गांधी और पेरियार के मतभेदों की चर्चा बहुत होती है। होनी भी चाहिए। लेकिन इतिहास में दर्ज अन्य घटनाओं की भी चर्चा होनी चाहिए। 30 जनवरी 1948 को एक चितपावन ब्राह्मण नाथूराम गोडसे ने गांधी को गोली मारकर हत्या कर दी। पेरियार बहुत आहत हुए। उन्होंने अपनी पत्रिका ‘ कुदियारासू’ में दो संपादकीय लिखे। उन्होंने लिखा -” ब्राह्मण समुदाय जो बाकी सभी समुदायों/ समूहों को अत्यधिक पीड़ा देकर सदैव स्वार्थ – सिद्धि करता आया था, उसे गांधी ने अवांछनीय रूप से अपने प्रति ईष्यालु बना लिया था।उसी का बदला ब्राह्मणों ने इस नापाक कृत्य के माध्यम से चुकाया है।यह केवल एक व्यक्ति का कार्य नहीं है, बल्कि एक समुदाय का जीवन जीने का तरीका है।”( 7 फरवरी 1948 )
9 फरवरी 1948 को पेरियार ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति, नेहरू, राजगोपालाचारी, पटेल, जयप्रकाश नारायण और राजेंद्र प्रसाद को एक पत्र लिखा था।इस पत्र में उन्होंने गांधी की स्मृति में स्मारक बनाने के अलावा निम्नलिखित मांगें की थीं –
1. इंडिया नाम बदलकर ‘ गांधी देसम’ अथवा ‘ गांधीस्थान’ कर दिया जाय।
2. हिन्दू धर्म के नाम को गांधीवाद अथवा गांधी धर्म में बदल दिया जाय।
3. हिन्दुओं को सच्चे धर्म का अनुयायी पुकारा जाय।
4. गांधी दर्शन के अनुसार भारत में लोगों का केवल एक ही समुदाय होना चाहिए। उसमें जाति के आधार पर कोई विभाजन नहीं होना चाहिए।नये धर्म की आधारशिला प्रेम और ज्ञान पर आधारित होनी चाहिए।यही नहीं क्रिश्चियन वर्ष का उपयोग करने के बजाय हम गांधी संवत् भी आरंभ कर सकते हैं।
( पेरियार ई वी स्वामी: भारत के वाल्टेयर, पृ 372 से उद्धृत)
जब पेरियार ने इंडिया का नाम गांधी देशम करने के लिए पत्र लिखा –
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