भारत सरकार ने नेशनल रेयर डिजीज पॉलिसी २०२१ के तहत लिस्टेड सभी रेयर बीमारियों के इलाज के लिए इंपोर्टेड दवाओं और स्पेशल फूड पर बेसिक कस्टम ड्यूटी खत्म कर दी है। इससे देश के उन लोगों को काफी राहत मिलेगी, जिनके परिवार का कोई मेंबर गंभीर बीमारी से पीड़ित है और उन्हें दवाएं इंपोर्ट करनी पड़ती है।
नई दिल्ली, 30 मार्च। इंपोर्ट ड्यूटी में छूट १ अप्रैल से लागू होगी। दवाओं पर आम तौर पर १० प्रतिशत की बेसिक कस्टम ड्यूटी लगती है, जबकि लाइफ सेविंग ड्रग की कुछ कैटेगरी पर ५% या ० प्रतिशत का कंसेशनल रेट लगता है। जबकि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के ट्रीटमेंट में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर पहले ही छूट मिल रही है। सरकार से अन्य रेयर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर राहत देने की मांग की जा रही थी।
इन बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं या स्पेशल फूड काफी ज्यादा महंगे होते हैं। इन्हें इंपोर्ट भी करना पड़ता है। मंत्रालय ने कहा कि यह अनुमान है कि १० किलोग्राम वजन वाले बच्चे के लिए कुछ क्रिटिकल बीमारियों के इलाज की एनुअल कॉस्ट १० लाख रुपए से लेकर १ करोड़ रुपए प्रति वर्ष से ज्यादा हो सकती है। इसमें ट्रीटमेंट जीवनभर चलता है। दवा की खुराक भी उम्र और वजन के साथ बढ़ती है।
इस छूट का फायदा उठाने के लिए, इंडिविजुअल इंपोर्टेर को सेंट्रल या स्टेट डायरेक्टर हेल्थ सर्विस या डिस्ट्रिक्ट मेडिकल ऑफि सर/सिविल सर्जन से एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली पेम्ब्रोलिजुमाब (कीट्रूडा) पर भी सरकार ने छूट दी है।