अपनी पत्रिका ब्यूरो
Israel Hamas War Story Of Indian Super Women : भारतीयों की जांबाजी की किस्से देश ही बल्कि विदेश में भी प्रसिद्ध हैं। हमास और इजरायल युद्ध में भी भारतीय मूल की दो महिलाओं की बहादुरी का किस्सा वीडियो के माध्यम से खूब वायरल हो रहा है। इन महिलाओं ने हमास से न केवल अपनी जान बचाई बल्कि इजरायली लोगों की भी जान बचाई। दरअसल इजरायल के आम नागरिकों पर फलस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास के लड़ाकों के हमले के कई खौफनाक वीडियो भी सामने आए हैं । इस बीच भारत की केरल की रहने वाली दो “सुपर वुमन” भी सुर्खियों में आ गई हैं। इसकी वजह है कि भारत की इन जांबाज महिलाओं ने हमास के हमले के बीच न केवल अपनी बल्कि इजरायल के नागरिकों की भी जान हमलावरों से बचाई है।
हमास के लड़ाकों से इन महिलाओं से सामना और बहादुरी का जिक्र खुद इजरायल ने की है। भारत में इजरायली दूतावास ने मंगलवार (17 अक्टूबर) को सोशल मीडिया पर दो केरलवासियों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने हमास के हमले के दौरान दरवाजे के हैंडल को पकड़कर हमलावरों को तब तक रोके रखा जब तक पुलिस नहीं आ गई।
इजरायल ने की इन दोनों महिलाओं की तारीफ
इजरायली दूतावास ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स (पहले ट्विटर) पर हिंदी में लिखा, “भारतीय वीरांगनाएं ! मूलतः केरला की रहने वाली सबिता जी, जो अभी इजराइल में सेवारत हैं, बता रही हैं कि कैसे इन्होने और मीरा मोहनन जी ने मिलकर इजरायली नागरिकों कि जान बचाई. हमास आतंकवादी हमले के दौरान इन वीरांगनाओं ने सेफ हाउस के दरवाजे को खुलने ही नहीं दिया क्योंकि आतंकवादी अंदर आ कर नागरिकों को मारना चाहते थे। ” दूतावास ने सबिता का एक वीडियो भी शेयर किया है।
सबिता ने बताई पूरी कहानी
वीडियो में सबिता कहती हैं कि वह नीर ओज़ नाम के बॉर्डर किबुत्ज़ में काम कर रही हैं। वह मीरा के साथ एक बुजुर्ग महिला राहेल की देखभाल कर रही हैं, जिसे एएलएस बीमारी है।
सबिता कहती हैं, “मैं रात की ड्यूटी पर थी और निकलने ही वाली थी कि सुबह करीब 6.30 बजे सायरन की आवाज़ सुनाई दी। हम सुरक्षा कक्ष (सेफ हाउस) की ओर भागे. जल्द ही हमें राहेल की बेटी का फोन आया कि चीजें हमारे हाथ से बाहर हैं. उसने हमसे दरवाज़ा बंद रखने और अंदर रहने को कहा. कुछ ही मिनटों के भीतर, हमने आतंकवादियों को हमारे घर में घुसते, गोलीबारी करते और शीशे तोड़ते हुए सुना.” उसने कहा,”हमने बेटी को दोबारा कॉल किया और उससे पूछा कि क्या करना है। उसने हमसे दरवाज़ा पकड़ कर जाम रखने के लिए कहा.”
‘आतंकियों की गोलीबारी से पीछे नहीं हटी’
सबिता ने कहा कि हम दोनों (सबिता और मोहनन) ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी चप्पलें उतार दीं कि दरवाजे को कसकर जाम रखने के लिए उनके पैर फर्श पर पकड़ अधिक बनाएं।
उन्होंने कहा, “आतंकवादी सुबह करीब 7.30 बजे से घर पर थे और बाहर से दरवाजा खुलवाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमने दरवाजे को पकड़ कर रखने की पूरी कोशिश की। उन्होंने दरवाजे पर हमला किया और फिर उस पर गोली चला दी। उन्होंने सब कुछ नष्ट कर दिया.” सबिता ने कहा कि उन्हें कोई अंदाज़ा नहीं था कि बाहर क्या हो रहा है।
‘5:30 घंटे तक दरवाजे को रोक कर खड़ी रही’
सबिता बताती हैं कि सुबह 7:30 से उन्होंने अपनी साथी मोहनन के साथ मिलकर अपनी ताकत से दरवाजे को जाम रखा था और दोपहर करीब 1 बजे, उन्होंने फिर से गोलियों की आवाज सुनी। यह इजरायली सेना थी जो उन्हें बचाने के लिए आई थी। इस बीच साढ़े पांच घंटे का वक़्त गुजर चुका था।
सबिता कहती हैं,”हमारे पास कुछ भी नहीं बचा है। हमलावरों ने मीरा के पासपोर्ट सहित हमें पूरी तरह से लूट लिया। मैंने अपने दस्तावेजों के पास एक आपातकालीन बैग रखा था क्योंकि हम सीमा पर रहते हैं लेकिन वह भी ले लिया गया। हमें पता था कि मिसाइल हमले हो रहे हैं. जब हमले होते थे तब हम सुरक्षा कक्ष में चले जाते थे.”
आपको बता दें कि गत सात अक्टूबर को हमास के लड़ाकों ने इजरायल में हमले किए थे और निर्दोष नागरिकों को बर्बर तरीक़े से मौत के घाट उतारा था. इस दौरान हमलावरों ने बंदूकों से जो भी सामने पड़ा उसे गोलियों से भून दिया था. सबिता ने अपने वीडियो में बताया है कि हमलावर बाहर से दरवाज़ा खुलवाने के लिए ख़ुद को सेना के जवान बता रहे थे और कह रहे थे की बचाने आए हैं ताकि हम लोग भ्रम में पड़कर दरवाज़ा खोल दें. हालांकि इन दोनों भारतीय महिलाओं ने सूझ-बूझ दिखाई और इजरायल की बीमार महिला की जान बचायी है।