Sunday, April 28, 2024
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गांव बंद किसान हड़ताल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा किसानों को गुमराह करने का प्रयास।

गोमती तोमर ,
गॉव बंद किसान हड़ताल के चलते देश के सभी गाँव अपने अपने स्तर पर हड़ताल कर रहे है। ये हरताल 1 से 10 जून तक चलेगी, उनका कहना सिर्फ इतना ही है की हम अपने अनाज को गॉव से बाहर न देकर अपना गुस्सा सरकार को दिखाएंगे , लेकिन इसमें किसान कही भी अहिंसा फैलाने का कोई कार्य नहीं करेगा । इस दौरान कुछ लोग इस बात का फ़ायदा उठा कर पॉलिटिक्स कर रहे है खाने पीने की सामग्री को रोड पर फैक कर किसानो को बरखाल रहे है। इन सब को देख हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि सडकों पर सब्जी व दूध बर्बाद करने वालों को किसान कभी माफ नहीं करेंगे। जो लोग किसानों को बहका कर इस तरह के कार्य करवा रहे हैं, वे ही वास्तव में किसानों के सबसे बड़े दुश्मन हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मर्हिष दयानंद विश्वविद्यालय के टैगोर सभागार में रोजगार परक युवाओं से सीधा संवाद कार्यक्रम के उपरांत मीडिया कर्मियों से बातचीत के दौरान कहा की किसानों को गुमराह करने का प्रयास करने वालों का कोई जनाधार नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान कड़ी मेहनत के बाद सब्जी, फल व दूध का उत्पादन करता है इसकी कीमत सिर्फ किसान ही समझता है इसलिए वो इसे सड़को पर यू ही बर्बाद नहीं करेगा। इसके पीछे स्वयंभू नेता ही है जो इस खाद्य सामग्री को सडकों पर बर्बाद करके किसानों की मेहनत पर कुठाराघात कर रहे हैं। 
गांव बंद किसान हड़ताल में किसानो का कहना कुछ अलग ही है -किसान जब मण्डी में अपनी फसल देने जाता है तो उन्हें फसल का पूरा दाम नहीं दिया जाता। पिछले महीने तो इतना बुरा हाल रहा की मंडी में जब किसान टमाटर ले कर पंहुचा तो उसकी कीमत मात्र 1 रूपए लगाई गयी जबकि इसका भाड़ा ही 20 रुपय भर कर मंडी तक लाया जाता है। वहीँ बात करे सरसो की तो 4000 रुपय क्विंटल रेट गोरमेंट का है और उसमे भी किसान को 3600 दिया जा रहा था ऐसे में किसान हड़ताल नहीं करेगा तो क्या करेगा। किसान का कहना सिर्फ इतना ही है कि यदि उन्हें इसका मूल दाम भी नहीं दिया जाएगा तो किसान कहाँ जायेगा।
 जब ये किसान मंडी में अपनी फसल का सेम्पल ले कर जाता है तो उसे किसी न किसी बहाने वापिस भेज दिया जाता है उसे अपनी ही फसल को बेचने के लिए इतने चक्कर कटवा दिए जाते है की वो बाद में उसे मिटटी के भाव बेच जाते है। किसानो का कहना है की ये पेपरों की जांच पहले भी की जाती थी लेकिन इतनी कठिनाइयां नहीं आती थी। इनका ये भी मानना है की ये सब इसलिए किया जाता है ताकि किसान खुद ही अपनी फसल ख़राब होने के डर से सस्ती बेच जाए। टमाटर जैसी खाद्य सामग्री को यदि वो 2 से 4 दिन लेंगे तो वह खराब ही होगी और इस डर में उसे किसान जो भी रेट मिले उसमे बेच कर ही जाएगा नहीं तो उसे वहीं फैक कर जायेगा। किसान ये फसल देश के लिए उगाता है और देश का नेता ही उसके ऊपर राजनीति पकाता है।
किसानो की इस हड़ताल से सरकार को एक ही सन्देश देना है और वो ये है की उनको उनका मेहनताना पूरी ईमानदारी के साथ दिया जाए। उनका ये भी मानना है की सरकार उनके लिए मजबूत कदम उठाती रही है और किसानो के दर्द को भली भांति समझती भी है, लेकिन निचले अधिकारी अपनी अपनी राजनीतियों का शिकार इन मासूम किसानो को बनाते रहे है। जहाँ किसान अपनी भूख को भूल कर देश की भूख मिटाने की मेहनत में जुटा है, अपना खून पसीना एक करता है धूप और बारिश को अपने तन पर झेलता है सिर्फ इसलिए की उसका देश भरपूर भोजन करे उसके देश में कोई भूखा न मरे। ऐसे में कुछ नेता इस पर अपनी राजनितिक रोटियां सकते है।
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