चमत्कारिक सिद्ध पीठ वाघेश्वर धाम के सामाजिक कार्य

छतरपुर (मध्य प्रदेश) से सुनील टोक्स

 
प्राकृतिक सौन्दर्य से ओतप्रोत रमझीला, बनारी और दतला की पहाड़ियों के मध्य चंदेलकालीन चमत्कारिक  सिद्ध  पीठ वाघेश्वर धाम ग्राम गढ़ा-गंज तहसील राजनगर जिला-छतरपुर मध्य प्रदेश में स्थित है।


इस रमणिक स्थल पर बुंदेलखण्ड की अनमोल धरोहर पीठाधीश्वर वाघेश्वर धाम बना हुआ है, जहां लोग दूर-दूर से आते हैं। इस धाम के पीठाधीश्वर है। पं. धीरेन्द्र कृष्ण गर्ग है, जिनका जन्म 10 जुलाई सन् 1996 को  ग्रामगढा की पावन धरती पर सरयूपरी ब्रह्मण पिता श्री रामकृपाल गर्ग एवं शीतलता की मूर्ती माता श्रीमती सरोज गर्ग के आंगन में हुआ। निर्धन परिवार में जन्मे बालक धीरेन्द्र ने बारहवीं तक की शिक्षा क्षेत्रीय विद्यालयों से प्राप्त करके संस्कृत का उचित ज्ञान वृंदावन मथुरा से ग्रहण किया। इनका परिवार पिछली तीन पीढ़ियों से वाघेश्वर धाम को समर्पित है।


कुशाग्र बुद्धि  पं. धीरेन्द्र कृष्ण गर्ग ने अपने दादाजी स्व. सेतू लाल गर्ग (प्रख्यात विद्धान) वाघेश्वर धाम के सानिध्य में रहकर अध्यात्म की गहराइयों को जाना एवं वाल्यवस्था से ही श्रीभागवत कथा, रामकथा, सत्यनारायण कथा एवं वैदिक मंत्रों को आत्मसात किया आज इनके सारगमित व्याख्यानों, कथाओं एवं जनकल्याण के लिए किये गये कार्यों की चर्चा अन्र्तराष्ट्रीय स्तर तक है। इनके मुखमण्ड़ल पर गौतम बुध सा जलाल एवं मुख में मां सरस्वती का वास है।

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पीठाद्दीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण गर्ग पर इनके दादाजी स्व. सेतु लाल गर्ग, संन्यासी बाबा एवं बालाजी महाराज की विशेष कृपा होने के कारण विगत एक दशक से निरन्तर दरबार लगाकर लाखों व्यक्तियों की समस्याओं का निदान कर चुके हैं। विज्ञान के इस युग में यह एक कौतूहल का विषय है कि धाम पर आये प्रत्येक व्यक्ति के विषय में बिना पूछे ही समस्याओं का कारण एवं निवारण बता देते हैं।


श्री वाघेश्वर धाम निःशुल्क दरबार है। यहां प्रतिदिन भण्ड़ारे का आयोजन किया जाता है। गरीब कन्याओं के विवाह का आयोजन भी समय-समय पर होता है। पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण गर्ग के अनुसार पर्यावरण की रक्षा, गौरक्षा एवं सनातन धर्म के विस्तार से ही भारत विश्व गुरु बनने की राह पर है।

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पीठाधीश्वर श्री धीरेन्द्र कृष्ण गर्ग के विषय में सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा। वाघेश्वर धाम  के अंतरगत समय-समय पर कोई-न-कोई सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं जिसमें कुछ तो नियमित होते हैं, जबकि कुछ विशेष तरह की भव्यता वाले भी होते हैं। आगमी 1 मार्च को कन्याओं का सामूहिक विवाह का कार्यक्रम आयोजित किया जाना है। इसके अतिरिक्त मई में आठ मई तक श्रीश्री 1008 श्री 108 कुण्डलीय लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन किया जाना है। इस दौरान 108 कुण्डलीय सप्रदिवसीय हवन, अष्टादश महापुराण, वाचन, संगतिमय श्रीपद् भागवत कथा का आयोजन, रासलीला, संत सम्मेलन, चार वेद, छह शास्त्र के आयोजन किए जाने हैं।   

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