गोमती तोमर :
नई दिल्ली -पूर्वी दिल्ली के एक महापौर ने नई परम्परा बना कर दिल्ली को दिखा दिया की देश के लिए कोई कही से भी अपना योगदान दे सकता है। इसके लिए सिर्फ हमारे विचारो को बदलने की जरूरत है।
दिल्ली के महापौर (मेयर ) बिपिन बिहारी सिंह ने अपनी पोस्ट का इस्तेमाल सही तरीके से किया। उन्होंने 1 जून से सरकारी गाड़ी और उन्हें चलाने के लिए मिले चालक को लेने से साफ़ इंकार कर दिया । ऐसा करके उन्होंने न सिर्फ नई परंपरा की शुरुआत की है बल्कि ओरो के लिए भी मिसाल बने है। ये कदम इतना सराहनिय है की इससे सरकार की कुल 29 लाख रुपये सालाना की बचत होगी। महापौर ने यह घोषणा पटपड़गंज स्थित निगम मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में करी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सभी आये हुए सभी निगम के नेताओ और अधिकारियों से इस कदम को उठाने की अपील की उन्होंने कहा की यदि आप लोग सक्षम है तो इस तरह की सुविधाओं का परित्याग करें। उन्होंने ये भी कहा की हम सभी के ये छोटे मोटे प्रयास से निगम के अंदर एक बड़ा बदलाव आ सकता है। उन्होंने ये भी कहा की ये खर्चा सरकार के राज कोष से आता है तो हमे कोशिश करनी चाहिए की इसका इस्तेमाल भी सरकारी कार्यो में ही हो इन सब से बचे पैसो से निगम में और बहुत से कार्य हो सकते है जो इन सुविधाओं से कहीं अधिक है। साथ ही में वे दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं उनके मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को आईना दिखाने से भी नहीं चूके उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान किये गए वादे हमारे मुख्यमंत्री और उनके मंत्री गण भूल गए है। मुख्यमंत्री व उनके मंत्रियों ने चुनाव के दौरान लोगों से कहा था कि वे सरकारी गाड़ी व बंगला का उपयोग नहीं करेंगे और ऐसा उन्होंने चुनाव के कुछ दिनों तक दिखाया भी। इसलिए उनके कुछ नेता ऑटो और कुछ तो मेट्रो में ही मंत्रालय पहुंच गए थे,ये सब अगर आज वो ईमानदारी से करते रहते तो आज जनता के बीच उनकी जगह कुछ और ही होती। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दिल्ली सरकार से भी ये अपील की कि वह अपने वचनो को याद करे और उन सब बातो पर भी कुछ कार्य करे तो आज उनके ये एक छोटे से कद से बहुत बड़े बड़े कार्य में इस बचाई राशि का उपयोग हो सकता है।
उन्होंने सबके सामने ये भी कहा की आज पूर्वी निगम की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है । स्थिति ऐसी है कि हम कर्मचारियों व अधिकारियों को समय पर वेतन नहीं दे पा रहे हैं। पूर्व कर्मचारियों को पेंशन तक नहीं मिल रही है और एरियर वर्षो से बकाया है। इसके अलावा जिन कर्मचारियों के शादी या कोई अन्य जरूरी खर्च होता है तो उन्हें उनके फंड का पैसा या लोन भी नहीं दे पाते हैं। सेवानिवृत्त कर्मचारियों का भी बहुत सारा फंड बकाया है। इतना सब देख कर एक व्यक्ति अपनी सुख सुविधाओं में कैसे जी सकता है उनका ये भी मानना है की हम सक्षम है इन सब के बगैर जीने के लिए तो क्यों सरकार का फ़ायदा उठाये।आप लोगो ने वो कहावत तो सुनी ही होगी बून्द बून्द से घड़ा भरता है।मै भी अपनी एक बून्द इसने समर्पित करना चाहता हूँ और ओरो से भी अपील करता हु की जो लोग सक्षम है वो भी अपना योगदान दे। ऐसे में वे स्वेच्छा से एक जून से सरकारी सेवाओं का परित्याग कर रहे हैं। इस मदद में जितनी राशि की बचत होगी वो सभी धन राशि निगम के विकास कार्यो में लगाई जाएगी।
70 हजार रुपये मासिक वेतन महापौर के चालक का:है महापौर को दो सरकारी चालक मिले हुए हैं। इन दोनों का सालाना वेतन करीब 17 लाख रुपये है। इसके अलावा ईधन के रूप में औसतन हर साल 12 लाख रुपये खर्च होते हैं। इससे कुल 29 लाख रुपये सालाना की बचत हो सकेगी। इसके अलावा गाड़ी के मेंटेनेंस पर भी खर्च होता है। साल के ये 29 लाख रुपय किसी के घर का चूल्हा जलाने में कितने मददगार साबित होंगे इसका अंदाजा बस वो घर ही लगा सकता है जिसके घर महीनो से वेतन न गया हो या पेंशन न गयी हो। बहुत ही सराहनीये कदम उठाया है ये बिपिन बिहारी सिंह जी ने इससे हमारे और भी सरकारी लोगो को प्रेरणा मिलेगी। समझदारी की ये मिसाल लोग कभी नहीं भुला पाएंगे।