Saturday, April 20, 2024
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स्वराज संवाद पर आवाम का संदेश, नयी राजनैतिक पार्टी समाधान नहीं

दिल्ली चुनाव में AAP की जीत के बाद जो घटनाक्रम हुआ वो ‘आवाम’ के लिए हैरान करने वाला नहीं है, हैरानी तो इस बात की है, कि इतनी देर से क्यों हुआ ? इस देरी का पहला श्रेय श्री अरविंद केजरीवाल को जाता है, और इसके दुसरे हकदार योगेंद्र जी हैं बाकि श्रेय चुनाव से पहले मूकदर्शक बने रहे कार्यकर्ताओं को है।

    लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि अन्ना आंदोलन के ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ और AAP के ‘वैकल्पिक राजनीति’ के उद्देश्य के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगाने वाले ‘आम आदमी’ को क्या मिला ? नई राजनीति से उम्मीद लगाये बैठा हर एक ‘आम आदमी’ आज सक्ते(shocked) में है और अपनी असमर्थता(Helplessness) का इज़हार अलग-अलग तरीके से कर रहा है। आज फिर वो उसी मोड़ पर खड़ा है। जो उम्मीदें उसने इस आंदोलन के कर्णधारों से लगाई थी, क्या वो पूरी हो पाई ? अगर नहीं हो पाई तो इसका जिम्मेदार कौन है ?
इन सवालों को खोजते-खोजते और अपने दस महीने के अनुभव के आधार पर ‘आवाम’ इस निष्कर्ष पर पंहुचा है कि इसके लिए जिम्मेदार ‘आम आदमी’ ही है क्योंकि जिन कर्णधारों को उसने जिम्मेदारी दी, उनकी जवाबदेही (Accountability) तय क्यों  नहीं की ? उनको अपनी ताकत देते समय उनसे जवाब मांगने का कोई सीधा और प्रभावशाली सिस्टम क्यों नहीं बनाया ? समस्या की चर्चा तो सभी कर रहे हैं लेकिन समाधान की बात कोई नहीं कर रहा। लेकिन ‘आवाम’ समस्या पर संवाद के साथ-साथ समस्या के समाधान में भी यकीन रखता है जिसके आधार पर वह एक स्थाई और दूरगामी विकल्प देने के पक्ष में है।’आवाम’ का उद्देश्य है “जागरूक जनता – संगठित आम आदमी-सशक्त लोकतंत्र।” यानि जनता को जागरूक करके संगठित किया जाये तभी देश में लोकतंत्र मजबूत हो सकता है।’हमारे राजनेता’ चाहते है कि ‘आम आदमी’ कभी संगठित न हो और वो केवल उनके पीछे चलता रहे। लेकिन ‘आवाम’ का मानना है कि जनता की जागरूक और संगठित आवाज ही देश के कर्णधारों को संविधान के प्रति जवाबदेह बना सकती है। हमारा भला ना तो केजरीवाल कर सकता है, ना ही नरेंद्र मोदी । हमें अपना भला स्वयं ही करना होगा।इसलिए ‘आम आदमी’ संगठन की ताकत अब अपने हाथ में रखे ताकि जब भी कोई नेता निरंकुश हो उस पर लगाम लगाई जा सके।
वर्तमान परिस्तिथियों में कई साथियों की राय है कि अगर AAP अपने रास्ते से भटक गई है तो हमें एक नई राजनीतिक पार्टी बना लेनी चहिए। क्या नई पार्टी बनाना समस्या का हल है ? अगर ये पार्टी भी दिशा से भटक गई तो ? हम कितनी पार्टियां बनाएंगे ? इसलिए आवाम अभी नई पार्टी बनाने के पक्ष में नहीं है।
हमारा मानना है कि देश के लिए ‘वैकल्पिक राजनीति’ का रास्ता पार्टी के अंदरूनी लोकतंत्र से होकर गुजरता है और इसको मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं को Voting right और Right to Recall जैसे अधिकार होने चाहिए। तभी सच्चा स्वराज संभव है।
अपने मूल सिद्धांतों के आधार पर संगठन निर्माण करके ,पहले हमें समाज हित में काम करना होगा ताकि जनता हम पर विश्वास कर सके। अगर जनता हमसे जुड़ती है और नए राजनीतिक विकल्प की मांग करती है तब ये विकल्प दिया जा सकता है।
आवाम के स्वराज आंदोलन और मुद्दों को स्वीकार करके, उसे आगे बढ़ाने के लिए स्वराज संवाद आयोजित करने वाले सभी नये साथियों को धन्यवाद । हम शुभकामनायें देते हैं कि ये आंदोलन ओर मजबूती से आगे बढ़े। साथ में उन्हें सावधान भी करना चाहते हैं कि अपनी कमीज का ध्यान रखें क्योंकि अभी आपकी कमीज हमसे ज्यादा सफेद है और आवाम की कमीज भी घर की सफाई की कोशिश में ही गंदी हुई है। इसलिए DTD का ध्यान रहे।

      अंत में देश की आवाम को भी ‘आवाम’ कुछ कहना चाहता है। विशेष तोर पर बुद्धिजीविओं और मीडिया के लिए।
अगर आप वर्तमान घटनाक्रम को केवल AAP का अंदरूनी झगड़ा मान कर तटस्थ है तो आप बहुत बड़े खतरे का इंतज़ार कर रहे हैं।
जिस तरीके से हमारे नए साथी पिछले 10 महीने से कर रहे थे।परिणाम सबके सामने है।
28 March की घटना कोई सामान्य घटना नहीं थी, जो इसका शिकार हैं वो ही इसे बेहतर समझ सकते हैं लेकिन जो इसका हिस्सा नहीं थे उनके लिए यह एक चेतावनी है। अगर आप भारत को ‘वसुधैव कुटम्बकम्’ के विचार पर आधारित एक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं तो आपको समय रहते यह समझना होगा की AAP की राष्ट्रीय परिषद् जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाली सोच , केवल तुर्कमान गेट और 16 दिसंबर जैसी मानसिकता को ही बढ़ावा दे सकती है।आम आदमी को बहला कर और धर्म-जाति के हितैषी बन कर हासिल की हुई निरंकुश सत्ता कभी देश को गृहयुद्ध जैसी स्तिथि में ले जायेगी। इसका यकीन आज कौन करेगा ?
बाकि सब समझदार हैं, अपने-अपने हिस्से का देश सबको बनाना है। फैसला बस ये करना है कि अलग-अलग बनाना है या मिलकर बनाना है। हम तो अपना कर्तव्य  निभा ही रहे हैं। वो हम हर हाल में निभाएंगे।
जयहिन्द।

करन सिंह
आम से आवाम तक।

‘आम आदमी’ का संबोधन विशेषकर ‘आप’ के कार्यकर्ताओं के लिए हुआ है।

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