सत्ता पक्ष के सामने अकेले खड़े हैं, भ्रष्टाचार मामले में केजरीवाल का ट्विस्ट
Standing alone in front of ruling party, Kejriwal's twist in corruption case
नई दिल्ली, 5 मार्च। जब से दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गिरफ्तार हुए हैं तभी से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी पर हमलावर है। पहले उन्होंने उनको अनपढ़ बताया फिर उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और अब उनकी डिग्री मांगने कोर्ट जाकर अपनी किरकिरी करवा चुके हैं। केजरीवाल को पता है कि मनीष सिसोदिया के बाद अब अगल निशाना वो ही होंगे। तो क्या यह सारा उपक्रम केजरीवाल लोगों का ध्यान भटकाने के लिए कर रहे हैं ताकि कोई भी उनसे उनकी पार्टी के भ्रष्टाचार पर सावाल ही न कर पाए। ऐसा कितने दिनों तक चलेगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों कई मायने में विपक्ष की लड़ाई अकेले लड़ रहे हैं। विपक्ष की दूसरी पार्टियां भी केंद्र सरकार, भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर हमले कर रही हैं, लेकिन प्रधानमंत्री जिस भाषा और लहजे में हमला कर रहे हैं उसी लहजे में केजरीवाल भी जवाब दे रहे हैं। वे भारत के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रधानमंत्री को कम पढ़ा लिखा और उनकी सरकार को भ्रष्ट बताया है। केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार इतिहास की सबसे भ्रष्ट सरकार है और मोदी आजाद भारत के इतिहास के सबसे कम पढ़े लिखे प्रधानमंत्री हैं। उनके कथित तौर पर उनके कम पढ़े लिखे होने के नुकसान भी गिनाए।
अब केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के विमर्श में नया ट्विस्ट डाला है। प्रधानमंत्री मोदी बार बार कहते रहे हैं कि ईडी के कारण विपक्ष एकजुट हुआ है। उन्होंने यह बाद संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कही थी और भाजपा संसदीय दल की बैठक में भी दोहराते हुए कहा कि सारे भ्रष्ट नेता एक साथ आ गए हैं। इस पर केजरीवाल ने कहा कि सारे भ्रष्ट एक साथ नहीं आए हैं, बल्कि ईडी और सीबीआई के कारण सारे भ्रष्ट एक ही पार्टी में चले गए हैं, जिसका नाम भाजपा है। उन्होंने कहा कि जितने भ्रष्ट लोग हैं, भाजपा में जाकर एजेंसियों से अपनी जान बचा रहे हैं। इसके बाद केजरीवाल ने कहा कि जब भाजपा हारेगी तभी देश से भ्रष्टाचार खत्म होगा। संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री के दिए बयान पर दूसरी विपक्षी पार्टियों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी, जिनको भ्रष्ट बता रहे हैं उनमें से जेडीयू, अकाली दल, शिव सेना, पीडीपी, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके आदि पार्टियां काफी समय तक भाजपा के साथ रही हैं।
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