नई दिल्ली। कल दिल्ली के भारत नगर में फुटपाथ पर सो रही जवान बेटी के सामने मां के साथ हुई बलात्कार की घटना ने सरकार के संवेदनहीनता और महिला सुरक्षा, ‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ जैसे तमाम दावों की पोल खोल दी है। राजधानी दिल्ली में पीड़ित मां-बेटी कड़ाके की सर्दी में फुटपाथ पर सो रही थी और रात के दो बजे सोहदों ने बेटी के सामने ही मां का बलात्कार कर मानवता को शर्मसार कर दिया। लेकिन सबसे ज्यादा शर्म की बात दिल्ली और केंद्र सरकार के लिए है जो गरीब, बेसहारा, कूड़ा बीनने, साफ-सफाई करने वाली महिलाओं और उनके बेटे, बेटियों की सुरक्षा, रोजगार, पोषण, पढाई लिखाई के बड़े बड़े दावे करती है।
बताया जा रहा है कि कोरोना काल में महिला का पति गांव चला गया और मकान का किराया न दे पाने की वजह से मां, बेटी ने सड़क पर ही अपना बसेरा बना लिया। हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में मां, बेटी फुटपाथ पर रहने के लिए मजबूर हो गई लेकिन रहनुमाओं की नजर इस बदनसीब मां, बेटी पर नही पड़ी।
निकम्मा सरकारी तंत्र है यह तक देखने की जहमत नहीं उठाता कि फुटपाथ पर रह रही अकेली महिलाओं, जवान बेटियों के साथ कोई अनहोनी घटी तो कौन जिम्मेदार होगा। सरकार ही नहीं, वे सामाजिक संगठन, एनजीओ (NGO) भी उस वक्त गायब दिखाई देते हैं जब कोई पीड़ित बेसहारा सड़कों पर रहने को मजबूर होती है। इनके लिए किसी तरह के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं करती। सरकार के पास ऐसे गरीबों के लिए भरपूर बजट होता है पर इस बजट पर कुंडली मारे बैठे अजगर इस बजट को उदरस्थ कर जाते हैं। दिल्ली और केंद्र सरकार को फुटपाथ पर रहने वाले ऐसे परिवारों, खासतौर से अकेली महिलाओं के पुनर्वास, रोजगार और भरण पोषण पर कितना खर्च किया जाता है, इस बात की जांच कराई जानी चाहिए। क्यों नहीं फुटपाथ पर रहने वाली अकेली महिलाओं का कोई सर्वे किया जाता। सरकार के समाज कल्याण विभाग क्या कर रहे हैं।
दिल्ली की सड़कों पर हजारों परिवार कूड़ा बीनने, साफ सफाई, घरेलू नौकर, आया, बाई आदि के कामकाज करने वाली औरतें रह रही हैं। शायद सरकार के पास इनका कोई आंकड़ा नहीं है पर इनके लिए बजट जरूर रखा जाता है और यह भी सच है कि यह पैसा ऐसी पीड़िताओं पर खर्च नहीं होता।
दिल्ली में महिलाएं और बेटियां वैसी ही सुरक्षित नहीं हैं फिर फुटपाथ तो हर आने जाने वाले बदमाशों की नजर लगी रहती हैं। भारत नगर में हुई इस जघन्य वारदात पर सरकार क्या कार्यवाही कर रही है। जनता की समस्याओं पर सरकारों से जबाव तलब करने वाली अदालतें भी गरीबों के ऐसे मामलों पर खामोश हैं। अदालतें संज्ञान क्यों नहीं लेती।
भारत नगर थाना पुलिस ने इस घटना की जांच के लिए दर्जन भर से ज्यादा पुलिस कर्मी लगाए और करीब 40 लोगों से पूछताछ के बाद अपराधी पकड़े गए। दरअसल इस 45 साल की महिला का अपने पति से झगड़ा चल रहा था। पति उसे छोड़कर गांव चला गया लेकिन महिला और उसकी 20 वर्षीय बेटी नहीं गयी। वह किराये के मकान से सड़क पर आ गयी। वह सड़क पर सोती थी और कूड़ा बीनकर अपना और अपनी बेटी का पेट पाल रही थी।
बीती रात करीब दो बजे इन पर इलाके के आवारा और नशेड़ी युवकों की नजर पडी और उसके बाद जो हुआ वीडियो में कैद है। पत्थर उठाकर मारने की धमकी महिला को डरा धमका कर दरिंदों ने बेटी में नजर आ रहा है कि एक युवक ने बेटी के सामने ही माँ का बलात्कार किया। सड़क के सामने रह रहे एक युवक ने अपनी खिड़की से डरते.डरते इनका वीडियो बना लिया और एक सोशल वर्कर को दे दिया। प्रदीप नाम के इस युवक ने इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इस वीडियो के सामने आते ही भारत नगर थाना पुलिस तुरंत हरकत में आई और महज चद घंटों में पीड़ित महिला की शिनाख्त कर आरोपियों को भी गिरफ्तार लिया।
दुखद और चिंताजनक पहलू यह है कि माँ के साथ दरिंदगी बेटी के सामने ही हो रही थी और मेडिकल जाँच में सामने आया है कि उसकी 20 वर्षीय बेटी भी गर्भवती है। जबकि वह अविवाहित और मानसिक रुप से बीमार भी है। बेटी के साथ कब बलात्कार हुआ या उसके पेट में बच्चा है यह अभी जाँच का विषय है लेकिन जिस देश की राजधानी दिल्ली में बेटी बच्चाओ .बेटी पढ़ाओं के नारे जोर शोर से लगते है, महिलाओं की सुरक्षा का दावा दिल्ली में होता है उस दिल्ली में माँ बेटी लावारिस जैसे जिंदगी गुजर रही है। इस कड़कड़ाती ठंड में सोने पर मजबूर है। ऊपर से इस तरह की दरिंदगी और हैवानियत इनके साथ होती है तो यह सरकार और समाज के लिए शर्मनाक है।
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