Friday, May 3, 2024
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राहुल को मिली दो साल की सजा, विपक्षी नेताओं पर केस करना क्या बीजेपी की सियासती चाल है?

इन दिनों विपक्षी नेताओं पर चलने वाले कैसे काफी चर्चा में हैं। एक तरफ बीजेपी इस बात पर खुश है कि उसके ज्यादातर विपक्षी कानूनी तरीके से ही निबट रहे हैं वहीं विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि एनडीए सरकार उनके जानबूझकर कानूनी पचड़ो में फंसाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहती है। आइए जानते हैं कि विपक्षी नेता पर कौन सा केस है।

नई दिल्ली, 24 मार्च। मनी लॉन्ड्रिंग कानून यानी पीएमएलए आखिर विपक्षी नेताओं के लिए गले का फंदा कैसे बना है इसको पहले समझ लेते हैं। आम बोली में इसका मतलब है दो नंबर के पैसे को हेरफेर से ठिकाने लगाने वालों के खिलाफ कानून से है। इस कानून को बनाया तो अटल सरकार ने 2002 में था, लेकिन इसे धार देकर 2005 में लागू किया मनमोहन सरकार के वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने। अब यही कानून कांग्रेसी समेत सभी विपक्षी नेताओं के लिए गले का फंदा बना हुआ है।

विपक्षी दलों की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद ईडी ने 31 जनवरी 2023 तक दर्ज केसों के बारे में डेटा जारी किया है। ईडीके मुताबिक, पीएमएलए कानून आने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक 5,906 केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से सिर्फ 2.98% यानी 176 केस विधायक, पूर्व विधायक, एमएलसी, सांसद, पूर्व सांसदों के खिलाफ दर्ज किए गए। इन केसों में से 1,142 में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी हैं, जबकि 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 25 केस में ट्रायल पूरा हो चुका है। 24 केसों में आरोपी दोषी ठहराए गए हैं, जबकि एक में बरी कर दिया गया। ईडीके मुताबिक मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत के तहत इन 24 केसों में 45 आरोपी दोषी पाए गए हैं। आइए अब जानते हैं कि कौन कौन है इस जद में।

सबसे पहले बात यूपीए की अध्यक्ष और कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल गांधी की। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था। अगस्त 2014 में ईजी ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी। ईडीइस मामले में सोनिया और राहुल से कई बार पूछताछ कर चुकी है।

इसके बाद आप पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की पर दर्ज केसों की चर्चा। 22 जुलाई 2022 को दिल्ली के उप राज्यपाल ने नई शराब नीति में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की। 19 अगस्त को सीबीआई ने शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया के आवास समेत 21 जगहों पर छापेमारी की। सिसोदिया समेत 15 को आरोपी बनाया। 14 अक्टूबर 2022 को ईडी ने 25 ठिकानों पर छापेमारी की। 26 फरवरी 2023 को सीबीआई सिसोदिया से 8 घंटे पूछताछ करती है। इसके बाद शाम को सिसोदिया को सीबीआई गिरफ्तार कर लेती है। 9 मार्च 2023 को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में करीब 8 घंटे की पूछताछ के बाद ईडीने सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया।

ईडी ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के करीबी और शिवसेना नेता संजय राउत को 1 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था। राउत पर मुंबई के गोरेगांव में सिद्धार्थ नगर के एक चॉल में 672 फ्लैटों के पुनर्निमाण के मामले में जमीन की हेरफेर का आरोप है। तीन महीने बाद 10 नवंबर 2022 को सशर्त जमानत मिली। उस वक्त संजय राउत ने कहा था कि महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार न गिराने पर जांच एजेंसियों ने उन्हें परेशान किया।

आईएलएक्स मीडिया मामला भी इसका एक उदाहरण है। पी. चिदंबरम पर न केवल विदेशी निवेश के लिए आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड यानी एफआईपीबी से मंजूरी दिलाने में रिश्वत लेने का आरोप लगा बल्कि सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार भी किया। ईडी ने चिदंबरम से पूछताछ भी की थी। इसी मामले में चिदंबरम के बेटे कार्ति भी गिरफ्तार हो चुके हैं।

3 सितंबर 2019 को ईडी ने एक और कांग्रेसी नेता और कर्नाटक के पूर्व मंत्री डीके शिवकुमार को टैक्स चोरी और आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया था। इससे पहले उनसे 2 दिन तक पूछताछ हुई थी। इतनी ही नहीं ईडी ने एनसीपी प्रमुख पवार को महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक यानी एसएससी में 2,500 करोड़ रुपए के लोन फ्रॉड के संबंध में समन जारी किया और उन्हें घोटाले का प्रमुख खिलाड़ी बताया। इसी तरह एनसीपी के एक अन्य नेता प्रफुल्ल पटेल से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी इकबाल मिर्ची की अवैध संपत्ति से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में पूछताछ की गई थी। मायावती, अखिलेश यादव भी इसकी जद में हैं।

 

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