काव्या बजाज,पत्रिका संवाददाता
नई दिल्ली। कोरोना ने दिल्लीवासियों के जनजीवन को पहले से ही प्रभावित कर रखा है। उस वजह से लोगों का दिल्ली एनसीआर आना—जाना मुश्किल हो गया है। अब आंदोलन की वजह से कारोबार पर भी काफी असर होने लगा है। इसी क्रम में दिल्ली नगर निगम को 35 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। कोरोना की वजह से सभी कारोबार अभी तक मंदी के दौर से गुज़र रहे है, लेकिन इस बार किसान आंदोलन देश की आर्थिक व्यवस्था बिगाड़ने का काम कर रहा है। लिखे जाने तक पिछले 31 दिनों से किसानों का दिल्ली के बॉर्ड़र पर जमावड़ा था। जिससे सभी रास्ते पूरी तरह बंद हो चुकें है, और गाड़ियों की आवाजाही पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है।
एमएसपी के मुद्दे को ले कर शुरु हुआ किसान आंदोलन 30 से 35 करोड़ के नुकसान की वजह बन गया है। दरअसल आवाजाही ठप होने की वजह से रोजाना 1 से 1.5 करोड़ का नुकसान सरकार को झेलना पड़ रहा है। सिंघु बॉर्डर के टोल प्लाजा पर हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, दिल्ली की गाड़ियों और मंडियों में आने जाने वाले ट्रकों की लंबी – लंबी कतारे लगी रहती थी। जिससे रोजाना 1 से 1.5 करोड़ रुपय का टैक्स सीधा एमसीडी के खाते में आता था।
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आपको बता दें कि टोल प्लाजा पर कर्मचारी तीन अलग-अलग समय सीमा में काम करते थे, लेकिन आंदोलन ने उनका काम भी चौपट कर दिया है। यह नुकसान तो सिर्फ एक टोल का है। ऐसे ही दिल्ली के बाकी टोल पर भी आंदोलन ने प्रभाव डाला है। अब आगे देखना यह होगा कि सरकार और किसानों में सहमती होती है, या ऐसे ही देश की आर्थिक व्यवस्था को नुकसान झेलना पड़ेगा।
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