Sahara India : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सहारा में अफवाहों का दौर 

सहारा में ब्याज के साथ निवेशकों को पैसा लौटाने की चर्चा ?

सीएस राजपूत

सुप्रीम कोर्ट के सहारा सेबी विवाद में जमा पैसे से 5000 करोड़ सहकारिता मंत्रालय को निकालने की अनुमति मिलने के बाद सहारा में अफवाहों का दौर शुरू हो गया है। सहारा में चर्चाएं चल रही है कि सहारा ब्याज के साथ निवेशकों का पैसा लौटाने जा रहा है। वैसे भी सुब्रत रॉय सहारा सेबी खाते में सहारा का 24000 करोड़ रुपए जमा होने का दावा करते हुए यह पैसा मिलने पर ब्याज के साथ निवेशकों को वापस मिलने की बात करते रहे हैं। दरअसल यह सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय का कर्मचारियों और निवेशकों को लुभाने का अपना तरीका है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सहकारिता मंत्रालय को को सहारा सेबी के खाते से 5000 करोड़ रुपए निकालने की अनुमति दे दी है। इस पैसे से सोसायटी के निवेशकों के भुगतान के लिए एक प्रतिनिधि नियुक्त किया जाना है, जिसके निगरानी में ही वास्तविक निवेशकों का भुगतान होगा।सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट और तेलंगाना हाईकोर्ट को भी अपने मामले को 6 माह के अंदर निपटाने का आदेश दे दिया है। निवेशकों को भुगतान के लिए 27 अप्रैल तक प्रतिनिधि नियुक्त कर लिया जाना है।

उधर मौके को भुनाने में माहिर माने जाने वाले सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय ने अपने सिपहसालार लगा दिए हैं कि वे माहौल को भुनाने में लग जाएँ,  इन लोगों ने सहारा में चर्चा शुरू करा दी है कि सहारा जल्द ही निवेशकों को ब्याज के साथ पैसा लौटाने जा रहा है। दरअसल सुब्रत रॉय  सहारा में ऐसा माहौल बनाये रखते रहे हैं कि लोग एक उम्मीद के साथ काम करते रहते थे। जब भी सहारा में कभी वेतन वृद्धि होती थी तो वेतन वृद्धि होते ही दूसरे वेतन वृद्धि की अफवाह शुरू हो जाती थी। जब सुब्रत राय ने अपनी शादी की 25वीं वर्षगांठ पर मूल वेतन पर 25 फीसद वेतन वृद्धि की तो यह भी अफवाह शुरू हो गई कि अगले साल मूल वेतन पर 50 फीसद वेतन वृद्धि होगी। मतलब यह सब सुब्रत रॉय का खेल रहा है।दरअसल सहारा प्रबंधन काफी समय से सहारा सेबी खाते में 24000 करोड़ रुपए जमा होने की बात कर रहा है। इस भुगतान के लिए सहारा ने सेबी खिलाफ आंदोलन भी किया है। दरअसल केंद्र सरकार ने इसमें से 5000 करोड़ों रुपए सहकारिता मंत्रालय को निकालने की अनुमति मांगी थी, जो अनुमति सहकारिता मंत्रालय को मिल चुकी है।


दरअसल सुब्रत रॉय इस ताक में थे कि सहारा सेबी खाते में जमा पैसा उन्हें मिले और वह फिर से घालमेल कर सकें। बताया जा रहा है कि विभिन्न विधानसभाओं और लोकसभा में मामला उठने के बाद केंद्र सरकार पर सहारा भुगतान का बड़ा दबाव है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर गृह मंत्री अमित शाह ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने MCA यानी कि कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के ऑफिसर के साथ बैठक कर सहारा ग्रुप के निवेशकों को पैसा दिलाने के लिए माथापच्ची की है।
सेबी ने लौटाए 138 करोड़ रुपए

दरअसल सेबी ने एक दशक के दौरान सहारा की दो कंपनियों के निवेशकों को ₹138 का रिफंड किया है। सेबी ने सालाना रिपोर्ट में कहा है कि उसे 31 मार्च 2022 तक 19650 आवेदन प्राप्त किये हैं, जिसमें रिफंड कुल राशि करोड़ों रुपए के दावे किए जा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि इसमें से 17526 मामलों में ₹680000000 के ब्याज समेत 138 करोड़ों रुपया का रिफंड जारी किया चुका है। इससे पहले किसी ने भी जो जानकारी दी थी है उस आधार पर 31 मार्च 2021 तक उसने कुल मिलाकर 129 करोड़ रुपए रिफंड कर दिया है।

MCA और सेबी मिलकर निकालेंगे रास्ता

ऐसी भी अफवाह चल रही है कि सेबी और  MCA अब ऐसा रास्ता निकालेंगे कि सहारा के साथ ही दूसरी कंपनियों के निवेशकों का भी पैसा वापस मिल सके। ऐसा माना जा रहा है कि सहारा की तीन कोऑपरेटिव सोसायटियों में निवेशकों के करीब एक लाख करोड़ रुपये अटके हुए हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश बिहार और राजस्थान के लाखों लोगों का पैसा सहारा इंडिया में फंसा हुआ है। सहारा ग्रुप की 523 कंपनियों का करीब 24000 करोड रुपए सेबी के पास जमा है, लेकिन सेबी से सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के निवेशकों को ही रिफंड मिला है।
दरअसल साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा हाउसिंग (Sahara Housing) और सहारा रियल एस्टेट (Sahara Real Estate) को 25,781 करोड़ रुपये डिपॉजिट करने का ऑर्डर दिया था। इन कंपनियों ने मार्च 2008 और अक्टूबर 2009 में तीन करोड़ निवेशकों से यह राशि जुटाई थी। इन दो कंपनियों ने अब तक 15,569 करोड़ रुपये जमा कराए हैं, जिन पर 9,410 करोड़ रुपये ब्याज बना है। इस तरह सहारा-सेबी फंड में कुल 24,979 करोड़ रुपये जमा हैं। रिफंड के बाद इस अकाउंट में अब भी 23,937 करोड़ रुपये जमा हैं।

मिनिस्ट्री ऑफ कोऑपरेशन की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने कोर्ट को बताया है कि कि चार मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, सहारा यूनिवर्सल मल्टीपरपज सोसाइटी, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी और स्टार्स मल्टीपरपज कोऑपरेटिव सोसाइटी ने नौ करोड़ से अधिक निवेशकों से 86,673 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे और इसमें से 62,643 करोड़ रुपये एंबी वैली में निवेश किए थे। वित्त मंत्रालय ने बताया कि  दिल्ली हाई कोर्ट के स्पेसिफिक ऑर्डर के बावजूद सहारा ग्रुप को ऑपरेटिव सोसाइटी ने इस मामले में कोई सहयोग नहीं दिया है और निवेशकों के पैसों के रिफंड और दावों के समाधान की प्रक्रिया को खारिज किया है।

क्या है मामला

वित्त मंत्रालय का कहना है कि सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी से 2,253 करोड़ रुपये निकाले गए और सहारा रियल एस्टेट के विवाद से जुड़े सेबी के अकाउंट में जमा कराए। यह पैसा सहारा ग्रुप की मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी के नाम पर फंसा हुआ है। बताया जा रहा है कि सहारा ग्रुप की कंपनियों की आपस में सांठगांठ थी। उन्होंने निवेशकों से मिले पैसों की लॉन्ड्रिंग की और उसे एक एसेट में लगाया। सहारा की कंपनियों और योजनाओं में देशभर में करोड़ों लोगों ने निवेश किया था।
दरअसल 2008 के आसपास सहारा ने आईपीओ लाने की योजना बनाई थी। सहारा ने जब सेबी से IPO के लिए आवेदन दिया तो सेबी ने उससे DRHP यानी कंपनी का पूरा बायोडेटा मांग लिया। जब सेबी ने इसकी जांच की तो इसमें काफी गड़बड़ियां मिलीं। इसके बाद सेबी का सहारा इंडिया पर शिकंजा कसता चला गया। सहारा पर आरोप लगे कि उसने अपने निवेशकों का पैसा गलत तरीके से इस्तेमाल किया।
सेबी ने 24 नवंबर, 2010 को सहारा ग्रुप के किसी भी रूप में पब्लिक से पैसा जुटाने पर पाबंदी लगा दी थी। आखिरकार यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट ने सहारा ग्रुप को निवेशकों के पैसे 15 फीसदी सालाना ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया। यह रकम 24,029 करोड़ रुपये थी। साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सहारा समूह की कंपनियों ने सेबी कानूनों का उल्लंघन किया है। कंपनियों ने कहा कि उन लाखों भारतीयों से पैसे जुटाए गए जो बैंकिंग सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सकते थे। सहारा ग्रुप की कंपनियां निवेशकों को भुगतान करने में विफल रहीं, तो अदालत ने रॉय को जेल भेज दिया। वह लगभग दो साल से अधिक का समय जेल में काट चुके हैं और छह मई 2016 से वह पैरोल पर हैं। पहली बार उन्हें पैरोल मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के नाम पर मिला था, जिसे बाद में लगातार बढ़ाया जाता रहा है।

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