Monday, April 29, 2024
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दिख गया चांद, 22 अप्रैल को भारत और पाकिस्तान में मनाई जाएगी ईद

रमजान का महीना पूरा हुआ और  21 अप्रैल को चांद नजर आ गया इसलिए भारत में 22 अप्रैल 2023 को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाएगा। हिज़री कैलेंडर के अनुसार दसवें महीने यानी शव्वाल के पहले दिन ये त्योहार दुनिया भर में मनाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन हजरत मुहम्मद मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे।

रमजान के पूरे महीने रोजेदारों ने संयम और धैर्य के साथ रोजा रखा। 21  अप्रैल को रमजान का आखिरी जुम्मा और माहे रमजान का आखिरी दिन भी था। रोजेदारों ने अलविदा जुम्मा की नमाज अदा करके शाम के इफ्तार के बाद ईद के चांद का दीदार किया। ईद-उल-फितर को मीठी ईद के रूप में भी जाना जाता है। हिज़री कैलेंडर के अनुसार दसवें महीने यानी शव्वाल के पहले दिन ये त्योहार दुनिया भर में मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर में ये महीना चांद देखने के साथ शुरू होता है। जब तक चांद नहीं दिखे तब तक रमजान का महीना खत्म नहीं माना जाता। इस तरह रमजान के आखिरी दिन चांद दिख जाने पर अगले दिन ईद मनाई जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन हजरत मुहम्मद मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे।

Moon sighted, Eid will be celebrated in India and Pakistan on April 22

मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ। माना जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इस जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया था, इसी दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर के रुप में मनाया जाता है। काज़ी डॉ सैय्यद उरूज अहमद ने बताया, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत 2 यानी 624 ईस्वी में पहली बार (करीब 1400 साल पहले) ईद-उल-फितर मनाया गया था। पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बताया है कि उत्सव मनाने के लिए अल्लाह ने कुरान में पहले से ही 2 सबसे पवित्र दिन बताए हैं। जिन्हें ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा कहा गया है। इस प्रकार ईद मनाने की परंपरा अस्तित्व में आई।

ईद का त्योहार सबको साथ लेकर चलने का संदेश देता है। ईद पर हर मुसलमान चाहे वो आर्थिक रुप से संपन्न हो या न हो, सभी एकसाथ नमाज पढ़ते हैं और एक दूसरे को गले लगाते हैं। इस्लाम में चैरिटी ईद का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हर मुसलमान को धन, भोजन और कपड़े के रूप में कुछ न कुछ दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कुरान में ज़कात अल-फ़ित्र को अनिवार्य बताया गया है। जकात यानी दान को हर मुसलमान का फर्ज कहा गया है। ये गरीबों को दिए जाने वाला दान है। परंपरागत रूप से इसे रमजान के अंत में और लोगों को ईद की नमाज पर जाने से पहले दिया जाता है। मुस्लिम अपनी संपत्ति को पवित्र करने के रूप में अपनी सालाना बचत का एक हिस्सा गरीब या जरूरतमंदों को कर के रूप में देते हैं। विश्व के कुछ मुस्लिम देशों में ज़कात स्वैच्छिक है, वहीं अन्य देशों में यह अनिवार्य है।

ईद की शुरुआत सुबह दिन की पहली प्रार्थना के साथ होती है। जिसे सलात अल-फ़ज़्र भी कहा जाता है। इसके बाद पूरा परिवार कुछ मीठा खाता है। वैसे ईद पर खजूर खाने की परंपरा है। फिर नए कपड़ों में सजकर लोग ईदगाह या एक बड़े खुले स्थान पर जाते हैं, जहां पूरा समुदाय एक साथ ईद की नमाज़ अदा करता है। प्रार्थना के बाद, ईद की बधाईयां दी जाती है। उस समय ईद-मुबारक कहा जाता है। ये एक दूसरे के प्यार और आपसी भाईचारे को दर्शाता है। ईद-उल-फितर के मौके पर एक खास दावत तैयार की जाती है। जिसमें खासतौर से मीठा खाना  शामिल होता है। इसलिए इसे भारत और कुछ दक्षिण एशियाई देशों में मीठी ईद भी कहा जाता है। ईद-उल-फितर पर खासतौर से सेवइयां यानी गेहूं के नूडल्स को दूध के साथ उबालकर बनाया जाता है और इसे सूखे मेवों और फलों के साथ परोसा जाता है।

इस्लामिक कैलेंडर के 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद का त्योहार मनाया जाता है। गुरुवार 20 अप्रैल को सऊदी अरब और खाड़ी देशों में चांद दिखाई देने के बाद वहां आज यानी 21 अप्रैल को ईद मनाई जा रही है। वहीं पाकिस्तान में 22 अप्रैल को ईद मनाने की घोषणा पहले से ही की जा चुकी है।  सऊदी अरब में ईद की तारीख के अगले दिन भारत में भी ईद मनाई जाती है। बता दें कि भारत में रमजान के पाक महीने की शुरुआत 24 मार्च 2023 को हुई थी, जोकि इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना होता है। इस तरह 29वें रोजे के बाद इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के 10वें महीने जिसे शव्वाल कहा गया है, उसके पहले दिन ईद मनाई जाती है। भारत में खुशियों और अल्लाह को शुक्राना करने का त्योहार ईद-उल-फितर मनाने के लिए देश के कोने-कोने में लोग ईद की तैयारियों में जुट गए हैं और मस्जिदों व दरगाहों में भी ईद की नमाज अदा करने की समय भी दे दी गई है।

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