मॉडल टाऊन इलाके के घरों में दरारें , खर्च बचने के लिए मेट्रो प्रशासन से हुयी बड़ी चूक ?

–पत्रिका ब्यूरो
दिल्ली। दिल्ली मेट्रो क्या लोगों के जानमाल से खुला खिलवाड़ कर रही है –? यह सवाल उठा है दिल्ली के मॉडल टाउन इलाके में दिल्ली मेट्रो के अंडरग्राउंड टनल बनाने के दौरान लगातार हो रहे हादसों से। यहाँ के आशियानों पर आफत आ गयी है।  लोगों की नीद उड़ी हुयी है। कई घरों में गहरी दरारें आ गयी है।  मॉडल टाउन 3 के G और C ब्लॉक कई मकानो में बड़े बड़े दरारें आ गयी है।  इस घटना से घबराई डीएमआरसी ने प्रभावित लोगों को होटलों में अपने खर्च पर ठहरा दिया है वहीँ स्थानीय लोगों  को विश्वाश दिला रही है की जिसका जो भी नुक्सान होगा उसकी भरपाई कर देगी।  बहरहाल पीड़ित लोगों की  संख्या इतनी है की वे फौरी भरपाई को मंजूर करने के मूड में नहीं है।  इनका कहना है की डीएमआरसी इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर सकती है।  केवल ठेकेदार का खर्च बचने के लिए लोगों की जान और मेट्रो के प्रोजेक्ट को खतरे में डाल रही है।
अंडर ग्राउंड मेट्रो के काम के दौरान होने वाला यह पहला हादसा नहीं है।  इससे पहले आज़ाद पुर इलाके में भी कई मकानो में दरारें आयी है। टनल डालने से पहले इन्हे भी आश्वाशन दिया कि उन्हें पता भी नहीं चलेगा की निचे खुदाई चल रही है।  लेकिन अब मेट्रो प्रशासन और पब्लिक दोनों दहशत में है। डीएमआरसी ने सड़क पर बैरीगेटिंग कर दी है। मॉडल टाउन में भी के बिल्डिंग को लोहे की बड़ी बड़ी स्पोर्ट लगाकर रोका गया है।  मेट्रो प्रशासन ने कई सर्वे टीम भेजी है जो आये दिन जांच कर रही है और इन जाचधिकारियों से लोगों की झड़प भी हो रही है। मॉडल टाउन में करीब 300 प्रत्यक्ष और अप्रतयक्ष रूप से प्रभावित है। लोगों की रातों की नींद उड़ी हुयी है।
इलाके के आरडब्लूए ने डीएमआरसी चीफ मांगू सिंह और स्थानीय संसद डॉ वर्धन को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने DMRC पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगते हुए कहा की की मेट्रो प्रशासन को लोगों की जानमाल से ज्यादा प्रोजेक्ट ठेकेदार कम्पनी के कॉस्ट कुट्टिंग की चिंता है।
RWA के प्रधान हरिप्रकाश गुप्ता और महासचिव संजय गुप्ता द्वारा लिखे गए पत्र में जो तथ्य और तर्क दिए गया है वे DMRC की साख पर बड़े सवाल खड़े करने  काफी है।  आने वाले दिनों में यह मामला बड़े स्तर पर तूल पकड़ सकता है या बड़े हादसे की वजह बन  सकता है।
संजय गुप्ता कहतें है की हम जुलाई 2012 से मेट्रो के अधिकारीयों को लिखित में शिकायत देते रहे –काई छोटी-छोटी घटनाएं सामने आये। इस पर मेट्रो ने एक जांच कमिटी भी बना दी और आश्वाशन दिया की इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही ठेकेदार कम्पनी को आगे काम करने दिया जाएगा। लेकिन हैरत ही की बिना जांच रिपोर्ट आये ही ठेकेदार ने काम करना शुरू कर दिया।  जैसे जैसे ठेकेदार काम करता रहा लोगों के घरों पर इसका असर दिखता  रहा।  RWA  का आरोप है की मेट्रो को केवल ठेकेदार के खर्च की चिंता है लोगों के जानमाल की नहीं। जिस मशीन से मेट्रो  के टनल बनाने का काम चल रहा है वह मॉडल टाउन जैसे रेतीली मिटटी वाले इलाके के लिए बनी ही नहीं है।  नियमुनार हर 20 मीटर  पर मिटटी के टेस्टिंग होनी चाहिए लेकिन वह नही की गयी।  मॉडल टाउन इलाके जैसे रेतीली मिटटी वाले इलाके में केवल 40 मीटर की गहराई में टनल बन रहा है लेकिन दिल्ली में सभी जगह टनल की गहराई 100 मीटर से काम नहीं है।  यह सब केवल ठेकेदार को  फायदा पहुचने के लिए किया गया।  सवाल यह भी है की बिना मिटटी की जांच के टनल बनाने की अनुमति कैसे दी गयी।  संजय गुप्ता कहतें है की हम जनहित काम के के विरोधी नहीं है लेकिन केवल किसी कम्पनी का खर्च काम करने के लिए लोगों की जान माल से खिलवाड़ कहाँ तक उचित है।
स्थानीय निवासी आरोप लगा रहे है और आशंका जता रहे है की आने वाले दोनों में यदि यह टनल बन भी गया और मेट्रो इस पर चलने भी लगी तो क्या गारंटी है की इसमें कोई हादसा नहीं हो सकता। लिहाज़ा अब भी समय है हर पहलू की जांच हो और जहाँ जिस स्तर  लापरवाही हुयी है उस पर कार्यवाही हो।

 

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