खेल

भारतीय हॉकी की ‘ रानी ‘ रामपाल

By अपनी पत्रिका

January 10, 2021

नेहा राठौर 10 जनवरी 2021

रानी रामपाल की नेतृत्व में भारतीय महिला हॉकी टीम 3 जनवरी को अर्जेंटीना के दौरे के लिए रवाना हुई। रानी कोरोना महामारी के कारण लगभग एक साल बाद अंतरराष्ट्रीय मैच के प्रदर्शन में जाना चाहती थीं। इससे पहले भारतीय टीम को कई महीनों तक बेंगलुरु के स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया सेंटर में ट्रेनिंग करनी पड़ी क्योंकि महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता रुक गई थी। भारतीय टीम अर्जेंटीना के खिलाफ 26, 28, 30, 31 जनवरी को चार मैच खेलने वाली है। कप्तान रानी ने जाने से पहले कहा कि फिर से दौरा करना आश्चर्यजनक लग रहा है। हमने पिछले कुछ महीनों में अपने खेल पर कड़ी मेहनत की है और अब समय आ गया है कि हम अपने कौशल का प्रदर्शन करें।

रानी रामपाल भारतीय हॉकी टीम की कप्तान है। किसी भी इंसान के लिए इस मुकाम को हासिल करना आसान नहीं होता और खासकर एक लड़की के लिए। रानी का जन्म 4 दिसंबर 1994 को हरियाणा के जिले कुरुक्षेत्र में शाहबाद मारकंडा में हुआ था। रानी ने 6 साल की उम्र से ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया था। वह जिस समाज से निकाल कर आई हैं वहां अगर कोई लड़की आगे बढ़ना चाहती है तो उसे पैर पकड़कर नीचे खींचने वालों की कमी नहीं है।

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जब उन्होंने हॉकी सीखने की इच्छा अपने माता पिता के सामने रखी तो उन्होंने मना कर दिया। रानी के पिता तांगा चलाने का काम करते थे तो उन्हें अपनी बेटी के लिए डर लगा रहता था और एक वजह यह भी थी कि वे इसका खर्चा नहीं उठा सकते थे। उपर से रिश्तेदारों ने रानी के पिता को भर दिया कि बाहर जा कर खेलेगी, छोटे छोटे कपड़े पहनकर हमारी नाक कटाएगी।फिर क्या होना था, रानी हिम्मत हारने वालों में से नहीं थी। आज देश. विदेश में उनकी खुद की एक अलग पहचान है।

उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि आज वही रिश्तेदार उनके घर आकर उनकी तारीफ करते हैे। रानी अपने मुकाम पर पहुंचने का श्रेय अपने गुरु बलदेव सिंह को देती हैे। बलदेव सिंह को गुरू द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वो उनके गुरू ही थे जिनकी देखरेख में रानी ने शाहबाद हॉकी अकादमी में हॉकी सिखा। रानी को अपने परिवार के हालात के बारे में पता था और वो अपने परिवार के लिए एक सुंदर सा घर बनाना चाहती थीं। आज अगर आप शाहबाद में जाकर देखेंगे तो सबसे सुंदर घर रानी का ही है। उनके दो बड़े भाई हैं जिनमें से बड़ा भाई बढ़ई का काम करता था।जब भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए रानी का चयन हुआ तब उनकी उम्र सिर्फ़ 14 साल की थी और टीम की सबसे युवा खिलाड़ी थीं।

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रानी ने अपनी जिंदगी में कई पुरस्कार जीते। जून 2009 में रूस में आयोजित हुए चैंपियन चैलेंज टूर्नामेंट में रानी ने फाइनल मैच में चार गोल किये और द टॉप गोल स्कोरर और यंग प्लेयर ऑफ़ टूर्नामेंट का ख़िताब जीता। उन्होंने साल 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया, जहाँ वे एफ़आईएच के यंग वुमन प्लेयर ऑफ़ द इयर अवॉर्ड के लिए भी नामाँकित हुई। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में महिला हॉकी विश्व कप में 7 गोल कर भारत को 7वें पायदान पर ला खड़ा किया। 2013 में रानी ने भारत में कास्य पदक जीत कर देश का नाम रोशन किया। उन्हें पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा अर्जुन आवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।

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