Thursday, May 2, 2024
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कोलीकाता से कोलकाता बनने का सफ़र

1 जनवरी यानी नया साल अपने साथ कई नई उम्मीदें, खुशियां लेकर आता है। लोग पुराने साल की यादें समेंटे नए साल की शुरूआत, जीवन में आने वाली खुशियों की उम्मीद के साथ करते है। नए साल के मौके पर आईए याद करते है। आज के दिन की कुछ सुनहेरी यादें। 1 जनवरी 2001 को कोलकाता को उसका अधिकारीक नाम “कोलकाता” मिला था। हर शहर की अपनी कुछ न कुछ खासियत होती है। इस शहर की भी कई खासियत है जैसे दुर्गा पुजा, रसोगुल्ले, यहां की भाषा आदि। लेकिन इस शहर का नाम कैसे पड़ा यह जाने बगैर इसका इतिहास आधुरा है। ये वही शहर है जहां पहली बार मेट्रो दौड़ी थी।

आज भी ज्यादातर लोग कोलकाता को कलकत्ता या कैलकटा कहते है। पहले भी कोलकाता को कई अलग-अलग नामों से लोग पुकारते थे और आज भी लोग शहर के नाम को लेकर कई लोग उलझन में रहते है। इसी उलझन को सुलझाने के लिए सरकार ने शहर को 1 जनवरी को आधिकारीक नाम कोलकाता दिया गया। लेकिन कई लोग आज भी शहर के नाम को लेकर कंफ्यूज रहते है।

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कोलकाता को उत्तर भारत के लोग और हिंदी भाषा बोलने वाले कलकत्ता बोलते थे और बंगाली भाषा के लोग इसे कोलकाता या कोलीकाता बोलते थे और अंग्रेज शहर को कैलकटा बुलाते थे। हर शहर के नाम के पिछे कोई न कोई वजह है। शहर का बहुत पुराना इतिहास है। कोलीकाता नाम के पिछे भी एक कारण बताया जाता है। कहा जाता है कि इस शहर का नाम काली माता के नाम पर रखा गया है। इस शहर में एक पुराना काली मां का मंदिर भी है। इस मंदिर का निर्माण महारानी रासमनी ने 1855 में करवाया था। मंदिर की कई मान्यताएं है। लोग दुर- दुर से मंदिर में दर्शन के लिए वहां जाते है। कोलकाता भारत में सबसे पहले बसने वाले शहरों में से एक है। शहर का कोलकाता हाई कोर्ट देश का सबसे पुराना कोर्ट है।

दिल्ली के अलावा कोलकाता भी भारत की राजधानी रह चुका है। जब अंग्रेजों ने इस शहर को जीता तो उन्होंने कोलकाता को ब्रिटिश इंडिया की राजधानी बनाया था। कोलकाता 1772 से 1911 तक ब्रिटश इंड़िया की राजधानी रही, उसके बाद दिल्ली को राजधानी के रूप में चुना गया। तब से अब तक दिल्ली ही भारत की राजधानी है। इतिहास में चीन और फ्रांसीसी के व्यापारिक दस्तावेजों में कोलकाता बंदरगाह के रुप में दर्ज किया गया है। 

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