Friday, May 17, 2024
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डॉ. सत्यवान सौरभ को पंडित प्रताप नारायण मिश्र स्मृति राष्ट्रीय युवा साहित्य सम्मान

अपनी पत्रिका ब्यूरो 

नई दिल्ली/लखनऊ/हिसार/भिवानी। स्कूल की प्रार्थना सभा में बोलना और रोजाना नोटिस बोर्ड पर काव्य पंक्तियाँ लिखने वाले बच्चे ने आज सालों बाद साहित्यकार बनने का सफर तय कर डाला। साहित्य के काव्य क्षेत्र में योगदान देने वाले भिवानी जिले के गाँव बड़वा निवासी डॉ सत्यवान सौरभ का काव्य विधा में श्रेष्ठ लेखन के लिए पूरे देश से पंडित प्रताप नारायण मिश्र युवा साहित्यकार सम्मान के लिए चयन हुआ है। हरियाणा के भिवानी जिला के गांव बड़वा के नवोदित साहित्यकार डॉ सत्यवान सौरभ को भाऊराव देवरस सेवा न्यास लखनऊ द्वारा पंडित प्रताप नारायण मिश्र स्मृति युवा साहित्य सम्मान- 2023 पुरस्कार दिया जाएगा। इस अवसर पर डॉ सौरभ को स्मृति चिन्ह, शारदे प्रतिमा, शॉल, प्रशस्ति पत्र एवं ₹25000 राशि का चेक प्रदान किया जाएगा।

भाऊराव देवरस सेवा न्यास पिछले 29 वर्षों से पं. प्रताप नारायण मिश्र युवा साहित्यकार सम्मान से छह साहित्यकारों को सम्मानित करता आया है। डॉ सौरभ इनमें हरियाणा के इकलौते साहित्यकार है। न्यास 40 वर्ष तक की आयु वाले साहित्यकारों को उनकी मौलिक रचनाधर्मिता के लिए सम्मानित और पुरस्कृत करता है। इस बार काव्य विधा में हरियाणा के डॉ सत्यवान सौरभ को पुरस्कृत किया जाएगा। हर साहित्यकार को 25 हजार रुपये धनराशि के साथ सरस्वती प्रतिमा, न्यास का बोध चित्र स्वास्तिक और पंडित प्रताप नारायण मिश्र का साहित्य देकर सम्मानित किया जाएगा।

न्यास के संयोजक डॉ. विजय कुमार करण ने बताया कि हरियाणा के युवा साहित्यकार डॉ सत्यवान सौरभ को यह पुरस्कार उनके दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ पर दिया गया है। न्यास के संयुक्त सचिव ने बताया कि प्रतिवर्ष दिए जाने वाले इस पुरस्कार को इस वर्ष देश के युवा साहित्यकारों को दिया जाएगा। डॉ सत्यवान सौरभ वर्तमान में हरियाणा के उभरते साहित्यकारों में से एक है। दैनिक संपादकीय लेखन में ये देश भर में प्रसिद्ध है और आए रोज इनके लेख देश-विदेश के हजारों अखबारों में विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होते हैं। इनकी अब तक 4 पुस्तकें यादें, कुदरत की पीर, परियों से संवाद, तितली है खामोश सभी हिंदी भाषा में और एक अंग्रेजी भाषा में ‘इश्यूज एंड पैन’ प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉ सत्यवान सौरभ के दोहों और कविताओं की सौरभ देश ही नहीं विदेशों तक फैली है।

ईरान, फिजी, सूरीनाम, मारीशस जैसे हिंदी को पसंद करने वाले देशों की पत्रिकाओं में सत्यवान सौरभ के दोहे खूब प्रकशित किये जाते है। सौरभ के दोहे दो पंक्तियों में होने के प्रभाव से जल्दी याद हो जाते है और मारक क्षमता इतनी की किसी के दिल की बात ही कह दी हो। डॉ सत्यवान सौरभ देश के ऐसे लेखक/कवि है जिनकी पहली पुस्तक मात्र कक्षा दसवीं में पढाई के दौरान यादें नामक काव्य संग्रह के रूप में आई और तब से ये खूबसूरत सफर जारी है और अपनी सौरभ से देश-विदेश को महका रहा है।

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