Friday, May 17, 2024
HomeदेशKisan Andolan : आजादी के बाद की सर्वाधिक किसान विरोधी है मोदी...

Kisan Andolan : आजादी के बाद की सर्वाधिक किसान विरोधी है मोदी सरकार : डॉ. सुनीलम

अपनी पत्रिका ब्यूरो 

किसान संघर्ष समिति की 302वीं किसान पंचायत किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम की अध्यक्षता में किसंस कार्यालय मुलतापी, जिला बैतूल में संपन्न हुई। सुबह 9 बजे किसंस प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक हुई। 10 से 12 बजे तक संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े मध्यप्रदेश सहित अलग अलग राज्यों के विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ऑनलाइन किसान पंचायत संपन्न हुई। किसान पंचायत में पंजाब से हिंद किसान सभा (अजय भवन) के अध्यक्ष बल करण सिंह बराड़, उत्तर बिहार संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष प्रो.आनन्द किशोर, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा के प्रदेश उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह, पंजाब किसान यूनियन के महासचिव गुरनाम सिंह भिखी, छत्तीसगढ़ से अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही, सिहोर से अ.भा किसान सभा, मध्यप्रदेश के प्र.महासचिव प्रह्लाद दास वैरागी, जबलपुर से बरगी बांध विस्थापित संघ के राजकुमार सिन्हा, संकिमो, रीवा के संयोजक एड. शिवसिंह, सागर से भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन के प्र.अध्यक्ष संदीप ठाकुर, छतरपुर से किसान क्रांति के अध्यक्ष दिलीप शर्मा, किसंस की उपाध्यक्ष एड.आराधना भार्गव, प्रदेश सचिव श्रीराम सेन, राजकुमार नागेश्वर, सीधी सिंगरौली क्षेत्र संयोजक निसार आलम अंसारी, रीवा से किसंस जिलाध्यक्ष ललित मिश्रा, सिवनी से जिलाध्यक्ष रामकुमार सनोडिया, सागर से जिलाध्यक्ष अभिनय श्रीवास, ग्वालियर से जिला उपाध्यक्ष शत्रुघन यादव आदि ने संबोधित किया।

किसान पंचायत में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने 20 मार्च को संसद पर आयोजित किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में भागीदारी करने का निर्णय लिया ।
विभिन्न राज्यों और संगठनों के किसान नेताओं ने संयुक्त किसान मोर्चा को देशभर में किसान मुक्ति यात्रा निकालने का सुझाव दिया।
किसान पंचायत को संबोधित करते हुए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह सरकार स्वतंत्र भारत की सबसे ज्यादा किसान विरोधी सरकार है। देश में अडानी और अंबानी को अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कार्य कर रही है। मोदी सरकार मोदानी महा घोटाले के आरोपी गौतम अडानी की गिरफ्तारी तो दूर जेपीसी की जांच तक कराने को तैयार नहीं है।
किसान नेताओं ने कहा कि रोजगार के अभाव में गांव से युवाओं और मजदूरों का पलायन हो रहा है जिससे खेतों में काम करने के लिए किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इसके लिए मनरेगा को किसानी से जोड़ा जाना जरूरी है।
किसान वक्ताओं ने कहा कि कार्पोरेट को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों की मनमाने तरीके से जमीने दी जा रही है। जिससे कई छोटे-बड़े किसानों की किसानी खत्म हो रही है। जिसका उचित मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है । विरोध करने पर किसानों पर फर्जी मुकदमे लाद दिए जाते हैं।
जहां एक ओर किसानों की लागत में वृद्धि हुई है वहीं दूसरी तरफ किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है । सरकार ने बिजली महंगी कर दी है जिससे किसानों की लागत में और वृद्धि हो गई है। सरकार किसान ,किसानी और गांव को खत्म करने पर अमादा है।
किसान नेताओं ने कहा कि बजट में किसानों को राहत देने के लिए कोई विशेष पैकेज नहीं दिया गया है। किसानी के बजट को 3.8 प्रतिशत से घटाकर 3.2 प्रतिशत कर दिया गया है। जबकि किसानों की आबादी 65 प्रतिशत है।
मध्य प्रदेश के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि मुख्यमंत्री रोज घोषणा करते हैं लेकिन कर्ज माफी के नाम पर एक शब्द नहीं कहते हैं। मुख्यमंत्री ने डिफाल्टर किसानों का ब्याज भरने की विधानसभा में घोषणा की थी जो कि किसानों के साथ छलावा साबित हुआ है।
2018 के सोयाबीन का भावांतर और गेहूं का बोनस भी किसानों को नहीं दिया गया है। भूमि अधिग्रहण पर 4 गुना मुआवजा के कानून पर कोई अमल नहीं किया जा रहा है। 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 38 की अवहेलना की जा रही है।
इस वर्ष अक्टूबर-नवंबर में अतिवृष्टि से नष्ट हुई फसलों का किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया है और ना ही फसल बीमा का भुगतान किया गया।
महंगाई आसमान छू रही है। किसानों के पास जब गेहूं था तब 18 -20 रूपये किलो खरीदा जा रहा है लेकिन जब व्यापारियों के गोदामों में अनाज पहुंच गया तब दाम 30 से 35 रूपये किलो हो गया।
किसान पंचायत को किसंस की उपाध्यक्ष एड आराधना भार्गव, जिलाध्यक्ष जगदीश दोड़के, उपाध्यक्ष लक्ष्मण बोरबन, तहसील अध्यक्ष कृपाल सिंह सिसोदिया, तहसील उपाध्यक्ष कृष्णा ठाकरे (पूर्व सरपंच), बी आर घोरसे (सेवा निवृत्त शिक्षक), प्रेमसिंह चौहान (सेवा निवृत्त शिक्षक), मदन विजयकर, डखरु महाजन, मो.कय्यूम चौहान, गीता हारोड़े, दूर्गा सोलंकी, भुरेंद्र माकोड़े, हेमराज देशमुख आदि ने संबोधित किया।
बैठक में रग्घू कोड़ले, अजाबराव बनखेड़े, चैन सिंह सिसोदिया, तीरथ सिंह बलिहार, सहदेव मंडलेकर, देवीराम हजारे एवं भागवत परिहार आदि प्रमुख रूप से शामिल हुए।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments