दिल्ली का वायु प्रदूषण 6 साल में 27% घटा, केंद्र और केजरीवाल थपथपा रहे हैं अपनी पीठ

Delhi's air pollution reduced by 27% in 6 years, Center and Kejriwal are patting themselves on the back

जिस दिल्ली में कुछ दिनों पहले सांस लेना तक भारी पड़ रहा था उसी दिल्ली की हवा को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। दिल्लीवासियों को वायु प्रदूषण से थोड़ी राहत मिली है। पिछले छह वर्षों में दिल्ली में वायु प्रदूषण में लगभग 27 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह खुलासा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राज्यसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान किया है।

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सदन को बताया कि शहर में प्रदूषण के प्रमुख स्रोत औद्योगिक इकाइयां, वाहन, निर्माण और विध्वंस से संबंधित गतिविधियों से धूल, सड़कों और खुले क्षेत्रों की धूल, बायोमास जलाना, पराली जलाना, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जलाना और सैनिटरी लैंडफिल में आग। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) 2019 में वायु गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के तहत 22.55 करोड़ रुपये जारी किए गए।

वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस मामले में अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि उनकी योजनाओं और प्रयासों की बदौलत दिल्ली की हवा में सुधार आया है और केंद्र भी इस बात को मान रहा है।कंटीन्यूअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों (CAAQMS) के डेटा से पता चला है कि वाहनों,आबादी और औद्योगिक इकाइयों की संख्या में वृद्धि के बावजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) की वार्षिक सांद्रता 2016 से धीरे-धीरे कम हो रही है। आंकड़ों के अनुसार शहर में 10 माइक्रोमीटर व्यास और उससे छोटे (पीएम-10) वाले पार्टिकुलेट मैटर का वार्षिक औसत स्तर 2016 में 291 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (µg/m3) से गिरकर 2022 में 211 हो गया है। इस बीच, पीएम-2.5 (2.5 माइक्रोमीटर व्यास और छोटे कण) का औसत स्तर 2016 में 135 से घटकर 2022 में 97 हो गया।

आंकड़ों से यह भी पता चला है कि 2022 में दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई दिनों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक पिछले साल केवल छह दिनों के लिए गंभीर श्रेणी में फिसल गया। यह इस श्रेणी में 2021 में 24 दिन और 2020 में 15 दिन दर्ज किया गया था। जीरो से 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा माना जाता है, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच  101 से 200 के बीच में तो मध्यम, 201 से 300 के बीच में खराब, 301 से 400 के बीच में बहुत खराब और 401 से 500 के बीच में गंभीर माना जाता है। यानी अभी भी दिल्ली की हवा बहुत खराब वाली श्रेणी में ही है।

इसीलिए दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में अभी भी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तीसरे चरण के तहत पाबंदियां जारी रहेंगी। जीआरएपी के तीसरे चरण के तहत दिल्ली-एनसीआर में आवश्यक परियोजनाओं को छोड़कर सभी निर्माण और तोड़फोड़ कार्यों पर रोक लगा दी गई हैं। ईंट भट्टों, हॉट मिक्स प्लांट और पत्थर तोड़ने (स्टोन क्रशर) के संचालन की अनुमति नहीं है. राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए नियम तोड़ने वालों पर सख्ती जारी है। बीएस तीन मानकों वाले पेट्रोल व बीएस चार मानकों वाले डीजल वाहनों पर यातायात पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी है।

वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है. इससे क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस की समस्या, अस्थमा का अटैक, फेफड़ों का कैंसर, फेफड़े में सूजन और जलन, निमोनिया, बच्चों में बर्थ  डिफेक्ट, दिल की बीमारी, ल्यूकेमिया, आंखों में जलन,गले में खराश या दर्द शामिल है। अगर आपको वायु प्रदूषण की वजह से सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो आप भाप ले सकते हैं। भाप लेने से फेफड़ों में जमा कफ बाहर निकलता है और फेफड़ों में होने वाली जकड़न या कंजेशन से राहत मिलती है।

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