Saturday, April 27, 2024
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दिल्ली में बढ़ गया है ड्रग्स का कारोबार, तस्करी कर करोड़ों की ड्रग्स लाई जाती है दिल्ली

नई दिल्ली, 21 फरवरी। दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रहे नशे के कारोबार से युवाओं के बीच नशे का चलन बढ़ता जा रहा है। दिल्ली पुलिस के लाख प्रयासों के बाद भी राजधानी में नशे का कारोबार तेजी बढ़ा है। नशे के सौदागर नए-नए रास्तों से दिल्ली ही नही बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में ड्रग्स तस्करी कर पहुंचा रहे हैं। वहीं पुलिस के आंकडों की मानें तो 2022 में नशीले पदार्थों की तस्करी छह सालों की तुलना में सबसे अधिक है।

दिल्ली-एनसीआर में नशे का काला कारोबार जिस तरह से पैर पसार रहा है वह देश का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं के लिए खतरा है। दिल्ली-एनसीआर में साल भर नशे के तस्करों पर चोट तो की जाती है, लेकिन वह नाकाफी है। पुलिस तस्करों के नेटवर्क की कमर तोड़ने में नाकाम ही दिखाई दे रही है। पिछले कुछ वर्षों में पकड़े गए ड्रग्स तस्करों और बरामद ड्रग्स की खेप से पता चलता है कि दिल्ली-एनसीआर भी ‘उड़ने” की ओर अग्रसर है।

हाल ही में दिल्ली की स्पेशल सेल पुलिस ने ड्रग तस्करी के एक बड़े मामले का खुलासा किया है। साथ ही दिल्ली और पंजाब सहित उत्तर भारत के इलाकों में ड्रग्स की तस्करी में लिप्त एक इंटरनेशनल कार्टेल के दो अहम सदस्यों को गिरफ्तार करने में कमायाबी पाई है। इनकी पहचान रणबीर सिंह उर्फ टिंकू और लोयांगंबा इटोचा के रूप में हुई है। ये मणिपुर (Manipur) के इम्फाल के रहने वाले हैं। डीसीपी स्पेशल सेल आलोक कुमार के अनुसार इनके कब्जे से 10 करोड़ से ज्यादा के 50 किलोग्राम अफीम बरामद किए गए हैं, जिन्हें ये विटारा ब्रीजा गाड़ी में बनाए गए विशेष कैविटी में छुपा कर दिल्ली और पंजाब के इलाकों में सप्लाई के लिए तस्करी कर राजधानी तक लाए थे।एक इंटरनेशनल कार्टेल के सदस्य म्यांमार से हेरोइन और अफीम की खेप लेते थे। इसके बाद दिल्ली-एनसीआर और पंजाब सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में ड्रग्स की सप्लाई करते थे। पूछताछ से पता चला है कि पिछले 5-6 सालों से म्यांमार और मणिपुर से दिल्ली, यूपी, पंजाब एमपी, राजस्थान, बिहार और अन्य राज्यों में ड्रग सप्लाई का यह रूट और ये प्रमुख और लोकप्रिय रूट है।

वहीं नोएडा के नालेज पार्क, सेक्टर-18 और सेक्टर-37, विभिन्न कालेजो, सेक्टरों तथा झुग्गियों के आसपास गांजे का गोरखधंधा चलता है। पिछले छह माह में नोएडा में करीब 230 ड्रग्स तस्करी के मामले सामने आए। कोतवाली से 145 गांजा तस्करों को गिरफ्तार किया गया। उनके कब्जे से साढ़े चार क्विंटल गांजा बरामद किया गया। हाल ही में एक्सप्रेस-कोतवाली क्षेत्र में एक तस्कर को दबोचा गया,जिसके पास एक लाख कीमत के गांजे के अलावा चरस और कोकीन भी मिली थी। गुरुग्राम में तो मुंबई की तर्ज पर साइबर सिटी में भी ड्रग्स पार्टी आयोजित होने लगी है। बीते शुक्रवार को उद्योग विहार इलाके में संचालित कासा डांजा क्लब में पार्टी करने के लिए दिल्ली-एनसीआर से 288 युवक-युवती पहुंचे थे। सभी ड्रग्स लेते दिखे। क्लब से 10।67 ग्राम चरस, 6।30 ग्राम हेरोइन, 6।30 ग्राम कोकीन, 2।20 ग्राम गांजा, 3।67 ग्राम एमडीएमए तीन टैबलेट (आरेंज), तीन टैबलेट (पिंक) और तीन टैबलेट (ग्रीन) की बरामदगी की गई। प्रारंभिक छानबीन के मुताबिक रूटीन में युवक-युवती ड्रग्स का सेवन करने के लिए क्लब में आते रहते थे।

भारत में ड्रग्स तस्करी पहले पारंपरिक मार्गों से होती थी। इनमें गोल्डन क्रीसेंट और गोल्डन ट्राइएंगल प्रमुख थे। गोल्डन क्रीसेंट में तस्कर अफगानिस्तान से वाया पाकिस्तान और फिर भारत मादक पदार्थ लेकर आते थे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इन मादक पदार्थों से मिलने वाले पैसे को आतंक के लिए इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की नजर में आने के बाद इस रूट को बंद कर दिया गया। बाद में गोल्डन ट्राइएंगल यानी थाईलैंड, लाओस और म्यांमार के रास्ते मादक पदार्थों को भारत में लाया जाने लगा। इस रूट को भी बाद में बंद करना पड़ा। मौजूद समय में ड्रग्स तस्कर नेपाल वाया बांग्लदेश और म्यांमार के रास्ते भारत में मादक पदार्थ ला रहे हैं। यहां से मादक पदार्थों को उत्तर-पूर्वी राज्यों में लाकर भारत के विभिन्न इलाकों में भेज दिया जाता है। नेपाल की खुली सीमा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

 

 

 

 

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