पाकिस्तानी मूल के प्रसिद्ध पत्रकार और लेखक तारेक फतह का निधन हो गया। वह ७३ वर्ष के थे। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी बेटी नताशा फतह ने उनके निधन की पुष्टि की है। इससे पहले शुक्रवार को भी उनके निधन की अफवाह सामने आई थी, जिसके बाद लोगों ने श्रद्धांजलि देना शुरू कर दिया था। देखते ही देखते ट्विटर पर तारेक फतह ट्रेंड करने लगा था। उस समय तारेक फतह से सीधे तौर पर जुड़े लोगों ने इसका खंडन किया था। हालांकि इस बार उनके निधन की पुष्टि सीधे तौर पर उनकी बेटी नताशा फतह ने की है।
उनकी बेटी नताशा ने अपने ट्वीट में लिखा, “पंजाब का शेर, हिंदुस्तान का बेटा, कैनेडा का प्रेमी, सच्चाई का पैरोकार, न्याय के लिए लड़ने वाला, दबे-कुचलों और शोषितों की आवाज, तारिक फतेह नहीं रहे। उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी, जो उन्हें जानते और प्यार करते थे।”
तारेक फतह का जन्म २० नवंबर १९४९ में पाकिस्तान के कराची में हुआ था। १९८७ में वह कैनेडा चले आए। उन्हें अपनी रिपोर्टिंग के लिए कई तरह के पुरस्कार भी मिल चुके हैं। कैनेडा समेत दुनिया की कई प्रमुख पत्रिकाओं और अखबारों में उनके लेख छपते रहे हैं।
आपको बता दें कि भारत के प्रति अपने उदारवादी रुख के कारण तारिक फतेह भारत के लोगों में खासे लोकप्रिय थे। वे इस्लामी अतिवाद के खिलाफ मुखर होकर बोलते और लिखते रहे। चेजिंग अ मिराज : द ट्रैजिक इल्लुझ़न ऑफ़ ऐन इस्लामिक स्टेट उनकी प्रसिद्ध कृति है। वे समलैंगिक व्यक्तियों के सामान अधिकारों और हितों के भी पक्षधर थे। इसके साथ ही बलूचिस्तान में मानवाधिकार के हनन पर भी उन्होंने खूब लिखा और बोला। वे आजाद बलूचिस्तान के पक्षधर के रूप में भी जाने जाते थे।