खबरदार, जेएनयू में अब बजायी डफली तो देना होगा जुर्माना
Beware, if you play tambourine in JNU, you will have to pay fine
नई दिल्ली, 2 मार्च। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के नए नियमों के अनुसार परिसर में धरना देने पर छात्रों पर 20 हजार रुपए तक का जुर्माना और हिंसा करने पर 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। नए नियमों के अनुसार किसी छात्र पर शारीरिक हिंसा, किसी दूसरे छात्र, कर्मचारी या संकाय सदस्य को गाली देने और पीटने पर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।साथ ही उनका दाखिला भी रद्द हो सकता है। नियमों के दस्तावेज के अनुसार, नियम 3 फरवरी को लागू हो चुके हैं। वहीं छात्रों और शिक्षकों ने नए नियमों के लिए विश्वविद्यालय की निंदा की है और इन्हें काला नियम करार दिया है।
ये गौर करने बात है कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (A) में अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार दिया गया है। वहीं अनुच्छेद 19 (1) (B) नागरिकों को अधिकार है कि वो अपनी मांग और किसी बात के विरोध के लिए शांतिपूर्ण तरीके से एक जगह इकट्ठा हों। पर धरना प्रदर्शन में किसी भी तरह की हिंसा न हो और प्रदर्शन के लिए पहले से अनुमति लेना जरूरी है। मौलिक अधिकारों का हवाला देकर अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के साथ ये भी जरूरी है कि सभी तरह के कानून का पालन किया जाए। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किसी भी नागरिक का मौलिक अधिकार है। पर संस्था अपने नियम स्वंम बना सकती है यह भी उनका मौलिक अधिकार है। इसी नियम के तहत जेएनयू के नियम बदले गए हैं।
दस पृष्ठ के ‘जेएनयू छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण नियम’ में विरोध प्रदर्शन और जालसाजी जैसे विभिन्न प्रकार के कृत्यों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। ऐसा करने पर 5 हजार रुपए से 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और दाखिला रद्द किया जा सकता है। दस्तावेज में कहा गया है कि विश्वविद्यालय की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था कार्यकारी परिषद ने नए नियमों को मंजूरी दे दी है।
संविधान कहता है कि धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जा सकती है अगर सुरक्षा को इससे किसी भी तरह का खतरा हो। अगर पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर इसकी वजह से असर पड़ने की आशंका हो। अगर आम जनजीवन के डिस्टर्ब होने का खतरा हो। अगर इससे अदालत की अवमानना का मामला बनता हो। अगर इससे देश की एकता और अखंडता को खतरा उत्पन्न होता हो। जेएनयू के प्रदर्शनों पर कई बार अगर इससे अदालत की अवमानना और देश की एकता और अखंडता को खतरा उत्पन्न करने का आरोप लगा है।
ये नियम ऐसे समय में लागू हुए हैं जब ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन का एक वृत्तचित्र दिखाए जाने को लेकर विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। ऐसे में इसे एजेंडा करार देने वाले भी कम नहीं हैं।
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