सिसोदिया की गिरफ्तारी और पंजाब में बिगड़ता ला एंड आर्डर, आप पार्टी की बढ़ी मुश्किलें, दो तरफा पड़ी मार

Sisodia's arrest and deteriorating law and order in Punjab, AAP party's problems increased, two-sided fight

नई दिल्ली, 27 फरवरी। एक ओर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया लिकर पॉलिसी घोटाले में सीबीआई की गिरफ्त में हैं। दूसरी ओर पंजाब में कानून  व्यवस्था चरमरा रही है। दोनों मार आम आदमी पार्टी पर भारी पड़ रही है। एक ओर उनकी कट्टर ईमानदार छवि दागदार हो रही है वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में बार बार पुलिस को दिल्ली सरकार के अधीन देने वाली मांग, पंजाब का हाल देखकर खुद अब सवालों के घेरे में हैं।

राजनीति में आम आदमी पार्टी की यूनीक सेलिंग पॉइंट उसकी करप्शन फ्री इमेज रही है। हवाला केस में सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी और दिल्ली शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से इस छवि पर दाग लगा है। इसलिए पार्टी की कोशिश है कि दोनों की गिरफ्तारी को जनता के बीच बीजेपी  की राजनीतिक साजिश साबित किया जाए और इस लड़ाई को मोदी बनाम केजरीवाल में बदला जाए। इससे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार की कोशिश को ताकत मिलेगी।

सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद 2 स्थितियां बन सकती हैं- एक तो जनता के बीच सिसोदिया और आप की भ्रष्टाचार वाली छवि तैयार हो, लेकिन आम आदमी पार्टी ये बिल्कुल नहीं चाहेगी।  दूसरी स्थिति ये बनेगी कि लोगों के बीच ये मैसेज जाए कि केंद्र सरकार ने सिसोदिया की गिरफ्तारी AAP को रोकने के लिए कराई है। आम आदमी पार्टी इसी दूसरी स्थिति को तैयार कर आने वाले चुनाव में भुनाने पर काम कर रही है। जानकारों का कहना है कि इसके लिए जनता के बीच पहुंचने से लेकर सोशल मीडिया तक सारी रणनीति पर काम चल रहा है।

सिसोदिया दिल्ली सरकार में तो नंबर दो हैं ही, आम आदमी पार्टी में भी अरविंद केजरीवाल के बाद सबसे बड़े नेता हैं। घोटाले में आरोपी बनाए जाने और अब उनकी गिरफ्तारी से पार्टी, दिल्ली सरकार और अरविंद केजरीवाल खुद मुश्किल में हैं, क्योंकि सिसोदिया का विकल्प तीनों के पास नहीं है।

मनीष सिसोदिया के पास दिल्ली सरकार के कुल 33 में से 18 विभाग हैं।  सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि उनका काम कौन संभालेगा। केजरीवाल के एक और मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से जेल में हैं। जैन के विभागों का काम भी सिसोदिया ही देख रहे थे। सिसोदिया के पास शिक्षा, लोक निर्माण, वित्त, आबकारी, ऊर्जा, जल, स्वास्थ्य जैसे सबसे अहम विभाग हैं। उनके सहयोगी बताते हैं कि वे एक दिन में 12 से 15 मीटिंग करते हैं।

उनका भी मानना है कि सिसोदिया की जगह लेना किसी भी दूसरे नेता के लिए आसान नहीं होगा। फरवरी 2020  में मुख्यमंत्री केजरीवाल के अपने बाकी विभाग छोड़ दिए थे। इसके बाद सिसोदिया इन विभागों को भी देख रहे थे। आम आदमी पार्टी में सिसोदिया के कद का नेता और अरविंद केजरीवाल का इतना भरोसेमंद व्यक्ति फिलहाल कोई नही है। दिल्ली सरकार अगले फाइनेंशियल ईयर के लिए बजट की तैयारी कर रही है। बजट का सारा कामकाज मनीष सिसोदिया ही देख रहे थे। दिल्ली सरकार का बजट आम आदमी पार्टी की सरकार आने के पहले करीब 30 हजार करोड़ रुपए का था, जो अब 75  हजार करोड़ रुपए का हो गया है। वित्तमंत्री सिसोदिया के जेल जाने से बजट की तैयारियों पर भी असर पड़ेगा। किसी दूसरे मंत्री के लिए इतनी जल्दी बजट पर काम करना मुश्किल होगा।

इस तरह देखें तो मनीष सिसोदिया की आम आदमी पार्टी में पोजिशन काफी अहम है। नगर निगम का मैनेजमेंट हो या दिल्ली सरकार का कामकाज, बड़ी जिम्मेदारियां उन्हीं के पास हैं। सरकार और पार्टी चलाने के लिए किससे क्या बात करनी है, ये सब वही देखते हैं। ऐसे में सरकार और पार्टी के कामकाज पर असर तो पड़ेगा। आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को इंडिया अगेंस्ट करप्शन मूवमेंट के दिनों से ही सबसे ज्यादा समर्थन हिंदी पट्टी से मिला था। पार्टी की कामकाज की शैली भी हिंदी पट्टी के वोटर्स का भरोसा जीतने वाली रही है। यहां आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी लड़ाई बीजेपी से है। आने वाले महीनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों में चुनाव हैं। आम आदमी पार्टी 2019 के चुनाव में इन राज्यों में अपना कैडर बना चुकी है। पंजाब में मिली जीत के बाद पार्टी इन राज्यों में गंभीरता से चुनाव लड़ने का मन बना चुकी थी। इस काम में सिसोदिया का बड़ा जिम्मा था।

फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को 19-20% वोट मिलते हैं, वहीं आम आदमी पार्टी को इसकी तुलना में एक चौथाई वोट भी नहीं मिलते। आम आदमी पार्टी को BJP के मुकाबले राष्ट्रीय विकल्प बनने में काफी वक्त लगेगा। हमने देखा कि पंजाब में बड़ी जीत मिलने के साथ यूपी, हिमाचल में आम आदमी पार्टी कुछ नहीं कर पाई। इसके बाद गुजरात में भी पार्टी अपने दावों से कोसों दूर रही। ऐसे में एक इवेंट बहुत माइलेज देगा, ये कह पाना बहुत मुश्किल है। फिलहाल केजरीवाल के सामने 10 साल में सबसे बड़ी चुनौती है। पहले सत्येंद्र जैन और अब मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी के 10 साल के इतिहास में अरविंद केजरीवाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। सिसोदिया दिल्ली में एजुकेशन सेक्टर में आए बदलाव के पोस्टर बॉय हैं। पार्टी के कई नेता बताते हैं कि एक तरह से दिल्ली की सरकार वही चलाते हैं।  पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार में भी सिसोदिया की भूमिका अहम रही है।

माइलेज और सेंपैथी लेने की पूरी कोशिश

हालात संभालने के लिए आम आदमी पार्टी के साथ ही खुद मनीष सिसोदिया ने इमोशनल कार्ड खेला है। पूछताछ के लिए CBI दफ्तर जाने से पहले सिसोदिया का बयान इसकी बानगी है। कार पर खड़े होकर उन्होंने कहा-  ‘मैंने जीवन में ईमानदारी और मेहनत से काम किया और इसी की बदौलत आप सबने प्यार-सम्मान देकर मुझे यहां तक पहुंचाया है। जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव आए। मैं टीवी चैनल में नौकरी करता था, अच्छी सैलरी और प्रमोशन मिलता था। जिंदगी अच्छी चल रही थी, लेकिन मैं सब कुछ छोड़कर अरविंद केजरीवाल के साथ झुग्गियों में काम करने लगा, उस वक्त मेरी पत्नी ने सबसे ज्यादा मेरा साथ दिया। आज ये जब मुझे जेल भेज रहे हैं तो मेरी पत्नी बीमार हैं और वो घर में अकेले रहेगी। आपको उनका ध्यान रखना है। बच्चों से कहना चाहता हूं कि आपके मनीष चाचा जा रहे हैं, लेकिन छुट्टी नहीं हुई। खूब मन लगाकर पढ़ना। 26 फरवरी को CBI ने मनीष सिसोदिया को पूछताछ के लिए बुलाया था, वहां जाने से पहले सिसोदिया राजघाट गए और रोड शो निकालते हुए CBI ऑफिस पहुंचे।

क्या है मामला

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली में सोमवार को AAP ने प्रदर्शन किया। सांसद संजय सिंह (काली जैकेट में) और दूसरे नेता सड़क पर बैठकर नारे लगाने लगे। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली में सोमवार को AAP ने प्रदर्शन किया। सांसद संजय सिंह (काली जैकेट में) और दूसरे नेता सड़क पर बैठकर नारे लगाने लगे। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के विरोध में आम आदमी पार्टी पूरे देश में प्रदर्शन कर रही है। पंजाब, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। कई जगहों पर कार्यकर्ता हिरासत में लिए गए हैं। दिल्ली में पार्टी BJP दफ्तर का घेराव करेगी। उधर, दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि सिसोदिया के खिलाफ CBI के पास सबूत नहीं थे। उन्हें राजनीतिक दबाव में गिरफ्तार किया गया है। केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर को नई शराब नीति को मंजूरी दी।  इसके तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया। उपराज्यपाल और दिल्ली के CM को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना शराब नीति में बदलाव किया। आरोप है कि इससे शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचा। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इससे मिले कमीशन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया।

 

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