दिल्ली में 54 साल बाद फरवरी रहा सबसे गर्म, अल नीनो की वापसी से पड़ेगी भीषण गर्मी

The hottest February in Delhi after 54 years, the return of El Nino will cause scorching heat

नई दिल्ली, 21 फरवरी। जिस तरह सर्दियों ने रिकार्ड तोड़ा है वैसे ही गर्मियों का आगाज भी बता रहा है कि इस साल गर्मियां भी अपने चरम पर होंगी। साल 2023 के लिए मौसम विज्ञानियों का पूर्वानुमान है कि इस साल अल नीनो का प्रभाव देखने को मिलेगा। इससे प्रशांत महासगार और उसके आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ी हुई मिलेगी और यहां से चलने वाली हवाएं भी प्रभावित होंगी जिससे भारत और दुनिया के कई हिस्सों के मौसम पर असर देखने को मिलता है।

मौसम वैज्ञानिकों ने यह अनुमान फरवरी में पड़ रही गर्मी को देखकर लगाया है। फरवरी के आखिरी सप्ताह का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है जो आमतौर पर ऐसा मार्च या अप्रैल में देखने को मिलता है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में तापमान में इजाफा ही होगा। यानी इस साल भी दिल्ली वालों को गर्मी बेहाल करेगी।

अल नीनो विशेष रूप से प्रशांत महासागर और उसके आसपास भीषण गर्मी का असर देने के मशहूर है जिससे दुनिया के अधिकांश हिस्से प्रभावित होते हैं और इसका असर भारत पर भी पड़ता है। इसकीवजह से पेरू से इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया तक लंबे सूखे का मौसम देखने को मिलता है। इस प्रक्रिया को पहली बार 19वीं सदी की शुरुआत में देखा गया था जब दक्षिणी अमेरिका की प्रशांत महासागरीय तट पर गर्म महासागरीय धाराएं हर कुछ सालों में देखने को मिलने लगीं। यह गर्म मौसम क्रिसमस के आसपास आता है और इसी लिए इस प्रभाव का नाम जीजस क्राइस्ट के पैदा होने के संदर्भ में स्पेनी शब्द अल नीआओ  के नाम पर रखा गया जिसका मतलब लड़का होता है।

जलवायु परिवर्तन ने पूरी दुनिया पर व्यापक तौर पर असर डाला है। कुछ असर लंबे समय तक होते है तो कुछ मौसमी।  वहीं अल नीनो और ला नीनो जैसे प्रभाव ऐसे हैं जो हर साल या हर मौसम में नहीं दो तीन साल में एक बार अपना प्रभाव दिखाते हैं और दुनिया के बहुत से हिस्सों में मौसम का रौद्ररूप देखने को मिलता है। जहां साल 2022 में इनका ला नीना का कुछ असर देखने को मिला था इसके बाद भी दुनिया के बहुत से क्षेत्रों में भीषण गर्मी, जंगल की आग जैसी घटनाएं देखने को मिली थी। अब वैज्ञानिकों ने सभी की चिंता बढ़ाते हुए ऐलान किया है कि इस 2023 में अल नीनो तीन साल बाद वापसी करेगा। वैज्ञानिकों का साफ मानना है कि अल नीनो की वापसी दुनिया भर के देशों के लिए 1।5 डिग्री सेल्सियस की गर्मी के को कम करने प्रयासों को बहुत ही ज्यादा मुश्किल बनाने वाली होगी।  अल नीनो एक चक्रीय पर्यावरणीय स्थिति है जो प्रशांत महासागर के भूमध्य क्षेत्र में शुरू होती है जो महासागर और वायुमंडल की अंतरक्रियाएं महासागर के सतही तापमान, बारिश, वायुमंडलीय दाब, धाराएं आदी में बदलावों का कारण बनती हैं।

 

मौसम के तेज बदलाव के बीच मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार मार्च महीने में ही तापमानी 40 डिग्री तक जा सकता है। इस बार अधिक तपिश के चलते समय से पहले फसलें पक सकती हैं। पिछले वर्ष मार्च में आया मौसम में बदलाव अभी से जोर पकड़ने लगा है। सीएसए के मौसम विभाग ने पिछले पांच दशकों के डेटा का अध्ययन किया है।

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