एलजीबीटी समूह ने ट्रांसजेंडर को रक्तादान से रोकने को बताया भेदभावपूर्ण

LGBT group told to stop transgenders from donating blood as discriminatory

नई दिल्ली, 19 मार्च।  भारत की संघीय सरकार ने ट्रांसजेंडर लोगों, समलैंगिक पुरुषों और महिला यौनकर्मियों के स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रतिबंधित किया है, जिसे देश के एलजीबीटी  समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण  बताया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब देश के सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया है और कहा है कि यह प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि “ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष और महिला यौनकर्मियों को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमण का खतरा है।  दक्षिण दिल्ली स्थित मजीदिया अस्पताल में असिस्टेंट प्रोफेसर ट्रांसजेंडर डॉक्टर अक्सा शेख ने सरकार के इस कदम के प्रति नाराजगी जाहिर की है साथ ही इसे भेदभावपूर्ण कदम बताया है।

बता दें कि इस मामले के केंद्र में २०१७ में दो संघीय सरकारी एजेंसियों – नेशनल ब्लड ट्रांफ्लूजन काउंसिल और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन – द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश हैं जो भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं। दिशानिर्देश ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, समलैंगिक पुरुषों और महिला यौनकर्मियों को उच्च जोखिम वाले एचआईवी या एड्स श्रेणी मानते हैं और उन्हें रक्तदान करने से रोकते हैं।

बता दें कि दिशा-र्देशों पर सरकार की ११ मार्च की प्रतिक्रिया ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता सांता खुरई द्वारा दायर एक याचिका पर आई है। याचिकाकर्ता खुरई बताती हैं कि रक्तदान हमारा अधिकार है, लेकिन सरकार ने हमें अपने लोगों को रक्तदान करने से रोक दिया है जो पूरी तरह से हमारे अधिकारों के खिलाफ है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल किया गया है। खुरई की याचिका ने दिशानिर्देशों के खंड १२ और ५१ की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। वहीं सरकार का तर्क है कि दिशानिर्देश “वैज्ञानिक साक्ष्य” पर आधारित हैं।

हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च में कम्युनिटी मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अक्सा शेख खुद एक ट्रांस महिलाहैं। वह बताती हैं कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों में एचआईवी का प्रसार अधिक है, इसे किसी अध्ययन में स्थापित नहीं किया जा सका है। यह केवल अनुमान पर आधारित है। उन्हें उच्च जोखिम पर मानना  और  रक्तदान करने से रोक दिया जाना  न तो तार्किक और न ही नैतिक है।

यदि आपका लिंग जन्म के समय निर्धारित लिंग से भिन्न है तो आपको रक्तदान करने से रोक दिया जाता है। यह कोई जरूरी नहीं है कि सभी  ट्रांसजेंडर सेक्स वर्क में शामिल हैं। ट्रांस लोगों में ट्रांस पुरुष भी शामिल हैं जो सेक्स वर्क में नहीं हो सकते हैं या जो संयमित जीवन जी रहे हों। लिंग पहचान के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करना गलत है और इससे भी अधिक गलत बात उन्हें  एचआईवी का उच्च जोखिम बताना है

 

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