Friday, April 26, 2024
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सरोजिनी नायडू: भारत की कोकिला

नेहा राठौर

ऊंचा उठती हुं मैं, कि पहुंचू नियत झरने तक, टूटे ये पंख लिए मैं, चढ़ती हूं ऊपर तारों तक। सरोजिनी नायडू की इस कविता के विचार जीवन भर उनके साथ रहे। आज के दिन उनका यानी 2 मार्च 1949 को उनका निधन हुआ था। सरोजिनी नायडू एक भारतीय राजनीतिक कार्यकर्ता और कवि थीं, वह अपने जीवन में नागरिक अधिकारों, महिलाओं की मुक्ति, साम्राज्यवाद-विरोधी विचारों के समर्थक थी। उन्होंने भारत की आज़ादी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अगर नायडू को एक कवि तौर पर देखा जाए, तो उनकी कविता कैसी होंगी, इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते है कि उन्हें उनकी कविता के रंग, कल्पना और गीतात्मक गुणों के कारण महात्मा गांधी ने उन्हें भारत की कोकिला का नाम दिया था।

हैदराबाद में 2 फरवरी 1879 को एक बंगाली परिवार में जन्मी नायडू ने अपनी शिक्षा मद्रास, लंदन और कैम्ब्रिज में पूरी की। उनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाद्धय था। वह एक निज़ाम कॉलेज के प्रिंसिपल थे। वैसे बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि नायडू ने इंग्लैंड में मताधिकार के रूप में भी काम किया था। नायडू अपने जीवन में महिलाओं के लिए हर वक्त खड़ी रही। इसी कारण उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

लेखन की शुरुआत

नायडू ने 12 साल की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। 1905 में उनका पहला कविता संग्रह, द गोल्डन थ्रेशोल्ड नाम से प्रकाशित हुआ था। उनकी कविताओं को गोपाल कृष्ण गोखले जैसे प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञों ने भी सराहा। उनकी लेखन के साथ-साथ राजनीति में भी दिलचस्पी थी।

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नायडू की कविताओं में ज्यादातर बच्चों की कविताएं, देश भक्ति, रोमांस, त्रासदी और गंभीर विषयों पर आधारित हैं। 1912 में लिखी ‘हैदराबाद के बाजारों में’ कविता उनकी सबसे लोकप्रिय कविताओं में से एक है।

अंतर जातीय विवाह

उनकी शादी एक सामान्य चिकित्सक गोविंदराजुलु नायडू से हुई थी, उस वक्त भी अंतर जातीय विवाह आज की तरह सामान्य नहीं थे, लेकिन उनके दोनों परिवारों ने उनकी शादी को मंजूरी दे दी थी। इन दोनों के पांच बच्चे थे। उनकी बेटी पद्मजा भी स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुई और भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा थीं। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता के उत्तर प्रदेश राज्य की पहली राज्यपाल बनाया गया। नायडू को कार्डियक अरेस्ट की बीमारी थी, जिस कारण  2 मार्च 1949 में को उनका निधन हो गया।

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