कदम आगे ही है। परंपरागत शिक्षा में बच्चे की सुरक्षा माता—पिता की बुनियादी चिंता थी, लेकिन ऑनलाइन एजुकेशन ने उन्हें चिंतामुक्त कर दिया हैं। ऑनलाइन एजुकेशन आने के बाद समय की काफी बचत हो रही हैं। साथ ही माता—पिता को इस बात की भी तसल्ली होती है कि उनका बच्चा उनके सामने ही पढ़ाई कर रहा है।
कोरोना काल के चलते सभी स्कूलों की पढाई अब ऑनलाइन तरीके से हो रही हैं।
जहां एक तरफ ऑनलाइन एजुकेशन हम सब के लिए वरदान साबित हुई है, वहीं दूसरी ओर इसमें कुछ खामियां भी हैं। बच्चो को अपनी पढ़ाई के कारण घंटो स्क्रीन के आगे बैठना पड़ता है, जिस कारण उनकी आँखों की रौशनी पर बुरा असर पड़ता है। एक ही जगह बैठे रहने के कारण उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर देखने को मिला है।ऑनलाइन सिस्टम के आने से हमारे देश की क्वालिटी ऑफ़ एजुकेशन पर भी असर देखने को मिला है। कॉलेजेस में भी ऑनलाइन एजुकेशन ही स्टुडेंट का एकमात्र सहारा है। पढ़ाई से लेकर परीक्षा के पेपर की तैयारी तक सभी काम ऑनलाइन तरीके से ही किए जाते हैं।
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अब सवाल यह उठता हैं कि क्या हमारा देश इस प्रकिया को पूरी तरह से अपनाने में सक्षम है? क्या हमारे देश के शिक्षक और स्टुडेंट ऑनलाइन सिस्टम के लिए पूरी तरह से फिट हैं ? इस स्तर पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। आनलाइन पढ़ाई के लिए आवश्यक संसाधनों में इंटरनेट, स्मार्टफोन, कंप्यूटिंग की बेसिक जानकारी और एप्लीकेशन इस्तेमाल संबंधित सुविधाओं पर ध्यान दिया जाना जरूरी हो गया है। इस नई प्रणाली को ग्रामीण स्तर तक सभी के लिए मुहैया करवाना की जिम्मेदारी सरकारों की बनती है। ऐसा नए सिरे शिक्षा नीति बनाकर पहल किया जाना चाहिए। जरूरी यह भी है कि ऑनलाइन एजुकेशन के साथ—साथ जहाँ तक हो सके ऑफलाइन एजुकेशन को भी अपनाया जाना चाहिए ताकि हमारे देश के बच्चे न केवल बंद दरवाज़ों में ही सिमित हो कर रहें, बल्कि उन्हें बहार की दुनिया की भी जानकारी होती रहे।
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