Monday, April 29, 2024
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राष्ट्रीय धरोहर घोषित हो सकता है राम सेतु, सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार

राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। यह याचिका भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दायर की है। 

नई दिल्ली, २० मार्च। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक ये ढांचा रामायण में वर्णित वो पुल है जिसे भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई के लिए बनाया था। कहा जाता है कि  राम की सेना में नल और नील नाम के दो वारन थे, जिन्होंने इस पुल का निर्माण किया था। मोदी सरकार ने करोड़ों भारतीयों की भावनाओं की कद्र करते हुए सुप्रीम में कहा है कि राम सेतु से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी, बल्कि वैकल्पिक रास्ते की तलाश की जाएगी। यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ शिपिंग ने हलफनामा दायर किया और सेतुसमुद्रम नहर परियोजना के खिलाफ दायर याचिका को खत्म करने की अपील की।

Ram Setu can be declared national heritage, Supreme Court ready for hearing

देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि हम इस पर शीघ्र सुनवाई करेंगे। इससे पहले १९ जनवरी को केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को दिए हलफनामे में कहा था कि रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की प्रक्रिया पर संस्कृति मंत्रालय लगातार काम कर रहा है।

 

यूपीए सरकार के वक्त 2005 में इस प्रोजेक्ट का ऐलान किया गया था। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट की लागत करीब ढाई हजार करोड़ थी, जो कि अब 4 हजार करोड़ तक बढ़ गई है। इसके तहत बड़े जहाजों के आने-जाने के लिए करीब 83 किलोमीटर लंबे दो चैनल बनाए जाने थे। इसके जरिए जहाजों के आने-जाने में लगने वाला वक्त 30 घंटे तक कम हो जाएगा। इन चैनल्स में से एक राम सेतु जिसे एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है, से गुजरना था। अभी श्रीलंका और भारत के बीच इस रास्ते पर समुद्र की गहराई कम होने की वजह से जहाजों को लंबे रास्ते से जाना पड़ता है। भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की चेन है, इसे भारत में रामसेतु और दुनिया में एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) के नाम से जाना जाता है। इस पुल की लंबाई करीब 30 मील (48 किमी) है। यह ढांचा मन्नार की खाड़ी और पॉक स्ट्रेट को एक दूसरे से अलग करता है।

सिर्फ आस्था नहीं है राम सेतु  

 

बाल्मिकी रामायण में रामसेतु का जिक्र है। रामायण के अनुसार भगवान राम सीता को लेने के लिए लंका जा रहे थे, बीच में समुद्र था, तब राम की वानर सेना ने पानी में पत्थर डाल-डालकर राम सेतु का निर्माण किया।  इतिहासकार और पुरातत्वविदों के मुताबिक- इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कोरल और सिलिका पत्थर जब गरम होता है तो उसमें हवा कैद हो जाती है जिससे वो हल्का हो जाता है और तैरने लगता है। ऐसे पत्थर को चुनकर ये पुल बनाया गया।

Ram Setu can be declared national heritage, Supreme Court ready for hearing इतिहासकारों की मानें तो साल 1480 में आए एक तूफान में ये पुल काफी टूट गया। उससे पहले तक भारत और श्रीलंका के बीच लोग पैदल और वाहन के जरिए इस पुल का इस्तेमाल करते रहे थे। अमेरिका के साइंस चैनल ने तथ्यों के साथ ये दावा किया है कि भारत और श्रीलंका के बीच मौजूद रामसेतु- प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव निर्मित है यानी इसे किसी इंसान ने बनाया था। अमेरिका के वैज्ञानिकों को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि रामसेतु के पत्थर करीब 7000 साल पुराने हैं। नासा से लिए गए चित्र में भी राम सेतु प्रतीत होता है।

 

 

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