राहुल गांधी नहीं रहे सासंद, इंदिरा-सोनिया की भी जा चुकी है सदस्यता, जानें राहुल के पास क्या है कानूनी हक

Rahul Gandhi is no longer an MP, Indira-Sonia's membership has also gone, know what legal rights Rahul has

हाल ही में मानहानि मामले में कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता चली गई है, जिसके बाद वह अब वह पूर्व सांसद हो गए हैं। आगामी लोकसभा चुनाव से एक साल पहले इस तरह का मामला कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है. हालांकि गांधी परिवार में राहुल गांधी से पहले उनकी दादी इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी भी अपनी सदस्यता छोड़ चुकी हैं। आइए जानते हैं कि पहले किन सदस्यों को सदस्यता जा चुकी है और किसी भी सांसद की संसदीय सदस्यता किन मामलों में जा सकती है और इसे लेकर क्या हैं नियम। 

नई दिल्ली, 25 मार्च। भारत के दिग्गज नेताओं में शामिल कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी की हाल ही में संसदीय सदस्यता चली गई है। सूरत की एक निचली अदालत ने उन्हें मोदी सरनेम पर टिप्पणी करने को लेकर मानहानि मामले में दो वर्ष की सजा सुनाई है। हालांकि, सजा सुनाए जाने के बाद ही उन्हें एक माह की जमानत भी मिल गई है, लेकिन इस पूरे मामले में उनकी संसदीय सदस्यता चली गई है।

एक सांसद की सदस्यता खत्म करने का अधिकार सदन के पास है। ऐसे में राहुल गांधी मामले में लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी करते हुए राहुल गांधी की सदस्यता खत्म कर दी। सचिवालय ने अपनी अधिसूचना में कहा कि 23 मार्च, 2023 को राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें सांसद पद के लिए अयोग्य करार दिया जाता है। सचिवालय ने यह कदम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102(1) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया है। कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने कथित तौर पर मोदी सरनेम पर टिप्पणी की, जिसके बाद गुजरात की सूरत की एक निचली अदालत ने उन्हें मानहानि मामले में दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई है, जिसके बाद से उनकी संसदीय सदस्यता चली गई है।

सांसद की सदस्यता के निलंबन को लेकर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत नियम हैं। इसके तहत धारा (1) और (2) में प्रावधान है, जिसके मुताबिक, कोई सांसद या विधायक दुष्कर्म, हत्या, भाषा या फिर धर्म के आधार पर सामाज में शत्रुता पैदा करता है या फिर संविधान को अपमानित करने के उद्देश्य से किसी भी आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होता है या फिर किसी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होता है, ऐसी स्थिति में उस सांसद या विधायक की सदस्यता को रद्द कर दिया जाएगा। इसके साथ ही धारा(3) के मुताबिक, यदि किसी सांसद या विधायक को किसी आपराधिक मामले में दोषी मानते हुए दो वर्ष से अधिक की सजा हो, तब भी उसकी सदस्या को रद्द किया जा सकता है। साथ ही अगले छह वर्षों तक चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध होता है।

सांसद या विधायक उक्त मामलों में भी अपनी सदस्यता को बचा सकते हैं। यह तब हो सकता है, जब सजा किसी निचली अदालत से मिली है, तब मामले को उच्च या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। यदि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की ओर से सजा पर रोक लगती है, तब सदस्यता को बचाया जा सकता है। राहुल गांधी वाले मामले में भी कुछ ऐसी ही है। क्योंकि, उन्हें निचली अदालत से सजा सुनाई गई है। यदि वह इसे ऊपरी अदालत में ले जाकर चुनौती देते हैं और उनकी सजा पर रोक लग जाती है, तो उनकी सदस्यता नहीं जाएगी। अगर हाईकोर्ट से वो बरी हो जाते हैं, या फिर उनकी सज़ा को कम कर दिया जाता है, तो भी खुद ब खुद उनकी सदस्यता फिर से बहाल नहीं होगी। इसके लिए राहुल गांधी को फिर से हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा।

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