Friday, April 26, 2024
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भारत की पहली महिला फोटोग्राफर होमाई व्यारावाला

नेहा राठौर (15 जनवरी)

आज के दिन यानी 15 जनवरी 2012 को भारत ने पहली महिला फोटोग्राफर (छायाचित्र) को खोया था। होमाई व्यारावाला, जिन्हें लोग डीएलडी 13 के नाम से भी जानते है। उस समय फोटोग्राफी के इस पुरूष प्रधान क्षेत्र में होमाई वो पहली महिला थी जिन्होंने इस क्षेत्र में अपना कदम बढ़ाया था। होमाई का जन्म 9 दिसंबर 1913 में गुजरात के नवसारी के पारसी परिवार में हुआ था। होमाई के पिता एक पारसी थियेटर में अभिनेता थे। होमाई ने अपनी पढ़ाई मुंबई में पुरी की। उन्हें फोटोग्राफी का बहुत शोक था। उन्होंने फोटोग्राफी अपने मित्र माणेकशॉ व्यारावाला और उसके बाद जे.जे स्कूल ऑफ आर्ट में सिखा।

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छायाचित्र की शुरूआत

होमाई ने अपना करियर 1938 से शुरू किया। उन दिनों फोटोग्राफी को सिर्फ पुरूषों के लिए ही माना जाता था। लेकिन होमाई ने एक महिला होकर इस क्षेत्र में ऊचाई हासिल की। ये सब जानते है कि भारत में फ़ोटोग्राफ़ी का चलना 1840 में ब्रिटेन से आया था, जिसके बाद ये यहां के लोगों के लिए एक शोक बन गया। शोक के बाद यह अजीविका कमाने का एक जरिया भी बनता चला गया। होमाई द्वारा खींची गई फोटो बहुत चर्चित हुई। होमाई ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की अंतिम यात्रा, जवाहरलाल नेहरू और उनकी बहन विजयलक्ष्मी की गले मिलते हुए, महात्मा गांधी के साथ अब्दुल गफ्फर खान जैसे कई पलो को अपने कैमरे में कैद किया था।

करियर से सन्यास

लेकिन 1970 में अपने पति के निधन के बाद उन्होंने अपने करियर से सन्यास ले लिया। उसके बाद वह अपने बेटे के पास चली गई। लेकिन केंसर के वजह से उनके बेटे का भी निधन हो गया, जिसके बाद वह अकेली पड़ी गई थी। 1970 से उन्होंने अपने कैमरे में एक भी फोटो नहीं खींची थी वह आज कल के फ़ोटोग्राफ़रों को बुरे बर्ताव का बताती थीं। एक बार उनसे एक पत्रकार ने यह सवाल किया कि अब आप फोटोग्राफी क्यों नहीं करती तो उन्होंने कहा की “ अब इसका कोई औचित्य नहीं रह गया है। हमारे पीढ़ी के छायाकारों के कुछ उसूल होते थे, यहां तक की हम लोगों ने अपने लिए एक ड्रेस कोड को भी अपनाया था, लेकिन आज सबकुछ बदल गया है। नई पीढ़ी जिस किसी भी प्रकार से पैसे कमाना चाहती है, पर मैं इस भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी।“

पद्म भुषण से सम्मानित

उनके द्वारा खींची गई ज्यादातर फोटो डीएलडी 13 के नाम से प्रसिद्ध हुई। डीएलडी 13 होमाई की पहल गाड़ी का नंबर था, जिसे उन्होंने अपना उपनाम बनाया था। होमाई ने अपने कैमरे में कैद सारी यादों को दिल्ली स्थित अल-काज़ी फ़ाउंडेशन ऑफ आर्ट्स को दान कर दिया। जिसके बाद 2010 में राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, मुंबई ने अल-काज़ी फाउंडेशन ऑफ आर्ट्स के साथ मिलकर उनके छाया चित्रों की एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। 2011 में उन्हें पद्म भुषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उसके एक साल बाद यानी 15 जनवरी 2012 में 92 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

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