Monday, April 29, 2024
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मोहम्मद के अज़ीज़: हज़रत अली

नेहा राठौर

‘सोच समझकर बोलें क्योंकि बोलने से पहले शब्द आपके गुलाम होते हैं, लेकिन बोलने के बाद आप लफ्जों के गुलाम बन जाते हैं।’ ऐसे ही अपने विचारों से लोगों को जीवन की सीख देने वाले अली इब्न अबी तालिब जो हज़रत अली के नाम से भी प्रख्यात है। आज उनका जन्मदिन है। हज़रत अली का जन्म इस्लामी कैलेंडर के रज्जब माह की 13 तारीख 601 ई को काबा में हुआ था, जो अंग्रेजी कलेंडर के मुताबिक 25 फरवरी को है।

अली गुणों से भरपूर थे, जैसे साहस, महानता, ईमानदारी, सीधापन, वाक्प्रचार और गहन ज्ञान के ज्ञाता थे। अली धार्मिक, अहिंसा को मानने वाले, दयालु और विनम्र व्यक्ति थे।

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अली के विचारों में वो ताकत थी, जो लोगों की सोच को बदल सकती थी। शिया मोहम्मद के बाद अली को सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति मानते हैं। आज के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घर को सजाते है। अली के विचारों को याद करते है और आपस में उनके विचारों पर चर्चा करते है।

मोहम्मद के बाद अली

अली मोहम्मद के बाद 656 से 661 तक सुन्नी मुसलमानों के चौथे ख़लिफ़ा थे और शिया मुस्लिम समुदाय के लिए पहले इमाम थे। कहा जाता है कि हज़रत अली के जन्म के बाद पहली बार पैगंबर मोहम्मद ने उन्हें अपनी गोद में लिया था। अली  मोहम्मद के चचेरे भाई और उनके दामाद भी थे। वह मोहम्मद के बेहद अज़ीज़ थे। मोहम्मद के देहांत के बाद मुस्लिम समुदाय दो भागों में बंट गया था। एक सुन्नी जो मोहम्मद के बाद अबु बकर को अपना पहला ख़लिफा मानते थे और दूसरे शिया जो पैगम्बर के अज़ीज़ अली को पहला इमाम मानते थे। शिया मुसलमान अली से पहले तीन ख़लीफाओं को नहीं मानते थे।

अली की मृत्यु

27 जनवरी 661 को 19 रमज़ान के दिन कुफा की महान मस्जिद में प्रार्थना करते समय अली पर खारीजाइट अब्द-अल-रहमान इब्न मुलजम ने जहर से लेपित तलवार से हमला कर दिया था, जिस कारण दो दिन बाद 29 जनवरी 661 को उनकी मौत हो गई थी, लेकिन फिर भी अली ने अपने बेटों को खारीजियों पर हमला करने से मना कर दिया और उसे जीवित छोड़ दिया गया। मरने से पहले अली ने कहा कि अगला ख़लिफ़ा मोहम्मद वंश का होना चाहिए, लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी, क्योंकि उनके दोनों बेटों हसन-हुसैन को मार दिया गया।

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