सीलिंग ऐक्शन के बाद भी दिल्ली रोहिणी में धड़ल्ले से चल रहे है अवैध निर्माण।

गोमती तोमर ,

 देश की राजधानी दिल्ली में अवैध निर्माण आम बात है। लेकिन सीलिंग के ऐक्शन और अवैध फैक्ट्रियों को बंद कराये जाने की बात के बाद क्या धड़ल्ले से चल रहे अवैध निर्माणों पर भी न्यायलय, सरकार या प्रसाशन कोई एक्शन लेगी, या सिस्टम के तहत ही सब कुछ चलता रहेगा ? ये सवाल रोहिणी में धड़ल्ले से चल रहे हज़ारों अवैध निर्माण को देखर उठ रहे है। नॉर्थ दिल्ली के रोहिणी इलाके के सेक्टर -7 ,8 की बात करें या सेक्टर 17 , 18 की या बात कर लें रोहिणी के सेक्टर -23 या 24 की रोहिणी की किसी भी सेक्टर में जाकर देख ले अवैध निर्माण ढूंढने के लिये आपको ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। रोहिणी एशिया की सबसे बड़ी रिहायशी कॉलोनियों में शुमार है। रोहिणी के नक्शों को ताक पर रखकर बनाई गयी इन बिल्डिंग को देखने मात्र से ही डर लगता है, पुरे रोहिणी जोन में हज़ारों की तादाद में बन रही इन अवैध बिल्डिंग्स को देखकर लगता ही नहीं की इन पर नगर निगम की नजर भी है। हैरत की बात है की एक तरफ नगर निगम अवैध निर्माण को लेकर सीलिंग अभियान चला रहा है तो वहीँ दूसरी और रोहिणी में इतने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण धड़ल्ले से चल रहे है 

                         हालांकि दिल्ली नगर निगम रोहिणी जोन मनीष चौधरी ( चैयरमेन , नार्थ एमसीडी, रोहणी ज़ोन ) का दावा है की उन्हें जो भी शिकायत मिलती है उस पर वह तुरंत एक्शन लेते है।हालाकिं वो इस बात से भी मना नहीं कर रहे की अवैध निर्माण नहीं हो रहे पर इनका कहना है की जिसकी शिकाय इनके पास आती है ये उसी की कार्यवाही करते है। चैयरमैन का ये भी कहना है की ये एक एक घर देखने नहीं जाते है की वह अवैध तो नहीं बन रहे। जेई ,एई , एक्शन ये सब दौरा करते रहते है लेकिन इनके लिए हम ये माने की इन्हे अवैध निर्माण दिखाई नहीं देते या शायद ये देखना नहीं चाहते। और अगर देख भी ले तो उस पर अपनी नजर का नजराना ले कर चुप बैठ जाते है? अब सबसे बड़ा सवाल ये है की जब अवैध तरीके से बनाई जा रही ये बड़ी बड़ी ईमारतें कैमरे की नज़र से नहीं छुप सकती तो प्रसाशन की नज़र इस ओर कैसे नहीं पड़ती ? स्थानीय RWA भी शिकायत करने में संकोच करती है साथ ही सवाल करती है की या तो निगम अधिकारी राउंड पर नहीं आते या देखकर आँख मूँद लेते है। 

दिल्ली में अवैध निर्माण के खिलाफ  दिल्ली नगर निगम ने बड़े पैमाने पर करवाई करने पर एक आंदोलन सा चला दिया लेकिन रोहिणी में इस करवाई के बावजूद भी अवैध निर्माण धड़ल्ले से चल रहे है। शाहबेरी हादसे के बाद सबकी नजर फिर अवैध निर्माण पर गयी। यहाँ तक की सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों का भी रोहिणी जोन पर कोइ असर होता नजर नहीं आ रहा है लगता है नगर निगम को शाहबेरी हादसे जैसी किसी बड़े हादसे का इन्तजार है। या इन कर्मचारियों की नज़र में इंसान की कोई कीमत नहीं है।  

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