नई दिल्ली सरकार ने आज पूर्व संप्रग सरकार पर आरोप लगाया कि उसने ‘हिंदू आतंकवाद’ की नयी शब्दावली गढ़ कर आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई को कमजोर किया। इसके लिए उसने कुख्यात आतंकवादी हाफिज सईद से बधाई पायी लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ऐसी शर्मनाक स्थिति कभी पैदा नहीं होने देगी। पंजाब के गुरदासपुर में 27 जुलाई को हुए आतंकवादी हमले के बारे में लोकसभा में अपना लिखित बयान पढ़ने के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात कही।
उन्होंने कहा, ”यूपीए के गृह मंत्री ने हिंदू आतंकवाद की नयी टर्म को इजाद करके आतंकवादी घटनाओं की जांच की दिशा को बदलने का काम किया। यूपीए के गृह मंत्री द्वारा हिंदू आतंकवाद की टर्म को इजाद किए जाने पर हाफिज सईद ने उन्हें बधाई दी थी।’’ गृह मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन ऐसी शर्मनाक स्थिति यह सरकार नहीं होने देगी। आतंकवाद, आतंकवाद होता है, उसका हिंदू मुसलमान, या कोई जाति, पंथ और धर्म नहीं होता।’’
सिंह के इन आरोपों का कड़ा प्रतिवाद करते हुए कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार आतंकवाद का राजनीतिकरण कर रही है। गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और इस मुद्दे पर न तो संसद को और न ही देश को विभाजित दिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर चर्चा और उसका जवाब देने के लिए तैयार हैं। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों द्वारा संसद में सरकार के खिलाफ नारेबाजी किए जाने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘एक ओर शहादत हो और दूसरी ओर सदन में शोरशराबा हो, इसे देश कैसे स्वीकार करेगा?’’
राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद के सवाल पर सदन में गंभीरतापूर्वक चर्चा होनी चाहिए। आतंकवाद की मौजूदा स्थिति के लिए पिछली सरकारों की विदेश नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए गृह मंत्री ने एक शेर पढ़ा:
‘‘चीन छीन देश का गुलाब ले गया,
ताशकंद में वतन का लाल सो गया,
हम सुलह की शक्ल ही संवारते रहे,
जीतने के बाद बाजी हारते रहे।’’
सिंह ने कहा कि संप्रग सरकार की हमेशा यही राजनीति रही है। इससे पहले अपने लिखित बयान को पढ़ते हुए गृह मंत्री ने कहा, ‘‘जीपीएस आंकड़ों के प्रारंभिक अध्ययन से संकेत मिलते हैं कि हमलावर तीन आतंकवादियों ने पाकिस्तान से गुरदासपुर जिले के तास क्षेत्र से घुसपैठ की।’’ उन्होंने कहा कि भारत की एकता एवं अखंडता तथा देश के नागरिकों की सुरक्षा को कमतर करने के देश के दुश्मनों के किसी भी प्रयास का हमारे सुरक्षा बलों द्वारा त्वरित एवं मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। सरकार आतंकवाद से दृढ़ता एवं कड़ाई से निबटने के लिए प्रतिबद्ध है और सीमा पार से चलायी जा रही सभी आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।’’
राजनाथ सिंह गुरुवार को राज्यसभा में अपना यह लिखित बयान पहले ही दे चुके हैं। सिंह ने लोकसभा में आज जब अपना बयान पढ़ना शुरू किया तो आसन के समक्ष एकत्र होकर नारे लगा रहे कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य अपने अपने स्थान पर चले गए और उनका बयान पूरा होते ही वे फिर से आसन के समक्ष आकर नारे लगाने लगे। हंगामा जारी रहने पर अध्यक्ष ने कुछ ही देर बाद सदन की कार्यवाही भोजनावकाश से आधा घंटा पहले ही दोपहर दो बजे के लिए स्थगित कर दी।
दो बजे सदन की कार्यवाही पुन: शुरू होने पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने गृहमंत्री पर आतंकवाद पर ‘राजनीतिक भाषण’ देकर सदन को विभाजित करने का आरोप लगाया जबकि आतंकवाद पर पूरा देश एक है। खड़गे ने सरकार पर आतंकवाद को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पार्टी इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने उपाध्यक्ष एम थंबीदुरै से अनुरोध किया कि गृहमंत्री ने गुरदासपुर में आतंकी हमले के बारे में अपने लिखित बयान के बाद सदन में जो कुछ भी कहा उसे कार्यवाही से निकाल दिया जाये। कांग्रेस नेता की इस मांग को आसन ने ठुकरा दिया। खड़गे ने कहा कि हम सब ने सिंह के बयान का स्वागत किया क्योंकि देश इस मुद्दे पर एक है और आतंकवादी कार्रवाई और देश की एकता अखंडता के मामले में कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने खड़गे की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि गृहमंत्री ने अपने बयान के बाद एक लंबा भाषण दे डाला जो कि नियम के खिलाफ है। खड़गे जब अपनी बात रख रहे थे तो गृहमंत्री सदन में मौजूद नहीं थे। संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि गृहमंत्री ने इस मुद्दे पर विस्तार से अपनी बात रखी और पिछली नीतियों की खामियों की ओर इंगित किया। उन्होंने कहा कि सदन को बांटने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और विपक्ष को चर्चा शुरू करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।