अपनी पत्रिका ब्यूरो
राजस्थान के बाड़मेर जिले के बायतु पनावड़ा गांव में सहारा एजेंट हेमंत कुमार मेघवाल के आत्महत्या कर लेने पर उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मेघवाल के दो छोटे-छोटे बच्चे हंै। खेती बाड़ी भी नहीं है। उसका छोटा भाई मेहनत मजबूरी कर परिवार का पालन पोषण करता है। मेघवाल का सहारा इंडिया पर एक करोड़ रुपये बताया जा रहा है। दरअसल मेघवाल ने अपने ही परिचितों से पैसा इकट्ठा कर सहारा में जमा किया था। अब जब सहारा इंडिया निवेशकों को पैसा नहीं दे रहा है तो मेघवाल पर निवेशकों का बड़ा दबाव था। उसको बड़ी जलालत का सामना करना पड़ रहा था।
सहारा इंडिया के एजेंटों और उनके परिजनों के सामने कितनी बड़ी विपदा आ खड़ी हुई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हेमंत मेघवाल के शव के साथ स्थानीय लोगों ने 4 दिन तक प्रोटेस्ट किया पर शासन और प्रशासन का दिल नहीं पसीजा। आज स्थिति यह है कि मेघवाल के परिजनों की मदद करने के लिए न तो जिला प्रशासन आगे आ रहा है और नही जनप्रतिनिधि। सहारा इंडिया के प्रबंधन की तो बात ही भूल जाइये। हमेंत मेघवाल के बहनोई हनुमान ने बताया कि उन लोगों ने ५० लाख रुपये के मुआवजे और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
उधर उदयपुर में क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी निवेशक और कार्यकर्ता संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय वर्मा की अगुआई में उदयपुर में प्रोटेस्ट किया गया। इस प्रोटेस्ट में जहां निवेशकों ने भुगतान की मांग की वहीं मेघवाल के परिजनों को न्याय दिलाने की भी मांग की।
दरअसल मेघवाल ने अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत का जिम्मेदार सहारा इंडिया प्रबंधन को ठहराया है। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में कहा है कि वह लोगों का जवाब देता देता थक गया है। उसने अपने छोटे भाई को बेटी की तरह पालने की बात करते हुए अपने परिवार की जिम्मेदारी उसे सौंपी है।