सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ब्रजभूषण का हो नार्को टेस्ट : प्रदर्शनकारी पहलवान

प्रदर्शनकारी पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोपों पर ब्रजभूषण शरण सिंह के खुद के बेकसूर होने का दावा करने के बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष का झूठ पकड़ने वाला नार्को टेस्ट कराने की मांग की।

ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट सहित देश के कुछ बड़े पहलवान पिछले एक पखवाड़े से जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं। वे एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों के कथित यौन शोषण के मामले में ब्रजभूषण की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।

रियो ओलंपिक 2016 की कांस्य पदक विजेता साक्षी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘जो लोग डब्ल्यूएफआई प्रमुख के पक्ष में बोल रहे हें और कह रहे हैं कि हम झूठ बोल रहे हैं, मैं कहती हूं कि ब्रजभूषण को हाई कोर्ट की निगरानी में नार्को परीक्षण से गुजरना चाहिए… और सात महिला पहलवानों (जिन्होंने कथित यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए) को भी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जो भी दोषी पाया जाए उसे फांसी पर लटका दो।’’

दिल्ली पुलिस के 28 अप्रैल को ब्रजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज करने के एक दिन बाद डब्ल्यूएफआई प्रमुख ने निर्दोष होने का दावा करते हुए था कि वो किसी भी तरह की जांच का सामना करने को तैयार हैं। साक्षी ने देश की महिलाओं से अपील की कि वे आगे आएं और पहलवानों का समर्थन करें जैसे उन्होंने 2012 में निर्भया मामले के समय किया था।

साक्षी ने कहा, ‘‘मैं देश की महिलाओं से आग्रह करती हूं कि वे हमारा समर्थन करें जैसे उन्होंने निर्भया मामले में किया था। हमारे साथ एकजुटता दिखाएं क्योंकि हम भी महिलाओं के हितों के लिए लड़ रहे हैं। अगर हम यह लड़ाई जीतते हैं तो हम मजबूत संदेश देंगे लेकिन अगर हम हार जाते हैं तो हम 50 साल पीछे चले जाएंगे।’’

पहलवानों ने साथ ही अधिकारियों के कथित तौर पर कार्रवाई नहीं करने के विरोध में गुरुवार को बांह पर काली पट्टी बांधने का फैसला किया।

एशियाई खेल 2018 की स्वर्ण पदक विजेता विनेश ने कहा, ‘‘मैं सभी व्यक्तियों और संगठनों से अपील करती हूं कि वे गुरुवार को काली पट्टी बांधकर हमारे विरोध प्रदर्शन में शामिल हों। कल, हम काली पट्टी बांधकर अपना विरोध व्यक्त करेंगे।’’ बुधवार को प्रदर्शनकारियों की संख्या में काफी इजाफा देखा गया।
टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता पूनिया ने कहा कि सार्वजनिक धारणा के विपरीत आंदोलनकारी पहलवान राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आयोजन के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर प्रतियोगिताएं भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के बनाए पैनल की देखरेख में होती हैं तो वह उनका स्वागत करेंगे। पूनिया ने कहा, ‘‘लेकिन अगर डब्ल्यूएफआई प्रमुख किसी भी तरह से शामिल हैं तो हम इसका विरोध करेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आईओए तदर्थ समिति से सभी टूर्नामेंट आयोजित कराने का अनुरोध करता हूं क्योंकि हम भी कुश्ती गतिविधियों को रोकना नहीं चाहते। हम पहलवानों को यहां (विरोध स्थल) नहीं बुला रहे हैं क्योंकि उनके प्रशिक्षण और तैयारियों को नुकसान होगा। हम तदर्थ समिति के गठन की सराहना करते हैं।’’

पूनिया ने कहा, ‘‘एशियाई खेल और ओलंपिक क्वालीफायर जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट होने वाले हैं। (तदर्थ) समिति को टूर्नामेंट आयोजित करने चाहिए (लेकिन) किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जिस पर गंभीर आरोप लगे हों।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लोग बार-बार कहते हैं कि हम टूर्नामेंट नहीं होने दे रहे हैं। मैं साफ कर दूं कि हमने किसी भी प्रतियोगिता को नहीं रोका है। लेकिन मेरा सवाल ये है कि जिसके खिलाफ इतने सारे आरोप हैं वो प्रतियोगिता कैसे आयोजित कर सकता है।’’ ये पूछने पर कि क्या भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के किसी अधिकारी ने अभी तक पहलवानों से संपर्क किया है, पूनिया ने कहा, ‘‘देखिए लोग आ रहे हैं लेकिन हमें आश्वासन नहीं चाहिए क्योंकि एक बार हम उनका आश्वासन ले चुके हैं और (तीन महीने बाद) हमें वापस लौटना पड़ा। ये लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक हमें न्याय नहीं मिलता।’’

पूनिया ने ये भी कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ पहलवानों की छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि वह किस सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पूरा आईटी सेल पहलवानों की छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है। कभी आप इसे जाति का मुद्दा बना रहे हैं, तो कभी राजनैतिक मुद्दा आदि…लेकिन मैं बता दूं कि आप सच को दबा नहीं सकते। ये सामने आ जाएगा। इसमें समय लग रहा है लेकिन सच्चाई की जीत होगी।’’

विनेश ने प्रायोजक टाटा मोटर्स से ये भी जांच करने का अनुरोध किया कि क्या कुश्ती के लिए निर्धारित पैसा वास्तव में खिलाड़ियों तक पहुंच रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘टाटा मोटर्स पिछले पांच वर्षों से डब्ल्यूएफआई का समर्थन कर रहा है। मैं उनसे अपील करती हूं कि वे डब्ल्यूएफआई से पूछें कि क्या पैसा खिलाड़ियों तक पहुंच रहा है।’

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