UP Nikay Chunav 2023: छोटे शहरों तक सीमित रहने वाली सपा कर रही बड़ी तैयारी, 2006 में सबसे तेज दौड़ी थी साइकिल

समाजवादी पार्टी इस बार बड़ी तैयारी के साथ चुनाव में उतरने जा रही है। सपा का मानना है कि निकाय चुनाव के जरिए ही पार्टी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश में अपने पक्ष में माहौल तैयार कर सकती है।

लखनऊ । नगरीय निकाय चुनाव में छोटे शहरों तक सीमित रहने वाली समाजवादी पार्टी की नजर इस बार बड़े शहरों पर भी है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे नगरीय निकाय चुनाव को सेमिफाइनल मानते हुए सपा इस बार नगर निगमों में भाजपा को कड़ी टक्कर देगी। बड़े शहरों में साइकिल दौड़ाने के लिए सपा बड़ी तैयारी कर रही है। हालांकि नगर निगमों के मेयर पद को लेकर उसका पुराना रिकार्ड काफी खराब है। वर्ष 2006 के चुनाव में उसे आखिरी बार मेयर के एक पद पर सफलता मिली थी। यही ऐसा चुनाव था जब नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों में सबसे तेज रफ्तार में साइकिल दौड़ी थी।

 

निकाय चुनाव में पुराने अनुभव व वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए समाजवादी पार्टी इस बार बड़ी तैयारी के साथ चुनाव में उतरने जा रही है। सपा का मानना है कि निकाय चुनाव के जरिए ही पार्टी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश में अपने पक्ष में माहौल तैयार कर सकती है। निकाय चुनाव में जीत से पार्टी कार्यकर्ताओं में लोकसभा चुनाव के लिए जोश भर जाएगा।

इसलिए छोटे शहरों के साथ ही बड़े शहरों पर भी पार्टी ने फोकस बढ़ाया है। सपा खासतौर पर बड़े शहरों की समस्याओं को मुद्दा बनाने जा रही है। सपा यह बताएगी कि ट्रिपल इंजन की सरकार के बावजूद शहरों का बुरा हाल है। शहरों में गंदगी के साथ ही गंदे नाले सीधे नदियों में गिर रहे हैं। पार्टी ने अपने शीर्ष नेताओं को पर्यवेक्षक बनाया है। सभी जिले में चुनाव संचालन समिति बनाई गई है। इसमें सभी वरिष्ठ नेताओं व पदाधिकारियों को शामिल किया गया है।

सपा को नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों में अपेक्षाकृत अच्छी सफलता मिलती रही है। इसलिए उसने इन शहरों में और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अपने प्रमुख विधायकों व पूर्व मंत्रियों को जिम्मेदारी दी है। वर्ष 2006 के चुनाव में उसे सर्वाधिक सफलता मिली थी। नगर पालिका में उसकी 32 प्रतिशत सीटें आई थीं जबकि नगर पंचायत में 25 प्रतिशत सीटें उसके खाते में गईं थीं। सपा ने इस बार अपने परंपरागत मतदाताओं के साथ ही दलित मतदाताओं को साधने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। बसपा से आए कई वरिष्ठ नेताओं व विधायकों को भी सपा मुखिया ने दलितों को पार्टी के पक्ष में करने के लिए लगाया है। अखिलेश आंबेडकर जयंती 14 अप्रैल को उनकी जन्मस्थली मध्य प्रदेश के महू भी जा रहे हैं।

सपा ने नहीं लड़ा था वर्ष 2012 का चुनाव

 

समाजवादी पार्टी की वर्ष 2012 में सरकार बनने के कुछ समय बाद ही नगरीय निकाय चुनाव आ गए थे। पार्टी ने यह चुनाव इसलिए नहीं लड़ा क्योंकि उसके यहां टिकट मांगने वाले बहुत हो गए थे। पार्टी को यह डर था कि जिसे टिकट नहीं मिलेगा वह विरोध कर पार्टी के प्रत्याशी को हरा देगा। ऐसे में सपा ने कहा था सभी चुनाव लड़े जो जीतकर आएगा वह अपना ही होगा।

पिछले चुनावों में सपा का प्रदर्शन

वर्ष 2017

निकाय-कुल पद-सपा ने जीते-जीत का प्रतिशत

नगर निगम-16-00-00 प्रतिशत

नगर पालिका-198-45-22.73 प्रतिशत

नगर पंचायत-438-83-18.95 प्रतिशत

वर्ष 2006

निकाय-कुल पद-सपा ने जीते-जीत का प्रतिशत

नगर निगम-12-1-8.33 प्रतिशत

नगर पालिका-191-61-31.93 प्रतिशत

नगर पंचायत-418-105-25.11 प्रतिशत

वर्ष 2000

निकाय-कुल पद-सपा ने जीते-जीत का प्रतिशत

नगर निगम-11-1-9.09 प्रतिशत

नगर पालिका-195-36-18.46 प्रतिशत

नगर पंचायत-417-70-16.78 प्रतिशत

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