एक साल पहले जो किसान आंदोलन जो कुछ समय के लिए स्थगित किया था वह आंदोलन 2023 में फिर शुरू होने वाला है। इस बार केंद्र देश की राजधानी दिल्ली होगा। देश की राजधानी दिल्ली में फिर बड़े किसान आंदोलन की तैयारी है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर के किसान 20 मार्च को संसद भवन पर जुटेंगे। सरकार की कई योजनाओं के विरोध में यह प्रदर्शन होगा। पर जिस तरह से किसान नेता खुलकर राहुल गांधी के साथ उनकी भारत जोड़ो यात्रा में नजर आए थे क्या अब भी लोगों को उनके निरपेक्ष होने पर भरोसा होगा। इसी की पड़ताल करती रिपोर्ट-
देश की राजधानी में संसद भवन के पास 20 जनवरी को किसान नेताओं ने प्रदर्शन का आह्वान किया है। साथ ही 26 जनवरी 2024 को देशभर में किसान ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। किसान नेताओं का कहना है सरकार उनके हक छीन रही है और हकों की लड़ाई जारी रहेगी। केंद्र की सरकार द्वारा किसानों के लिए आज तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई। साथ ही एक साल का किसान आंदोलन जो कुछ समय के लिए स्थगित किया था। वह आंदोलन 2023 में फिर शुरू होने वाला है। और इसका मुख्य केंद्र बिंदु दिल्ली रहेगा। जहां देशभर से एक लाख किसान ट्रैक्टरों के साथ इस आंदोलन में शामिल होंगे। जमीन और पीढिय़ां बचाने के लिए किसान 20 साल तक आंदोलन के लिए तैयार रहें। किसान को कर्ज नहीं एमएसपी पर गारंटी कानून चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के प्रति निराशा जाहिर करते हुए आरोप लगाया कि नौ दिसंबर को आंदोलन खत्म होने के दिन केंद्र सरकार किसानों से लिखित में किए गए सभी वादों से मुकर गई है। एसकेएम ने दावा किया कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कमेटी का गठन हुआ न ही आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लिए गए। राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान पर आयोजित किसान मजदूर महापंचायत में दिल्ली में दूसरे चरण के आंदोलन का एलान किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन और हरियाणा व यूपी के खाप चौधरियों ने विचार विमर्श के बाद एलान किया कि एमएसपी पर गारंटी कानून के लिए संसद भवन पर देशभर भर के किसान महापंचायत करेंगे। एक साथ सभी राज्यों के किसान दिल्ली आएंगे। किसानों से तैयारियां शुरू करने का आह्वान किया।
फिलहाल भाकियू और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता देशभर में जा रहे हैं। चौधरी राकेश टिकैत के अलग-अलग राज्यों में दौरे हैं। देश में चल रही कंपनियों की सरकार और नागपुर पॉलिसी पर भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि देश में कंपनियों की सरकार और नागपुर पॉलिसी चल रही है। प्रशासन को चेताया कि पीएसी नहीं, चाहे मिलिट्री बुला लो, ट्यूबवेलों पर जबरदस्ती बिजली के मीटर नहीं लगने देंगे। बिजली मीटर की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस-प्रशासन की होगी, किसान यह जिम्मेदारी नहीं लेगा।
इस बार विरोध सरकार कंपनियों को बिजली बेचने के नाम पर हो रहा है। किसान नेताओं का कहना है कि गरीबों का शोषण चल रहा है। किसान संगठन किसी एक पार्टी के खिलाफ नहीं है। जहां सरकार किसान के खिलाफ फैसले करेगी, हम वहीं जाएंगे। किसान को जागना होगा, उनकी जमीन छीनने की तैयारी सरकार कर रही है, गलत तरीके से भूमि अधिग्रहण किया जाता है। व्यापारी आपकी जमीन खरीद रहे हैं, जमीन बिकेगी तो किसान बर्बाद हो जाएगा। किसानों को 20 साल तक की लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा। पर सवाल यह है कि क्या अब इन नेताओं को और इनके मुद्दों का जनता का वैसा ही साथ मिलेगा जैसा पहले मिला था। इनके सभी नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा में राहुल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते दिखे हैं। क्या जनता इनको अब फिर से वैसा ही समर्थन देगी जैसा पहले मिला था। लोगों की राय देखकर तो वैसा समर्थन मुश्किल लगता है।