वाराणसी में लगा खिलौनों का मेला

नेहा राठौर

भारत में कई तरह के खिलौने हैं, जो पहले भी बच्चों को पसंद आते थे और आज भी बच्चों के मन को भाते है। जैसे मिट्टी के खिलौने घोड़ा, हाथी, छोटे—छोटे मिट्टी के बर्तन, झुंझुना, कपड़े के गुड्डे-गुड़िया (कठपुतली), लकड़ी के खिलौने आदि। मिट्टी के खिलौनों का नाम सुनते ही 11वीं कक्षा में पड़ी ईदगाह कहानी की यादें ताजा हो जाती है। खिलौनों को बच्चों के बचपन के साथी माना जाता है। यह वही खिलौने हैं, जिनके लिए अक्सर बच्चे अपने माता—पिता से झगड़ जाया करते हैं। खिलौने रोते हुए बच्चे के चहरे पर मुस्कान ले आते हैं। इस मुस्कान को और बढ़ाने के लिए 27 फरवरी से 2 मार्च के बीच पहला इंडिया टॉय फेयर मनाया जा रहा है।



टॉय फेयर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से वर्चुअल रूप से आयोजित किया गया, इस फेयर में हजारों खिलौनों को प्रदर्शित किया जाएंगा। इस मेले का जिक्र करते हुए, अगस्त 2020 में अपने मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा था कि खिलौने न केवल क्रियाशीलता बढ़ाते हैं, बल्कि महात्वाकांक्षाओं को पंख भी लगाते हैं। वह बच्चों के मस्तिष्क विकास में अहम भूमिका निभाते हैं और मनोवैज्ञानिक गतिविधि तथा ज्ञान की कुशलता बढ़ाने में बच्चों की मदद करते हैं।

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मेले का उद्देश्य

बच्चों के जीवन में खिलौनों के महत्व को बताते हुए, प्रधानमंत्री ने पहले भी भारत में खिलौनों के उत्पादन को बढ़ाने पर बल दिया है। इस मेले का उद्देश्य उद्योग के विकास पर विचार-विमर्श करने के लिए एक ही प्लेटफॉर्म पर खरीददारों, विक्रेताओं, विद्यार्थियों, शिक्षकों, डिजाइनरों आदि के साथ सभी हितधारकों को लाना है। इस मेले में वाराणसी के 15 खिलौना निर्माता अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने जा रहे हैं। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक भारतीय खिलौनों को बढ़ावा देने का यह विचार इस बात से आया कि देश में सस्ते खिलौनों की खरीद किए जाने के बाद न केवल भारतीय खिलौना उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था, इसके साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा था, क्योंकि इनमें भारी में रसायनों और हैवी मेटल आदि का इस्तेमाल होता था।

इतना ही नहीं मेले में मुख्य आकर्षणों में एक हजार से ज्यादा स्टॉल के साथ एक वर्चुअल प्रदर्शनी, आकर्षक पैनल चर्चा के साथ ज्ञान सत्र और विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा वेबिनार होगा, जिसमें खिलौना – आधारित शिक्षण, शिल्प प्रदर्शन, प्रतियोगिता, क्विज, वर्चुअल टूर, उत्पाद लॉन्च आदि शामिल हैं। इंडिया टॉय फेयर 2021 के लिए वेबसाईट बच्चों, माता-पिता, शिक्षकों और प्रदर्शकों को वर्चुअल मेले में भाग लेने के लिए खुद को पंजीकृत करने में सक्षम बनाएगी, जो भारतीय खिलौने के इकोस्फेयर के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करेगा। यह भी देखें-

इस पर वाराणसी में संयुक्त निदेशक उद्योग उमेश सिंह ने कहा कि इस मेले से क्षेत्र की पारंपरिक कला से बढ़ावा देने के साथ ही संरक्षण में भी मदद मिलेगी। इसी के साथ वाराणसी में बने लैकरवेयर और लकड़ी के खिलौनों को जीआई टैग भी मिला है।

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