दिल्ली की मेयर फुल ‘एक्शन’ में, क्या इसी तरह की फायरब्रांड मेयर चाहिए थी दिल्ली वालों को?

Mayor of Delhi in full 'action', did the people of Delhi want such a firebrand mayor?

एमसीडी पर आप पार्टी का कब्जा हो गया है और इस साम्राज्य की महारानी हैं मेयर शैली ओबेरॉय। उनका साथ दे रहे हैं डिप्टी मेयर  आले मोहम्मद इकबाल यानी अब एमसीडी इनके कहने पर चलने वाली है और वो हैं भी पूरे एक्शन में। 

नई दिल्ली, 22 मार्च। दरअसल दिल्ली की मेयर बनते ही ‘एक्शन’ में आ चुकी हैं शैली ओबेरॉय। कभी लैंडफिल साइट का दौरा तो कभी विभि न्कोन विभागों के साथ उनकी मीटिंग्स इन दिनों खासी चर्चा में हैं। हो भी क्यों न आखिर उनके पास दिल्ली के सीए जितना पावर जो है। जी हां सही सुना आपने दिल्ली के सीएम जितना पावर और कई मामलों में सीएम से ज्यादा। कैसे? हम बताते हैं।  दिल्ली की महापौर शैली ओबेरॉय ने कार्यभार संभालने के बाद एमसीडी सदन में कहा था कि हम 10 गारंटियों पर काम करेंगे जिसका चुनाव में वादा किया था। अब वह इसी दिशा में बढ़ती दिख रही हैं। उनको दो बेनिफिट हैं। एक तो दिल्ली में मेयर के पास कई शक्तियां हैं। और दूसरी जिस प्रकार दिल्ली सरकार और एलजी के बीच खींचतान देखने को मिलती है एमसीडी उससे अछूती है।

दिल्ली मेयर के पास कैसी शक्तियां हैं उसको ऐसे समझा जा सकता है। नगर निगम से जुड़ा कोई भी फैसला लेने के लिए मेयर स्वतंत्र है। सबसे खास बात है कि उसकी ओर से लिए गए किसी भी फैसले की फाइल को एलजी या केंद्र के पास भेजने की जरूरत नहीं है। निगम का सदन सर्वोच्च होता है और उसका अपना एक अलग अच्छा खासा बजट होता है। साथ ही इस बजट के पैसे को खर्च करने की स्वतंत्रता होती है।  निगम के सदन में कोई प्रस्ताव पास होता है तो उसके बाद वह सीधे लागू हो जाता है। प्रॉपर्टी/हाउस टैक्स, साफ-सफाई, निगम के अधीन आने वाली सड़के, प्राइमरी स्कूल, उसके अधीन आने वाले हॉस्पिटल पर फैसला सीधे लागू होता है।

दिल्ली में एलजी, दिल्ली सरकार, एमसीडी, एनडीएमसी अलग- अलग इकाइयां हैं। इन जगहों पर अलग-अलग लोगों का कंट्रोल है। हालांकि कई बार लोग यह सवाल भी पूछते हैं कि मेयर अधिक शक्तिशाली या दिल्ली के सीएम। देश की राजधानी दिल्ली में मेयर की शक्तियों को देखा जाए तो यह एक अहम पद है। शक्तियों के लिहाज से देखा जाए तो कुछ मामलों में दिल्ली के सीएम से भी अधिक शक्तियां होती हैं। मेयर नगर निगम के किसी से जुड़ा कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।  मेयर की ओर से लिया गया कोई फैसला एलजी या सेंटर के पास भेजने की जरूरत नहीं होती। किसी भी कर्मचारी और अधिकारी के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार मेयर के पास होता है।

तो आसा की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में दिल्ली को एक बेहतर जगह बनाने के लिए महापौर और उप महापौर चौबीसों घंटे काम करेंगे और उन सपनों को साकार करने में मदद करेंगे जो अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों को दिखाए हैं। दिल्ली वालों को भी दिल्ली के पेरिस बनने का बेसब्री से इंतजार है। अब बस बहाने कम और काम ज्यादा होते देखना चाहते हैं दिल्ली वाले। देखते हैं उनका सपना फायरब्रांड मेयर पूरा कर पाती हैं या नहीं।

 

 

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