Saturday, May 4, 2024
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Indian Politics : डॉ. लोहिया के गैर कांग्रेसवाद के नारे का फायदा उठा रहे मोदी!

सी.एस. राजपूत 
आज देश में रोजी-रोटी का संकट तो खड़ा ही हो गया है साथ ही सत्ता में बैठे लोग और उनके समर्थक भाईचारा का कबाड़ा करने में लगे हैं। युवा वर्ग को हिन्दू-मुस्लिम में उलझा दिया गया है। श्रम कानून में संशोधन कर नौकरीपेशा लोगों को बंधुआ मजदूर बनाने की तैयारी इस सरकार में हो गई है। नई पीढ़ी को मानसिक रोगी बनाने का माहौल निजी ऑफिस में बनाया जा रहा है। मीडिया को साथ लेकर केंद्र सरकार ने ऐसा भ्रम जाल फेंका हुआ है जिसमें अधिक लोग फंसते जा रहे हैं। विदेश नीति को देश में इतना हावी कर दिया है कि देश के लोगों को विदेश की बातों में उलझा दिया जा रहा है। ऐसा भी नहीं है कि लोग मामले को समझ नहीं रहे हैं। तो ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि लोग सब कुछ समझ रहे हैं तो फिर इस व्यवस्था के खिलाफ खड़े क्यों नहीं हो रहे हैं, क्यों मोदी के इस भ्रम जाल में फंस जा रहे हैं।
दरअसल मौजूदा हालात में बीजेपी समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसवाद नारे का पूरा फायदा उठा रही है। भले ही आजादी की लड़ाई में सत्ता में बैठे लोगों की विचारधारा का कोई खास योगदान न रहा हो पर चाहे आरएसएस हो, जन संघ हो या फिर भारतीय जनता पार्टी। सभी संगठनों ने कभी सत्ता के लिए कांग्रेस से समझौता नहीं किया।

हां डॉ. लोहिया को अपना आदर्श मानने वाले समाजवादियों ने सत्ता के लिए कई बार कांग्रेस का सहयोग लिया या फिर कांग्रेस की अगुआई वाली सरकार में शामिल हुए। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने को समाजवादी बताते हुए डॉ. लोहिया और लोक नायक जयप्रकाश नारायण के तथाकथित अनुयायियों को ललकारते देखे जाते हंै।


दरअसल चाहे चौधरी चरण सिंह हों, चंद्रशेखर सिंह, मुलायम सिंह यादव हों, लालू प्रसाद यादव हों, शरद पवार हों, ममता बनर्जी हों, अरविंद केजरीवाल हों या फिर दूसरे समाजवादी ये लोग कांग्रेस के रहमोकरम पर सत्ता का मजा लूट चुके हैं। जनसंघ या फिर भाजपा के एजेंडे कैसे भी बांटने वाले हों पर इन दलों ने सत्ता के लिए कभी कांग्रेस का सहयोग नहीं लिया। आज भाजपा को लोहिया के उसी गैर कांग्रेसवाद का फायदा मिल रहा है, जिसका पालन उनके शिष्य न कर सके। यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने अब कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दे दिया है। गत दिनों जब राहुल गांधी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम अडानी ग्रुप के साथ घसीटा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस को समाप्ति की ओर तक कह दिया।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के 70 साल के राज की आलोचना करते-करते लोगों के मन में कांग्रेस के प्रति नफरत पैदा कर दी है। मोदी के इस काम में कांग्रेस से अलग होकर दल बनाने वाले समाजवादियों का संघर्ष भी सहयोग करता रहा है। भले ही मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस की मदद से उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार थी, भले ही वह कांग्रेस के समर्थन से बनी देवगौड़ा सरकार में वह रक्षा मंत्री रहे हों, भले ही लालू प्रसाद यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री रहे हों, भले ही राम विलास पासवान यूपीए सरकार में मंत्री रहे हों पर इन लोगों ने कांग्रेस का विरोध कर-कर ही अपना वजूद बनाया था। यही वजह रही कि आज के समाजवादियों पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें घेरते रहे हैं।


वैसे भी चाहे आम आदमी पार्टी, राजद, सपा, कांग्रेस, एनसीपी, तृमूकां, कांग्रेस और रालोद सभी दलों के नेता आजमाये हुए हैं। ये सभी पार्टियां किसी न किसी रूप में सत्ता में रही है और इन पार्टियों के बड़े नेता सत्ता में बड़े पद संभाल चुके हैं। मतलब सभी दलों के नेता आजमाए हुए हैं। लोगों के मन से मोदी मोह न जाने का बड़ा कारण यह भी है कि यदि कांग्रेस को छोड़ दें तो सभी विपक्षी दल किसी न किसी वजह से केंद्र सरकार के दबाव में हैं।

ऐसे में लोगों के मन में यह भी सवाल उठ रहा है कि जो लोग विपक्ष की भूमिका सही ढंग से नहीं निभा पा रहे हैं वे सत्ता में बैठकर क्या करेंगे ? वैसे भी इन सभी नेताओं का विरोध कर ही बीजेपी को सत्ता सौंपी गई है। देश में किसी करिश्माई नेता के न होने का फायदा भी मोदी सरकार को मिल रहा है। जहां तक राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की बात है तो निश्चित रूप से राहुल गांधी का कद काफी बढ़ा है। राहुल गांधी ने इन दिनों में कड़ी मेहनत की है पर प्रधानमंत्री मोदी ने परिवारवाद के मुद्दे को ऐसे सुलगाया हआ है कि लोग अभी भी राहुल गांधी को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

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